धमतरी: धमतरी के परसतराई गांव की अनोखी परंपरा चर्चा का विषय है. यहां शादी ब्याह में उपहार के तौर पर महंगे सामान नहीं दिए जाने का फैसला किया गया है. बल्कि विवाह में पौधे को गिफ्ट के तौर पर देने की शुरुआत की गई है. इस नई परंपरा की आज हर ओर तारीफ हो रही है. इस अनोखी पहल को लोग दुनिया को प्रेरित करने वाली पहल बता रहे हैं. विश्व में पर्यावरण को बचाने के लिए कई अभियान चलाए जा रहे हैं. उसमें इस तरह की परंपरा और पहल पर्यावरण संरक्षण का संदेश लोगों तक पहुंचाने का काम कर रही है.
धमतरी के परसतराई गांव की अनोखी परंपरा: धमतरी के परसतराई गांव के लोगों ने इस परंपरा की शुरुआत की है. इस गांव में जब कोई लड़की शादी कर पहली बार आती है तो उसे मुंह दिखाई में सोने चांदी के हार नहीं बल्कि एक पौधा देने का फैसला किया गया है. बुधवार को ऐसी ही शादी में इस अनोखी पहल की शुरुआत हुई है. इस रिवाज से पर्यावरण संरक्षण और पेड़ को सहेजने में मदद मिलेगी.
गांव के लोगों ने मिलकर लिया था फैसला: गांव के लोगों ने मिल बैठकर यह फैसला लिया कि इस गांव की जिस भी बेटी की शादी होगी तो उसे गिफ्ट के तौर पर छायादार पौधा दिया जाएगा. जब इस गांव में कोई भी लड़की शादी कर आएगी तो उसे मुंह दिखाई में पौधा दिया जाएगा. गांव वालों ने इस फैसले पर काम किया और आगे बढ़े. अब ये रिवाज एक मुहिम का रूप ले चुकी है. जिसकी आज शुरुआत की गई है.
हमारे गांव परसतराई के लोगों ने 5 जून 2024 विश्व पर्यावरण दिवस के दिए एक घोषणा की थी. इस दिन यह फैसला लिया गया कि जब गांव की बेटी विवाह कर ससुराल जाएगी तो उसे फलदार पौधा गिफ्ट में दिया जाएगा. जब दूसरे गांव की बेटी शादी कर यहां बहू के रूप में आएगी तो उनसे मुंह दिखाई में एक फलदार पौधा दिया जाएगा. आज इसकी शुरुआत हुई है. : परमानंद आडिल, सरपंच, परसतराई
इस अनोखी पहल की हुई शुरुआत: धमतरी में बुधवार को इस अनोखी पहल की शुरुआत हुई. जिस पर पांच जून 2024 को फैसला किया गया था. गांव के भूपेंद्र श्रीवास की शादी पेंडरवानी की वासिनी श्रीवास से हुई. शादी के बाद बुधवार को जब वासिनी श्रीवास परसतराई गांव पहुंची तो लोगों ने इस रिवाज की शुरुआत की. लोगों ने भूपेंद्र श्रीवास और वासिनी श्रीवास को मुंह दिखाई के तौर पर एक फलदार पौधा दिया. यह आंवले का पौधा था जिसे उन्होंने गिफ्ट में दिया. लोगों ने इसके साथ पर्यावरण संरक्षण की दिशा में शुरुआत की.
मैं गांव के लोगों और सरपंच जी को बधाई देता हूं कि उन्होंने पर्यावरण संरक्षण की दिशा में यह अच्छी पहल है. हम इस आंवले में पौधे का संरक्षण करेंगे: भूपेंद्र श्रीवास, दूल्हा
मेरा सौभाग्य है कि मैं इस गांव में एक बहू के रूप में आई हूं. हमे गांव के लोगों ने एक पौधा दिया है. पर्यावरण संरक्षण की इस पहल का मैं स्वागत करती हूं: वासिनी श्रीवास, दुल्हन
गांव के लोगों में इस परंपरा को लेकर खुशी: गांव के लोगों में इस परंपरा को लेकर खुशी है. गांव की महिला डिकेश्वरी सोनबेर और तोसमनी सोनबेर ने भी इस पहल की तारीफ की है. इसके साथ अन्य लोगों ने भी इस तरह की पहल को पर्यावरण और देश के लिए बेहतर पहल बताया.