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गांवों में महिला प्रधान के कामों में पतियों के दखल पर High Court सख्त, क्या कहा जानिए...

High Court News: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 3 माह के भीतर महिला प्रधानों के प्रशिक्षण को कहा. जनहित के मामलो में हाईकोर्ट ने हस्तक्षेप से किया इनकार.

up allahabad high court said mahila pradhan should be trained husband interference reduced latest order
हाईकोर्ट ने महिला प्रधान को प्रशिक्षित करने का दिया आदेश. (photo credit: etv bharat archive)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Oct 24, 2024, 6:40 AM IST

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने प्रदेश के ग्राम प्रधानों खासकर महिला प्रधानों के अधिकार व कर्तव्य को लेकर तीन माह के भीतर प्रशिक्षण देने का निर्देश दिया है. कोर्ट ने कहा कि प्रधान पति के कार्य करने के चलन को हतोत्साहित किया जाए.

कोर्ट ने राज्य के अधिकारियों से कहा कि जब गांव सभा की लोकोपयोगी जमीन को दूसरे लोकोपयोगी कार्य के लिए लिया जाए तो गांव के लोगों की सहमति ली जाए ताकि लोग किसी सार्वजनिक उपयोग की जमीन का अन्य लोक हित में प्रयोग के खिलाफ हाईकोर्ट न आएं. यह आदेश न्यायमूर्ति सौरभ श्याम शमशेरी ने गाजीपुर के अंबिका यादव व व कई अन्य की जनहित याचिकाओं को निस्तारित करते हुए दिया है.

जनहित में हस्तक्षेप नहींः इसी के साथ कोर्ट ने गाजीपुर में गांव सभा की चारागाह, नवीन परती, गड़ही व खलिहान की जमीन पर पानी टंकी व आरसीसी सेंटर निर्माण को जनहित में मानते हुए हस्तक्षेप से इनकार कर दिया है. कोर्ट ने कहा कि यदि निर्माण शुरू न हुआ हो तो जमीन के एक किनारे शिफ्ट किया जाए.

हाईकोर्ट ने ये भी कहा: सरकार की ओर से कहा गया कि चारागाह की जमीन के एक छोटे हिस्से पर पानी टंकी बनने से जमीन की नवैयत में बदलाव नहीं होगा. इससे लोकोपयोगी जमीन पर किसी को भूमिधरी अधिकार नहीं मिलेगा. कोर्ट ने ग्राम प्रधान या परिवार या अन्य द्वारा यदि अतिक्रमण किए जाने पर एक माह में कार्यवाही करने का भी निर्देश दिया है.

याचियों का कहना था कि कानूनी प्रक्रिया का पालन किए बगैर केवल गांव सभा के प्रस्ताव पर गांव सभा की सार्वजनिक उपयोग की चारागाह, खलिहान के लिए आरक्षित जमीन पर बोरिंग, पानी टंकी व आरसीसी सेंटर का निर्माण किया जा रहा है, जिसे रोका जाए. इससे जमीन की नवैयत बदल रही है. सरकार की ओर से कहा गया कि कुल 4550 वर्गमीटर जमीन में से केवल 42 वर्गमीटर जमीन का इस्तेमाल ग्रामीणों के हित में किया जा रहा है.

कोर्ट ने कहा कि इस जमीन का इस्तेमाल शादी समारोह, खेल मैदान के रूप में भी करने की जानकारी दी गई है. तर्क दिया गया कि गांव सभा की चारागाह, खलिहान की सार्वजनिक उपयोग की जमीन पर किसी को भूमिधरी अधिकार नहीं दिया जा सकता. इसके जवाब में सरकार की ओर से कहा गया कि जमीन पर भूमिधारी अधिकार नहीं दिया गया है. जमीन का पूर्ववत इस्तेमाल होता रहेगा. कोर्ट ने आदेश की कॉपी अनुपालन के लिए प्रमुख सचिव को भेजने का निर्देश दिया है.

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कोर्ट ने राज्य के अधिकारियों से कहा कि जब गांव सभा की लोकोपयोगी जमीन को दूसरे लोकोपयोगी कार्य के लिए लिया जाए तो गांव के लोगों की सहमति ली जाए ताकि लोग किसी सार्वजनिक उपयोग की जमीन का अन्य लोक हित में प्रयोग के खिलाफ हाईकोर्ट न आएं. यह आदेश न्यायमूर्ति सौरभ श्याम शमशेरी ने गाजीपुर के अंबिका यादव व व कई अन्य की जनहित याचिकाओं को निस्तारित करते हुए दिया है.

जनहित में हस्तक्षेप नहींः इसी के साथ कोर्ट ने गाजीपुर में गांव सभा की चारागाह, नवीन परती, गड़ही व खलिहान की जमीन पर पानी टंकी व आरसीसी सेंटर निर्माण को जनहित में मानते हुए हस्तक्षेप से इनकार कर दिया है. कोर्ट ने कहा कि यदि निर्माण शुरू न हुआ हो तो जमीन के एक किनारे शिफ्ट किया जाए.

हाईकोर्ट ने ये भी कहा: सरकार की ओर से कहा गया कि चारागाह की जमीन के एक छोटे हिस्से पर पानी टंकी बनने से जमीन की नवैयत में बदलाव नहीं होगा. इससे लोकोपयोगी जमीन पर किसी को भूमिधरी अधिकार नहीं मिलेगा. कोर्ट ने ग्राम प्रधान या परिवार या अन्य द्वारा यदि अतिक्रमण किए जाने पर एक माह में कार्यवाही करने का भी निर्देश दिया है.

याचियों का कहना था कि कानूनी प्रक्रिया का पालन किए बगैर केवल गांव सभा के प्रस्ताव पर गांव सभा की सार्वजनिक उपयोग की चारागाह, खलिहान के लिए आरक्षित जमीन पर बोरिंग, पानी टंकी व आरसीसी सेंटर का निर्माण किया जा रहा है, जिसे रोका जाए. इससे जमीन की नवैयत बदल रही है. सरकार की ओर से कहा गया कि कुल 4550 वर्गमीटर जमीन में से केवल 42 वर्गमीटर जमीन का इस्तेमाल ग्रामीणों के हित में किया जा रहा है.

कोर्ट ने कहा कि इस जमीन का इस्तेमाल शादी समारोह, खेल मैदान के रूप में भी करने की जानकारी दी गई है. तर्क दिया गया कि गांव सभा की चारागाह, खलिहान की सार्वजनिक उपयोग की जमीन पर किसी को भूमिधरी अधिकार नहीं दिया जा सकता. इसके जवाब में सरकार की ओर से कहा गया कि जमीन पर भूमिधारी अधिकार नहीं दिया गया है. जमीन का पूर्ववत इस्तेमाल होता रहेगा. कोर्ट ने आदेश की कॉपी अनुपालन के लिए प्रमुख सचिव को भेजने का निर्देश दिया है.

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