बाराबंकी: Barabanki Lok Sabha Seat Result Date: कभी अफीम और अब मैंथा की खेती ने भी बाराबंकी की दूर-दूर तक पहचान कराई है. राजनीतिक क्षेत्र में भी बाराबंकी जिला हमेशा चर्चा में रहा है.
आजादी के बाद देश की पहली सरकार में मंत्री रहे कांग्रेसी नेता रफी अहमद किदवाई, प्रख्यात सोशलिस्ट रामसेवक यादव, अनंतराम जायसवाल, महंत जगजीवनदास, मोहसिना किदवाई और बेनी प्रसाद वर्मा जैसे कई दिग्गजों ने जिले की राजनीति को बड़े मुकाम तक पहुंचाया.
इसी का नतीजा है कि बाराबंकी के लोग अपने लोकतंत्र को बचाने के लिए हमेशा नए नए प्रयोग करते रहे हैं. साल 1977 में परिसीमन के बाद बाराबंकी लोकसभा सीट को सुरक्षित कर दिया गया और तब से यह सीट रिजर्व है.
आजादी के बाद से यहां के चुनावी इतिहास पर गौर करें तो पहले आम चुनाव 1951 में यहां से कांग्रेस के मोहन सक्सेना ने जीत हासिल की थी. दूसरे चुनाव 1957 में यहां से बतौर निर्दल उम्मीदवार राम सेवक यादव जीते थे. वर्ष 1962 में फिर राम सेवक यादव जीते लेकिन इस बार वे सोशलिस्ट पार्टी से चुनाव लड़े थे.
वर्ष 1967 में उन्होंने फिर पार्टी बदल दी और संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी से चुनाव लड़े और जबरदस्त जीत हासिल की. वर्ष 1971 में यहां से कांग्रेस के रुद्र प्रताप सिंह सांसद बने. वर्ष 1977 में भारतीय लोकदल से रामकिंकर रावत जीते. वर्ष 1980 में इन्होंने पार्टी बदल दी और जनता पार्टी सेकुलर से चुनाव जीते.
वर्ष 1984 के चुनाव में कांग्रेस ने पलटी मारी और कमला रावत जीते. वर्ष 1989 में जनता दल से रामसागर रावत सांसद चुने गए. वर्ष 1991 में रामसागर ने जनता पार्टी से चुनाव लड़ा और फिर सांसद बनने में कामयाब हुए.
वर्ष 1996 में रामसागर को समाजवादी पार्टी ने उम्मीदवार बनाया, इस बार भी रामसागर रावत भारी अंतर से चुनाव जीत गए. वर्ष 1998 में पहली बार यहां भाजपा ने दस्तक दी और यहां से बैजनाथ रावत ने इस सीट को फतह कर पहली बार भगवा फहरा दिया.
लेकिन वर्ष 1999 में भाजपा को हराकर सपा के राम सागर रावत ने फिर से इस सीट पर कब्जा जमा लिया. हालांकि उसके बाद धीरे धीरे यहां से समाजवादी किला ढहने लगा और दूसरे दल भी हावी होने लगे. वर्ष 2004 में बसपा पहली बार यहां से जीती जिसमें कमला रावत को सफलता मिली.
लेकिन वर्ष 2009 में कांग्रेस के पीएल पुनिया ने इस सीट पर कब्जा जमा लिया. भाजपा की लहर चली तो साल 2014 में फिर एक बार भाजपा ने अपना कमल खिलाया और यहां से प्रियंका रावत ने कांग्रेस के पीएल पूनिया को शिकस्त देकर इसे भाजपा की झोली में डाल दिया.
उसके बाद तो यह सीट भगवा रंग में रंगने लगी जिसका नतीजा यह हुआ कि साल 2019 में फिर यहां कमल खिला और उपेंद्र सिंह रावत जीते. 2024 में फिर से भाजपा अपना कमल खिलाने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा रही है. इन आंकड़ों को देखने से साफ जाहिर है कि बाराबंकी की जनता ने किसी भी पार्टी के कैंडिडेट को उसी दल से लगातार दोहराया नहीं है.
अब तक जीते प्रत्याशी
- वर्ष पार्टी विनर
- 1951 कांग्रेस मोहन मेहरोत्रा
- 1957 निर्दल रामसेवक यादव
- 1962 सोशलिस्ट पार्टी रामसेवक यादव
- 1967 संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी रामसेवक यादव
- 1971 कांग्रेस कुंवर रुद्र प्रताप सिंह
- 1977 भारतीय लोकदल राम किंकर रावत
- 1980 जनता पार्टी सेकुलर राम किंकर रावत
- 1984 कांग्रेस कमला प्रसाद रावत
- 1989 जनता दल रामसागर रावत
- 1991 जनता पार्टी रामसागर रावत
- 1996 समाजवादी पार्टी रामसागर रावत
- 1998 भाजपा बैजनाथ रावत
- 1999 समाजवादी पार्टी रामसागर रावत
- 2004 बहुजन समाज पार्टी कमला प्रसाद रावत
- 2009 कांग्रेस पीएल पूनिया
- 2014 भाजपा प्रियंका रावत
- 2019 भाजपा उपेंद्र सिंह रावत
जातिगत आंकड़ों की बात करें तो जिले में लगभग 23 फीसदी मुस्लिम और 23 फीसदी दलित वोटर्स हैं.जबकि सामान्य वोटर्स 22 फीसदी के करीब हैं तो 32 फीसदी के करीब हिन्दू ओबीसी वोटर्स हैं. बाराबंकी सुरक्षित लोकसभा सीट के लिए पांचवे चरण में यानी 20 मई को मतदान होना है.
पूरे जिले को 156 सेक्टर में बांटा गया है. जिले में कुल 19 लाख 11 हजार 666 वोटर्स हैं. जिनमें 10 लाख 10 हजार 81 पुरुष और 9 लाख 01 हजार 518 महिला वोटर्स हैं जबकि 67 वोटर्स थर्ड जेंडर के हैं. जिले में कुल 2615 पोलिंग स्टेशन्स हैं.
वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव की बात करें तो कुल 17 लाख 21 हजार 278 मतदाताओं में से 10 लाख 68 हजार 169 मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया था, जिनमे 6 लाख 11 हजार 146 पुरुषों और 4 लाख 57 हजार 015 महिलाओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया था.
पुरषों का वोट प्रतिशत 66.03 था तो वहीं महिलाओं का वोट प्रतिशत 57.48 था. वर्ष 2019 के आंकड़ों की बात करें तो कुल 18 लाख 16 हजार 830 मतदाताओं में से 6 लाख 37 हजार 599 पुरुषों ने वोट डाले थे तो वहीं 5 लाख 17 हजार 214 महिलाओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया था. वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में पुरुषों का वोट प्रतिशत 65.73 था तो वहीं महिलाओं का वोट प्रतिशत 61.08 था.
मुद्दों की बात करें तो हैदरगढ़ चौराहे पर ओवरब्रिज और नगर की बंकी रेलवे क्रासिंग एक बड़ा मुद्दा है. इसके अलावा बंद पड़ी बुढ़वल चीनी मिल को शुरू कराने के साथ साथ हर वर्ष जिले की तराई एरिया में आने वाली सरयू नदी की बाढ़ भी एक बड़ा मुद्दा है. बाढ़ से प्रभावित होने वालों के स्थायी निदान की बड़ी समस्या है.
बाराबंकी लोकसभा सीट में कुर्सी, रामनगर, जैदपुर, हैदरगढ़ और दरियाबाद विधानसभा क्षेत्र आते हैं. बाराबंकी जिला 4402 वर्ग किमी तक फैला है. वर्तमान में यहां की आबादी लगभग 40 लाख 30 हजार है. यहां की साक्षरता दर 61 फीसदी तो लिंगानुपात 910 है.
जिले में सरयू,गोमती,कल्याणी और रेट नदियां बहती हैं तो शारदा सहायक नहर जिले की हरियाली बनाये रखने में मदद करती है. राम का संदेश देने वाले महान सूफी संत हाजी वारिस अली शाह और महादेवा स्थित लोधेश्वर धाम ने जहां जिले का नाम देश विदेश तक पहुंचाया तो वहीं मशहूर शायर खुमार बाराबंकवी और प्रसिद्ध हॉकी खिलाड़ी केडी सिंह ने इसे विश्व स्तर पर पहचान दिलाई.
चहलारी नरेश ने यहीं अंग्रेजों के दांत खट्टे किये थे. सतनामी संत बाबा जगजीवन दास और मलामत शाह द्वारा यहां फैलाई गई आध्यात्मिक रोशनी को भला कौन भूल सकता है? स्थापना काल से ही साधु, संतों और पीर फकीरों के लिए यह ध्यान का केंद्र रहा है तो साहित्यिक लोगों के लिए साधना का केंद्र.
सभी मजहबों के लोगों को एक धागे में पिरोने वाले मशहूर सूफी संत हाजी वारिस अली शाह की देवां स्थित मजार हो या पौराणिक महादेवा धाम, महाभारत कालीन कुंतेश्वर मंदिर हो या पारिजात वृक्ष आज भी जिले की सांस्कृतिक पहचान की गवाही देते हैं.
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