कुचामनसिटी. शेरानी आबाद कस्बे में रविवार को 1 रुपये और नारियल लेकर निकाह का कार्यक्रम हुआ. जामा मस्जिद के इमाम मौलाना अब्दुल हकीम मिस्बाही ने निकाह करवाया. उन्होंने बताया कि निकाह को आसान करना चाहिए ताकि गरीब और आम लोगों की बेटियां घर से आसानी से रुखसती ले सकें. समाज में फिजूल खर्ची रोककर इसी पैसे से समाज में शिक्षा और दूसरे समाज सुधार के कार्य करने की आवश्यकता है. समाज में फैली विभिन्न कुरीतियों को घर से पहल करते हुए मिटाने की आवश्यकता है.
दरअसल, कस्बे के सूफिया मोहल्ला निवासी रमजान अली खान की पुत्री रोशन बानो का निकाह हमीदपुर निवासी हाजी मोहम्मद अली खान के पुत्र अली अकबर के साथ हुई. इस दौरान समस्त कार्यक्रम इस्लामी शरीयत और सुन्नत के तरीके से किए गए. समाजसेवी हाजी मोहम्मद अली ने कहा कि हमीदपुर का भुर खान परिवार काफी वर्षों से इसी परंपरा को निभाते हुए बिल्कुल सादगी से निकाह करता है, जिसकी समाज के लोग भी सराहना करते हैं.
दहेज प्रथा के खिलाफ इस परिवार के इस प्रशंसनीय कदम को संपूर्ण शेरानी आबाद के निवासी और विवाह में मौजूद सभी लोगों ने एक अनूठी और अनुकरणीय मिसाल बताया. साथ ही इस सादगी से हुई निकाह की तारीफ भी की. दूल्हे के पिता हाजी मोहम्मद अली ने बताया कि निकाह में दुल्हन ही वास्तविक दहेज है. इस बात को चरितार्थ करने में पूरा परिवार और रिश्तेदार प्रसन्न है. समाज में इस प्रकार की पहल को सराहनीय कदम बताया गया है.
न बैंड-बाजा न बाराती, फोटो ग्राफी भी नहीं हुई : शादी की खासियत यह रही कि इस निकाह में न ज्यादा बाराती आए, न बैंड-बाजा और न किसी तरह का संगीत और न ही फोटोग्राफी-वीडियोग्राफी हुई. परिवार के 11 लोग दूल्हे के साथ शेरानी आबाद पहुंचे. निकाह के बाद 11 आदमी को शरबत पिलाया गया और 1 रुपये और नारियल सलामी के रूप में देकर निकाह संपन्न करवाया गया. इसके बाद सादगी के साथ बाराती दुल्हन को अपने साथ ले गए. बता दें कि निकाह की रस्में 1 घंटे में पूरी की गई.