लखनऊ : बोर्ड परीक्षा की तैयारी के तनाव में बच्चे एंग्जायटी के शिकार हो रहे हैं. अस्पतालों के मानसिक रोग विभाग में इस बीमारी के शिकार बच्चों की संख्या बढ़ गई है. डॉक्टरों ने अभिभावकों को बच्चों को दूसरे बच्चों के तुलनात्मक दबाव न डालने की सलाह दी है. इसके साथ उन्होंने कहा कि परीक्षा के दौरान बच्चों को चाय कॉफी से दूर ही रखें. ऐसा इसलिए क्योंकि यह दोनों चीज नींद को दूर करती है. ऐसे में बच्चा जब अधिक घंटे पढ़ाई करता है. वह भी बिना पर्याप्त नींद लिए हुए उसे समय मानसिक तनाव बढ़ जाता है. साथ ही सिर दर्द की समस्या भी शुरू हो जाती है. चाय व कॉफी पीने के बाद बच्चा देर रात तक पढ़ाई करता है. जिससे उसका स्ट्रेस का स्तर बढ़ जाता है. रात में तीन बजे जब बच्चा सोता है और सुबह जब उठता है तो रात का पढ़ी हुई सारी चीज भूल जाता है. क्योंकि वह चीज उसने तनाव में आकर पढ़ी थी.
अभिभावक बच्चों से करें दोस्ताना व्यवहारः बलरामपुर अस्पताल के वरिष्ठ मनोचिकित्सक डॉ. सौरभ अहलावत ने बताया कि परीक्षा की तैयारी में बच्चे चिड़चिड़ेपन का शिकार भी हो रहे हैं. इससे अभिभावक भी परेशान हैं. ऐसे में अभिभावक भी जाने अनजाने में ही अपने बच्चे की तुलना दूसरे बच्चों से करके उन पर और मानसिक दबाव बढ़ा रहे हैं. अभिभावक परीक्षा में अधिक नंबर लाने का दबाव भी बनाते हैं. बच्चों पर पढ़ाई को लेकर दबाव बनाना सही नहीं है. उनसे दोस्ताना व्यवहार करें, तभी वह परीक्षा में बेहतर प्रदर्शन कर सकते हैं.
देर रात तक गैजेट्स से नहीं, किताबों से करें पढ़ाई : उन्होंने बताया कि मोबाइल व अन्य स्क्रीन गैजेट्स आज के दौर में हमारे जिंदगी में महत्वपूर्ण हो गए हैं. इनका इस्तेमाल बच्चे पढ़ाई के दौरान करते हैं. मोबाइल से बच्चों को पूरी तरह से अलग करना भी ठीक नहीं है. ऐसे में माता पिता इस बात का ध्यान रखें की रात आठ बजे से पहले ही बच्चे मोबाइल पर पढ़ाई से संबंधित जानकारी हासिल करें. रात आठ बजे के बाद किताबों से ही पढ़ाई करें तो ज्यादा बेहतर होगा. पढ़ाई ऐसी जगह करें जहां शोरगुल बिल्कुल न हो.
शांत माहौल में रहें, व्यायाम भी जरूरी : डॉ. सौरभ ने बताया कि परीक्षा की तैयारी कर रहे विद्यार्थी पूरी नींद लें. इससे उनकी यादाश्त अच्छी होगी और जो उन्होंने पढ़ा होगा, वह याद रहेगा. इसके अलावा शारीरिक व्यायाम यानी फिजिकल एक्सरसाइज भी एकाग्रता को बढ़ाने में कारगर है. एक्सरसाइज पर ध्यान देना भी जरूरी है. डॉ. सौरभ ने कहा कि परीक्षा की तैयारी के समय शांत माहौल में रहें. माता-पिता इस बात का ध्यान रखें की बच्चों की एकाग्रता भंग न हो इसके लिए उन चीजों से बच्चों को दूर रखें. लगातार पढ़ाई के बीच पांच से दस मिनट तक का ब्रेक जरूर लें.
बच्चों में ये लक्षण हैं तो चिकित्सक से लें सलाह : बहुत कम या ज्यादा सोना, पढ़ाई पर फोकस न कर पाना, लोगों से मिलने से कतराना, चिड़चिड़ापन, गुस्सा करना, निराश रहना, डरना, कहीं खोए रहना, बहुत ज्यादा भूख लगना या बहुत कम खाना, लगातार सिर दर्द होना, पेट खराब होना, जल्दी-जल्दी तबियत खराब होना, दिल की धड़कन बढ़ना, सांस लेने में परेशानी होना.
बच्चों के साथ ऐसा हो अभिभावकों का व्यवहार
परीक्षा में अच्छे नंबर लाने का दबाव न बनाएं. इससे बच्चे की तैयारी पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा.
बच्चे को डांटे नहीं. गलती होने पर उन्हें समझाएं, उनसे दोस्ताना व्यवहार रखें.
अपने बच्चे की तुलना दूसरे बच्चों से न करें.
बात-बात पर यह न बताएं कि आपने उनके लिए क्या किया है.
बच्चे को बाहर घुमाने ले जाएं.
बच्चे को अधिक तनाव में न डालें.
नए टॉपिक को लेकर परीक्षा से पहले लेकर न उलझें.
रात में लेट नाइट तक न जागे.
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