ऊना: हिमाचल प्रदेश में हाल ही में हुए उपचुनावों में मिली हार के बाद ऊना में भाजपा की दो दिवसीय प्रदेश कार्यसमिति बैठक आयोजित की गई है. इस बैठक में भाजपा उपचुनावों में मिली हार पर मंथन करेगी. आज बीजेपी की प्रदेश कार्यसमिति बैठक के चार सत्र आयोजित किए गए हैं. अंतिम सत्र में केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल खट्टर मुख्य अतिथी के तौर पर शामिल होंगे. वहीं, 18 जुलाई को भाजपा प्रदेश अध्यक्ष डॉ. राजीव बिंदल की अध्यक्षता में भाजपा कोर कमेटी की बैठक संपन्न हुई थी.
भाजपा प्रदेश कार्यसमिति की अंतिम बैठक आज चार सत्रों में डॉ. राजीव बिंदल की अध्यक्षता में हो रही है. जिसके अंतिम सत्र में मुख्य अतिथि के रूप में केंद्र सरकार के शहरी विकास और ऊर्जा मंत्री मनोहर लाल खट्टर मौजूद रहेंगे. सूत्रों के अनुसार आज बीजेपी प्रदेश कार्यसमिति बैठक केंद्रीय मंत्री जेपी नड्डा की अध्यक्षता में होनी थी, लेकिन किन्हीं कारणवश जेपी नड्डा का हिमाचल दौरा रद्द हो गया. जिसके चलते अब इस बैठक की जिम्मेदारी मनोहर लाल खड्ड के ऊपर है.
उपचुनाव में भाजपा की हार के कारण
इस बैठक में भाजपा द्वारा उपचुनाव में भाजपा की हार के कारणों पर मंथन किया जाएगा. इसके अलावा उपचुनावों में पार्टी का समर्थन न करने वाले नेताओं पर भी कार्रवाई की जा सकती है. हालांकि भाजपा की हार के कई कारण मानें जा रहे हैं. जिनमें से बागियों को टिकट देने से लेकर भाजपा में भीतरघात शामिल है. भाजपा के प्रदेश महामंत्री एवं राज्यसभा सांसद डॉक्टर सिकंदर कुमार इस बैठक में चार सत्र आयोजित किए गए हैं. जिसमें राजनीतिक प्रस्ताव पारित करने के साथ-साथ पार्टी के आगामी कार्यक्रमों पर चर्चा होगी. जबकि लोकसभा चुनाव में पार्टी के बेहतरीन प्रदर्शन के साथ ही विधानसभा उपचुनाव में भी पार्टी के प्रदर्शन पर मंथन किया जाएगा. प्रदेश कार्यसमिति की बैठक में साल 2027 के विधानसभा चुनाव को लेकर रोड मैप तैयार किया जाएगा. सांसद सिकंदर कुमार ने कहा कि उपचुनाव में जिन प्रत्याशियों ने भीतरघात के आरोप लगाए हैं उनके आरोपों पर भी विचार मंथन किया जाएगा.
ये भाजपा नेता बैठक में उपस्थित
इस मौके पर प्रदेश के भाजपा प्रभारी श्रीकांत शर्मा, सह प्रभारी संजय टंडन, भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. राजीव बिंदल, नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर, सांसद अनुराग ठाकुर, सुरेश कश्यप, डॉ राजीव भारद्वाज, राज्यसभा सांसद हर्ष महाजन, डॉ. सिकंदर कुमार और इंदु गोस्वामी सहित सभी मंडलों के पदाधिकारी प्रदेश कार्यसमिति बैठक में उपस्थित हैं.
9 में से 6 सीटों पर भाजपा की हार
प्रदेश में लोकसभा चुनाव के साथ 6 सीटों पर 1 जून को उपचुनाव हुए. जिसमें भाजपा ने कांग्रेस के बागी पूर्व विधायकों को टिकट देकर चुनाव मैदान में उतारा. 4 जून को चुनावों के परिणाम घोषित हुए, जिसमें कांग्रेस की 6 में से 4 सीटों पर और भाजपा की 2 सीटों पर ही जीत हुई. 3 जून को स्पीकर ने निर्दलीय विधायकों का भी इस्तीफा स्वीकार कर लिया. 10 जुलाई को दोबारा तीन सीटों पर उपचुनाव हुए, जिसमें भाजपा ने दोबारा पूर्व निर्दलीय विधायकों को ही टिकट दिया. इसमें भी भाजपा सिर्फ 1 ही सीट जीत पाई, जबकि कांग्रेस की 2 सीटों पर जीत हुई थी. वहीं, लोकसभा चुनावों में भाजपा ने पीछले दो साल 2014 और साल 2019 के आम चुनावों की तरह बेहतरीन प्रदर्शन करते हुए चारों सीटों पर जीत हासिल की है.
क्यों हुए उपचुनाव?
गौरतलब है कि हिमाचल प्रदेश में 27 फरवरी को राज्यसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस के 6 विधायकों ने बगावत करते हुए बीजेपी उम्मीदवार के पक्ष में मतदान किया था. जिसके चलते 40 विधायकों वाली कांग्रेस पार्टी के प्रत्याशी को हार का सामना करना पड़ा था. विधानसभा स्पीकर कुलदीप पठानिया ने इन बागी विधायकों पर कार्रवाई करते हुए 29 फरवरी को इनकी सदन की सदस्यता से रद्द कर दिया था. जिसके बाद 22 मार्च को प्रदेश के तीन निर्दलीय विधायकों ने भी सदन की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया और कांग्रेस के 6 बागी पूर्व विधायकों के साथ भाजपा का दामन थाम लिया, लेकिन स्पीकर ने निर्दलीय विधायकों का इस्तीफा स्वीकार नहीं किया. जिसे स्पीकर ने 3 जून को स्वीकार किया. जिसके बाद प्रदेश में 9 सीटों पर विधानसभा उपचुनाव हुए.
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