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कुछ शिक्षक ऐसे भी, रिटायरमेंट के बाद भी बिना सैलरी पढ़ाने जाते हैं स्कूल, रिटायर्ड शिक्षक रोज करते हैं 13 किमी का सफर - Unique Teachers of Datia - UNIQUE TEACHERS OF DATIA

भले ही सरकार शिक्षकों को सेवानिवृत कर दे लेकिन वास्तविक शिक्षक अपने किरदार को आजीवन जीवंत बनाए रखते हैं और मौका मिलते ही वापस वह बच्चों के बीच उन्हें पढ़ाने के लिए पहुंच जाते हैं. ऐसी ही कहानी है दतिया के तीन शिक्षकों की जो रिटायरमेंट के बाद बिना सैलरी के बच्चों को पढ़ा रहे हैं.

Unique Teachers of Datia
कुछ शिक्षक ऐसे भी (Etv Bharat)
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Sep 5, 2024, 8:38 PM IST

दतिया : जिले के ये तीन शिक्षक अपनी निशुल्क सेवा के लिए मशहूर हैं. इसके लिए वे सरकार या अपने विभाग से अलग से कोई पैसा भी नहीं लेते, बल्कि निशुल्क रूप से नियमित बच्चों की कक्षाएं लेते हैं और स्कूल में अपनी नियमित सेवाएं भी देते हैं. शिक्षक दिवस के अवसर पर हम आपको ऐसे ही शिक्षकों की कहानी बताने जा रहे हैं, जो सेवानिवृति के बाद स्कूलों में पढ़ाने के लिए पहुंच रहे हैं.

13 किमी दूर बच्चों को पढ़ाने जाते हैं रिटायर्ड डीईओ

सेवानिवृत्त जिला शिक्षा अधिकारी अनिल तिवारी ऐसे ही आदर्श शिक्षक हैं जो सेवानिवृत होने के बाद भी ग्राम पंचायत परासरी स्थित आदिवासी पुरा के बच्चों को शिक्षित का बीड़ा उठाए हुए हैं. यहां शासन ने प्राइमरी स्कूल बनवाया है और शिक्षक पदस्थ किए हैं लेकिन तिवारी सेवानिवृत्ति के बाद अधिकांश समय बच्चों को शिक्षा देने में गुजारते हैं, उन्हें शिक्षित करते हैं. वैसे उनका विषय अर्थशास्त्र व हिंदी रहा है लेकिन छोटी कक्षा के छात्रों को वे सभी विषय पढ़ाते हैं. वह बच्चों के बीच व गांव में अनिल सर के नाम से फेमस हैं.

सेवानिवृति के 2 साल बाद पढ़ाने जाते हैं परिहार

शिक्षक राघवेंद्र सिंह परिहार बताते हैं कि उन्हें सेवानिवृत हुए दो साल से अधिक का समय बीत गया है, लेकिन उनका स्कूल के बच्चों से मोह अब तक नहीं छूटा है. वे शासकीय माध्यमिक विद्यालय हाथीखाना में पदस्थ रहे और यहीं से उनकी सेवानिवृति हुई. उनका बच्चों से ऐसा मोह है कि वह प्रतिदिन स्कूल जाते हैं. स्कूल में जिस विषय की भी कक्षा खाली मिलती है वह उसी में जाकर बच्चों को पढ़ाना शुरू कर देते हैं. फिलहाल इन दिनों वह कक्षा 6वीं में छात्राओं की गणित की कक्षा में पढ़ा रहे हैं। इसके लिए उन्होंने स्कूल से अलग से कोई भी मानदेय नहीं लिया.

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मैथ्स टीचर का ट्रांसफर हुआ तो खुद पढ़ाने जा रहे मिश्रा

शासकीय कन्या माध्यमिक विद्यालय हाथीखाना में पदस्थ रहे शिक्षक पुरुषोत्तम नारायण मिश्रा बीते साल ही सेवानिवृत हुए. उन्होंने बताया कि उन्होंने स्कूल में बच्चों को गणित को सरल तरीके से समझाने के लिए गणित की लैब तैयार की. उनकी सेवानिवृति के बाद स्कूल में पदस्थ गणित के एक अन्य शिक्षक का स्थानांतरण हो गया. स्कूल में जब गणित का कोई नया शिक्षक नहीं आया तो शिक्षक मिश्रा ने दोबारा स्कूल में छात्राओं को पढ़ाने का निर्णय लिया. वह नियमित रूप से कक्षा 7वीं और 8वीं के बच्चों की दो कक्षाओं में गणित पढ़ा रहे हैं. बच्चों को पढ़ाने के एवज में स्कूल प्रबंधन ने उन्हें अतिथि शिक्षक के रूप में मानदेय देने की बात कही तो उन्होंने इसे लेने से इंकार कर दिया.

दतिया : जिले के ये तीन शिक्षक अपनी निशुल्क सेवा के लिए मशहूर हैं. इसके लिए वे सरकार या अपने विभाग से अलग से कोई पैसा भी नहीं लेते, बल्कि निशुल्क रूप से नियमित बच्चों की कक्षाएं लेते हैं और स्कूल में अपनी नियमित सेवाएं भी देते हैं. शिक्षक दिवस के अवसर पर हम आपको ऐसे ही शिक्षकों की कहानी बताने जा रहे हैं, जो सेवानिवृति के बाद स्कूलों में पढ़ाने के लिए पहुंच रहे हैं.

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सेवानिवृत्त जिला शिक्षा अधिकारी अनिल तिवारी ऐसे ही आदर्श शिक्षक हैं जो सेवानिवृत होने के बाद भी ग्राम पंचायत परासरी स्थित आदिवासी पुरा के बच्चों को शिक्षित का बीड़ा उठाए हुए हैं. यहां शासन ने प्राइमरी स्कूल बनवाया है और शिक्षक पदस्थ किए हैं लेकिन तिवारी सेवानिवृत्ति के बाद अधिकांश समय बच्चों को शिक्षा देने में गुजारते हैं, उन्हें शिक्षित करते हैं. वैसे उनका विषय अर्थशास्त्र व हिंदी रहा है लेकिन छोटी कक्षा के छात्रों को वे सभी विषय पढ़ाते हैं. वह बच्चों के बीच व गांव में अनिल सर के नाम से फेमस हैं.

सेवानिवृति के 2 साल बाद पढ़ाने जाते हैं परिहार

शिक्षक राघवेंद्र सिंह परिहार बताते हैं कि उन्हें सेवानिवृत हुए दो साल से अधिक का समय बीत गया है, लेकिन उनका स्कूल के बच्चों से मोह अब तक नहीं छूटा है. वे शासकीय माध्यमिक विद्यालय हाथीखाना में पदस्थ रहे और यहीं से उनकी सेवानिवृति हुई. उनका बच्चों से ऐसा मोह है कि वह प्रतिदिन स्कूल जाते हैं. स्कूल में जिस विषय की भी कक्षा खाली मिलती है वह उसी में जाकर बच्चों को पढ़ाना शुरू कर देते हैं. फिलहाल इन दिनों वह कक्षा 6वीं में छात्राओं की गणित की कक्षा में पढ़ा रहे हैं। इसके लिए उन्होंने स्कूल से अलग से कोई भी मानदेय नहीं लिया.

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