कानपुर: आपने बाजारों में बिकने वाले आम तो खूब खाए होंगे. आम खाने के शौखिन लोग जब बाजार में ठेलों पर इन्हें लगा देखते हैं तो वह इनकी ओर खींचे चले जाते है. शायद यही वजह है कि वह इन्हें खरीदने पर भी मजबूर हो जाते हैं. ऐसा हो भी क्यों न आखिर आम को फलों का राजा जो कहा जाता है.
ऐसे में अब आम के शौकीन लोगों के लिए एक बेहद अच्छी खबर निकलकर सामने आई है. कानपुर के चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय द्वारा पहली बार केमिकल रहित आम उगाने को लेकर एक शोध किया गया है. इसके सफल परिणाम भी देखने को मिले हैं. ऐसे में अब आम खाने के शौकीन लोगों बिना केमिकल के उगाए गए आम खाने को मिलेंगे.
ईटीवी भारत संवाददाता से खास बातचीत में चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के उद्यान विभाग के विभागध्यक्ष डॉ. विवेक कुमार त्रिपाठी ने बताया कि किसानों के द्वारा आम की जो अलग-अलग प्रजातियां तैयार की जाती हैं, उनमें कई तरह के केमिकल का छिड़काव किया जाता है.
ऐसे में आम की फसल में केमिकल के कुछ न कुछ तत्व आ ही जाते हैं. अब आम की फसल को किसान बिना रसायन का प्रयोग करे भी उगा सकेंगे. इसको लेकर पहली बार एक अनोखा शोध किया गया है. जिसके परिणाम भी काफी अच्छे देखने को मिले हैं.
उन्होंने बताया कि इस शोध में हमने आम को उगाने के लिए केमिकल की जगह ऑर्गेनिक फर्टिलाइजर, जीवामृत, बीजामृत, और पंचमृत का उपयोग किया है. इन सभी बायो-एनहांसर को मिलाकर ही आम की पैदावार की है. इसमें आम के साइज में भी काफी बढ़ोतरी देखने को मिली है. इसके साथ ही अब आम को काफी लंबे समय तक सुरक्षित भी रखा जा सकेगा, जिस वजह से इन्हें आसानी से विदेश तक में भी भेजा जा सकेगा.
चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय की उद्यान विभाग के विभाग अध्यक्ष डॉ.विवेक कुमार त्रिपाठी ने बताया कि उनके द्वारा जो यह शोध किया गया है. इसमें बायो-एनहांसर का इस्तेमाल कर आम्रपाली और दशहरी आमों की विशेष खेती की गई है. जिसके बेहद सफल परिणाम भी देखने को मिले हैं.
इसमें बिना किसी केमिकल का उपयोग कर आम की इन विशेष प्रजातियों को तैयार किया गया है. उन्होंने बताया कि, इन प्रजातियों को तैयार करने से आमों के प्रोडक्शन, उनके साइज उनकी मिठास और इनकी कैपेसिटी भी बड़ी है. जिससे इन्हें अब बड़े आसानी से विदेशो में भी भेजा जा सकेगा. इसके साथ ही आम से जुड़े कई अन्य उत्पादों को भी बनाया जा सकेगा.
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