UPS VS NPS VS OPS : केंद्रीय कर्मचारी लंबे समय से ओल्ड पेंशन स्कीम (OPS) को बहाल करने की मांग कर रहे थे. लेकिन सरकार ने उनकी नाराजगी दूर करने के लिए यूनीफाइड पेंशन स्कीम (UPS) लांच की है. हालांकि, इसके बाद भी काफी संख्या में केंद्रीय कर्मचारी यूपीएस की बजाय ओपीएस को लागू करने की मांग कर रहे हैं. इसके पीछे उनके वाजिब तर्क भी हैं. आइए समझते हैं, कि देश में चल रही तीनों पेंशन स्कीम में क्या अंतर है और कितनी बेहतर है यूनीफाइड पेंशन स्कीम.
एनपीएस, यानी नेशनल पेंशन स्कीम
अभी वर्तमान में केंद्र सरकार अपने कर्मचारियों को नेशनल पेंशन स्कीम का लाभ दे रही है. इसकी शुरुआत साल 2004 में की गई थी. एनपीएस में कर्मचारी को पेंशन के लिए बेसिक सैलरी और डीए का 10 प्रतिशत हिस्सा कटवाना पड़ता है. वहीं, रिटायरमेंट के बाद कर्मचारी केवल 60 प्रतिशत हिस्सा ही निकाल सकता है. जबकि 40 प्रतिशत हिस्सा एन्युटी प्लान में चला जाता था. उसी के आधार पर पेंशन की राशि तय की जाती थी. यानी कि एनपीएस में इंश्योर्ड पेंशन नहीं है, यह शेयर मार्केट पर निर्भर है. यह कर्मचारियों के लिए पूर्णतः सुरक्षित नहीं है, साथ ही इसमें एक्स्ट्रा टैक्स रिटर्न भी नहीं मिलता है.
ओपीएस की क्यों हो रही मांग
ओपीएस के तहत, रिटायरमेंट लेने वाले सरकारी कर्मचारियों को उनके अंतिम मूल वेतन का 50 फीसदी मासिक पेंशन के रूप में मिलता है. इसमें हर छह महीने में मंहगाई राहत दर भी प्रदान की जाती है. इसमें पेंशनर्स की मुत्यु होने पर उसके परिवार को एश्योर्ड पेंशन मिलती है. इसके लिए कर्मचारियों के वेतन से कोई कटौती नहीं की जाती है. सरकार ही पूरी राशि जमा करती है. वहीं रिटायर होने पर कर्मचारियों को 20 लाख रुपये तक की ग्रेज्युटी दी जाती है. केंद्रीय कर्मचारी समन्वय समिति के महासचिव यशवंत पुरोहित ने बताया कि "यूपीएस, एनपीएस से बेहतर और ओपीएस से कम बेहतर है. इसमें एश्योर्ड पेंशन मिलेगी. लेकिन इसमें कर्मचारियों को 10 फीसदी अंशदान करना पड़ेगा. जबकि ओपीएस में यह राशि सरकार देती थी."
इस प्रकार मिलेगा यूपीएस का लाभ
यूपीएस के तहत यदि कर्मचारी 25 वर्ष तक सेवा देता है, तो उसे एश्योर्ड पेंशन मिलेगी. इसमें फैमिली पेंशन, गारंटेड मिनिमम पेंशन और रिटायरमेंट के बाद एकमुश्त राशि दी जाएगी. इसके लिए कर्मचारी को 10 प्रतिशत अंशदान करना होगा. यूपीएस का लाभ एक जनवरी 2004 के बाद आने वाले और जो कर्मचारी 1 अप्रैल 2025 तक रिटायर होंगे, उनको मिलेगा. इसमें पेंशनभोगी के निधन के बाद उसके पेंशन में 60 फीसदी का भुगतान होगा. इसके साथ ही 60 फीसदी डीआर भी दिया जाएगा. इसमें एक अन्य विकल्प भी है, जिसमें यदि कोई कर्मचरी 10 साल की सेवा के बाद नौकरी छोड़ देता है तो उसे कम से कम 10 हजार रुपये की पेंशन मिलेगी.
समझिए ओपीएस, एनपीएस और यूपीएस में अंतर
- यूपीएस के तहत केंद्र सरकार के कर्मचारियों को लाभ दिया जाएगा. एनपीएस के तहत प्राइवेट और सरकारी दोनों कर्मचारी अकाउंट ओपन करा सकते हैं. जबकि, ओपीएस सिर्फ सरकारी कर्मचारियों के लिए है.
- ओपीएस में पेंशन के लिए वेतन से कोई कटौती नहीं होती है, जबकि एनपीएस में वेतन से 10 प्रतिशत (बेसिक डीए) की कटौती होती है. वहीं, यूपीएस में यही अमाउंट कटेगा. लेकिन सरकार की तरफ से 14 की जगह 18.5 प्रतिशत का योगदान किया जाएगा.
- ओपीएस में जीपीएफ की सुविधा है. जबकि, एनपीएस में यह सुविधा नहीं है. वहीं, यूपीएस में एकमुश्त राशि रिटायरमेंट के बाद दी जाएगी.
- एनपीएस शेयर बाजार से लिंक योजना है, जिसमें कंट्रीब्यूशन करने पर रिटायरमेंट के वक्त 60 फीसदी तक अमाउंट एकमुश्त और बाकी बचा 40 प्रतिशत अमाउंट एन्यूटी के तौर पर दिया जाता है. वहीं, यूपीएस और ओपीएस एक सुरक्षित योजना है.
- यूपीएस में रिटायरमेंट के तहत एक निश्चित पेंशन दी जाएगी, जो 12 महीने के एवरेज बेसिक पे का 50 फीसदी होगा. ओपीएस में रिटायरमेंट के समय में भी निश्चित पेंशन दी जाएगी, जो अंतिम मूल वेतन का 50 फीसदी होगा, जबकि एनपीएस में रिटायरमेंट के समय निश्चित पेंशन की कोई गारंटी नहीं है.
- ओपीएस में 6 महीने के बाद मिलने वाला महंगाई भत्ता (डीए) लागू होता है, जबकि एनपीएस में 6 महीने के बाद मिलने वाला महंगाई भत्ता लागू नहीं होता है. वहीं यूपीएस में महंगाई के हिसाब से मंहगाई राहत दिया जाएगा (कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स) से जोड़ा जाता है.
- यूपीएस में ग्रेच्युटी के अलावा एकमुस्त राशि रिटायरमेंट के वक्त दी जाएगी. ओपीएस में रिटायरमेंट के बाद 20 लाख रुपये तक ग्रेच्युटी मिलती है, जबकि एनपीएस में रिटायरमेंट के समय ग्रेच्युटी का अस्थायी प्रावधान है.
- यूपीएस में कर्मचारी की मौत हो जाने पर फैमिली पेंशन दिया जाएगा, ओपीएस में सेवा के दौरान मौत होने पर फैमिली पेंशन का प्रावधान है. लेकिन एनपीएस में सरकार जमा पैसे को जब्त कर लेती है.
- यूपीएस में ब्याज पर टैक्स लगेगा या नहीं ये अभी क्लियर नहीं है, जबकि ओपीएस में रिटायरमेंट पर जीपीएफ के ब्याज पर किसी प्रकार का इनकम टैक्स नहीं लगता है. वहीं एनपीएस में रिटायरमेंट पर शेयर बाजार के आधार पर जो पैसा मिलेगा, उस पर टैक्स देना पड़ेगा.
- ओपीएस में रिटायरमेंट के समय पेंशन पाने के लिए किसी प्रकार का इनवेस्ट नहीं करना पड़ता है, जबकि एनपीएस में रिटायरमेंट के समय पेंशन प्राप्ति के लिए एनपीएस फंड से 40 फीसदी पैसा इन्वेस्ट करना पड़ता है. वहीं, यूपीएस में भी इन्वेस्ट करने का कोई प्रावधान नहीं है.
- यूपीएस में 10 साल की सर्विस पर कम से कम 10 हजार रुपये पेंशन का प्रावधान है. ओपीएस में 40 फीसदी पेंशन कम्यूटेशन का प्रावधान है, जबकि ओपीएस में यह प्रावधान नहीं है.
- यूपीएस में मेडिकल फैसिलिटी दी जाएगी, जबकि ओपीएस में रिटायरमेंट के बाद मेडिकल फैसिलिटी है, लेकिन एनपीएस में इसका स्पष्ट प्रावधान नहीं है.