वाराणसी : धर्म और अध्यात्म की नगरी काशी में सभी पर्व सौहार्दपूर्ण तरीके से मनाए जाते हैं. वहीं, वाराणसी के कतुआपुरा इलाके में मोहर्रम पर लोग काफी अकीदत व एहतराम के साथ इमाम चौक पर ताजिया स्थापित करते हैं. खास बात यह है कि यहां जिस जगह ताजिया रखी जाती है, वहां पर एक मंदिर भी है. यहां पिछले कई वर्षों से हिन्दू व मुस्लिम समुदाय के लोग मिल जुलकर हर त्योहार मनाते हैं. एक दूसरे के पर्व में शरीक होते हैं.
इलाके के मिर्जा इरफान बेग का कहना है कि यहां स्थित इमाम चौक के ही बगल में एक मंदिर है. यहां हर वर्ग के लोगों का काफी सहयोग रहता है. मोहर्रम की 10 तारीख को यहां ताजिया उठाई जाती है और लाट भैरव सरैया जाती है. हमारा यह इलाका हिन्दू-मुस्लिम एकता का प्रतीक कहा जाता है. एक तरफ हनुमान जी का मंदिर और एक तरफ इमाम चौक पर रखी हुई ताजिया, ऐसा नजारा आपको एकता भाईचारे का शायद ही कहीं और देखने को मिले. यहां हम सब मिल जुलकर रहते हैं. यहां किसी तरह का कोई भेदभाव नहीं है. हमारा बनारस शहर गंगा जमुनी तहजीब का शहर है, यहां हम लोग मिल जुलकर हर पर्व को मनाते हैं.
स्थानीय नागरिक अशोक यादव नायक ने बताया कि हमारे इस क्षेत्र में हर त्योहार मिल जुलकर मनाया जाता है. हमारे यहां दुर्गापूजा भी होती है, जिसमें हमारे मुस्लिम भाई भी पदाधिकारी होते हैं. मुस्लिम भाइयों का पूरा सहयोग हम लोगों के साथ रहता है. यहां हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी मोहर्रम पर ताजिया रखी गई है. यहां काफी अच्छे ढंग से यह मोहर्रम का पर्व मनाया जाता है. यहां कतुवापुरा के हिन्दू मुस्लिम समुदाय के लोग मिलकर हर त्योहार बड़े ही शान्ति व सौहार्द के साथ मनाते हैं.
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