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नमामि गंगे प्रोजेक्ट में यूपी को मिली 73.39 करोड़ की लागत वाली पांच परियोजनाओं की मंजूरी - Namami Gange Projects in UP

राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन की 56वीं कार्यकारी समिति की बैठक में यूपी के लिए 73.39 करोड़ रुपये की लागत वाली पांच परियोजनाओं को मंजूरी मिली है. इनके माध्यम से नदी के संरक्षण और सफाई पर जोर दिया जाएगा.

National Clean Ganga Mission
गंगा और सहायक नदियों के कायाकल्प की योजना को भी मंजूरी मिली (Photo Credit- ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Aug 31, 2024, 6:23 PM IST

लखनऊ: राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (National Clean Ganga Mission) की 56वीं कार्यकारी समिति की बैठक में उत्तर प्रदेश के लिए 73.39 करोड़ रुपये की लागत वाली पांच परियोजनाओं को मंजूरी दी गई है. इन परियोजनाओं का उद्देश्य गंगा नदी के संरक्षण और सफाई के लिए कदम उठाना है. यह परियोजनाएं गंगा नदी के प्रदूषण को कम करने और उसके इको सिस्टम को सुधारने की दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगी.

बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर केंद्रीय विश्वविद्यालय, लखनऊ द्वारा प्रकृति-आधारित समाधानों के माध्यम से ऊपरी गोमती नदी बेसिन में निचले क्रम की धाराओं और सहायक नदियों के कायाकल्प की योजना को भी मंजूरी दी गई. इस परियोजना की अनुमानित लागत 81.09 लाख रुपये है. यह परियोजना बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि छोटी नदियां और धाराएं बड़ी नदियों के जल प्रवाह और पारिस्थितिकी तंत्र के लिए महत्वपूर्ण होती हैं.

दूसरी ओर बुलंदशहर जिले के गुलावठी में एक महत्वपूर्ण पर्यावरणीय परियोजना को मंजूरी दी गई है. इसका उद्देश्य गंगा की सहायक पूर्वी काली नदी के प्रदूषण को रोकना है. इस परियोजना के अंतर्गत इंटरसेप्शन एवं डायवर्सन के साथ ही दस एमएलडी (मिलियन लीटर प्रति दिन) क्षमता के सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) का भी निर्माण कराया जाएगा. इस परियोजना की कुल अनुमानित लागत 50.98 करोड़ रुपये है, जिसमें अगले 15 वर्ष के लिए रखरखाव और प्रबंधन भी शामिल है. राज्य सरकार को अगले चार माह के भीतर इस परियोजना के लिए आवश्यक भूमि उपलब्ध करानी होगी.

वाराणसी में नमामि गंगे और आईआईटी बीएचयू के बीच संस्थागत ढांचे के तहत वाराणसी में स्मार्ट लैबोरेटरी फॉर क्लीन रिवर परियोजना के सचिवालय की स्थापना की जाएगी. यह परियोजना भारत में छोटी नदियों के कायाकल्प के लिए एक महत्वाकांक्षी और महत्त्वपूर्ण पहल है. इस तरह की परियोजना का उद्देश्य नदियों को उनके प्राकृतिक रूप में वापस लाना, जल स्रोतों की रक्षा करना और पर्यावरणीय संतुलन को बहाल करना है. इसमें विश्वव्यापी विशेषज्ञता और संधारणीय प्रथाओं का उपयोग करके पानी की गुणवत्ता में सुधार, जल प्रबंधन के स्थायी तरीके और स्थानीय समुदायों की भागीदारी जैसी गतिविधियां शामिल हैं.

नमामि गंगे कार्यक्रम के तहत रायबरेली के डलमऊ में गंगा नदी के प्रदूषण को कम करने के लिए फीकल स्लज मैनेजमेंट परियोजना को मंजूरी दी गई है. इस परियोजना के तहत आठ केएलडी क्षमता वाले प्लांट के साथ 15 किलोवाट के सोलर पॉवर प्लांट की भी स्थापना की जाएगी. यह परियोजना डीबीओटी मॉडल पर आधारित है, जिसकी कुल लागत 4.40 करोड़ रुपये है. परियोजना में इसके रखरखाव और प्रबंधन के लिए पांच साल तक की अवधि भी शामिल है. यह पहल गंगा नदी के प्रदूषण को कम करने और स्थानीय समुदाय को स्वच्छता सेवाएं प्रदान करने के उद्देश्य से की गई है.


प्रयागराज के छिवकी रेलवे स्टेशन पर अर्थ गंगा केंद्र की स्थापना और स्टेशन की ब्रांडिंग की परियोजना को भी मंजूरी दी गई है. इस परियोजना की कुल लागत 1.80 करोड़ रुपये होगी. इसमें 68.70 लाख रुपये अगले पांच साल तक इसके रखरखाव और प्रबंधन के लिए खर्च किए जाएंगे. बैठक में यह भी सुझाव दिया गया कि गंगा बेसिन के हर राज्य में अर्थ गंगा केंद्रों का निर्माण किया जाना चाहिए. इस अर्थ गंगा केंद्र का मुख्य उद्देश्य महाकुंभ मेला और उसके बाद लोगों में गंगा और पर्यावरण के प्रति जागरूकता फैलाना है.

बैठक की अध्यक्षता राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन के महानिदेशक राजीव कुमार मित्तल ने की. बैठक में एनएमसीजी के उप महानिदेशक नलिन श्रीवास्तव, ईडी (प्रोजेक्ट) ब्रजेन्द्र स्वरूप, ईडी (तकनीकी) अनिल कुमार सक्सेना, ईडी (एडमिन) एसपी वशिष्ठ, ईडी (फाइनेंस) भास्कर दासगुप्ता और जल संसाधन विभाग, नदी विकास और गंगा संरक्षण, जल शक्ति मंत्रालय की संयुक्त सचिव और वित्तीय सलाहकार ऋचा मिश्रा समेत अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित रहे.

ये भी पढ़ें- दोस्तों के साथ गंगा नहाने गए स्वास्थ्य विभाग के डिप्टी डायरेक्टर गंगा में डूबे, पत्नी हैं जज - Unnao News

लखनऊ: राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (National Clean Ganga Mission) की 56वीं कार्यकारी समिति की बैठक में उत्तर प्रदेश के लिए 73.39 करोड़ रुपये की लागत वाली पांच परियोजनाओं को मंजूरी दी गई है. इन परियोजनाओं का उद्देश्य गंगा नदी के संरक्षण और सफाई के लिए कदम उठाना है. यह परियोजनाएं गंगा नदी के प्रदूषण को कम करने और उसके इको सिस्टम को सुधारने की दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगी.

बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर केंद्रीय विश्वविद्यालय, लखनऊ द्वारा प्रकृति-आधारित समाधानों के माध्यम से ऊपरी गोमती नदी बेसिन में निचले क्रम की धाराओं और सहायक नदियों के कायाकल्प की योजना को भी मंजूरी दी गई. इस परियोजना की अनुमानित लागत 81.09 लाख रुपये है. यह परियोजना बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि छोटी नदियां और धाराएं बड़ी नदियों के जल प्रवाह और पारिस्थितिकी तंत्र के लिए महत्वपूर्ण होती हैं.

दूसरी ओर बुलंदशहर जिले के गुलावठी में एक महत्वपूर्ण पर्यावरणीय परियोजना को मंजूरी दी गई है. इसका उद्देश्य गंगा की सहायक पूर्वी काली नदी के प्रदूषण को रोकना है. इस परियोजना के अंतर्गत इंटरसेप्शन एवं डायवर्सन के साथ ही दस एमएलडी (मिलियन लीटर प्रति दिन) क्षमता के सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) का भी निर्माण कराया जाएगा. इस परियोजना की कुल अनुमानित लागत 50.98 करोड़ रुपये है, जिसमें अगले 15 वर्ष के लिए रखरखाव और प्रबंधन भी शामिल है. राज्य सरकार को अगले चार माह के भीतर इस परियोजना के लिए आवश्यक भूमि उपलब्ध करानी होगी.

वाराणसी में नमामि गंगे और आईआईटी बीएचयू के बीच संस्थागत ढांचे के तहत वाराणसी में स्मार्ट लैबोरेटरी फॉर क्लीन रिवर परियोजना के सचिवालय की स्थापना की जाएगी. यह परियोजना भारत में छोटी नदियों के कायाकल्प के लिए एक महत्वाकांक्षी और महत्त्वपूर्ण पहल है. इस तरह की परियोजना का उद्देश्य नदियों को उनके प्राकृतिक रूप में वापस लाना, जल स्रोतों की रक्षा करना और पर्यावरणीय संतुलन को बहाल करना है. इसमें विश्वव्यापी विशेषज्ञता और संधारणीय प्रथाओं का उपयोग करके पानी की गुणवत्ता में सुधार, जल प्रबंधन के स्थायी तरीके और स्थानीय समुदायों की भागीदारी जैसी गतिविधियां शामिल हैं.

नमामि गंगे कार्यक्रम के तहत रायबरेली के डलमऊ में गंगा नदी के प्रदूषण को कम करने के लिए फीकल स्लज मैनेजमेंट परियोजना को मंजूरी दी गई है. इस परियोजना के तहत आठ केएलडी क्षमता वाले प्लांट के साथ 15 किलोवाट के सोलर पॉवर प्लांट की भी स्थापना की जाएगी. यह परियोजना डीबीओटी मॉडल पर आधारित है, जिसकी कुल लागत 4.40 करोड़ रुपये है. परियोजना में इसके रखरखाव और प्रबंधन के लिए पांच साल तक की अवधि भी शामिल है. यह पहल गंगा नदी के प्रदूषण को कम करने और स्थानीय समुदाय को स्वच्छता सेवाएं प्रदान करने के उद्देश्य से की गई है.


प्रयागराज के छिवकी रेलवे स्टेशन पर अर्थ गंगा केंद्र की स्थापना और स्टेशन की ब्रांडिंग की परियोजना को भी मंजूरी दी गई है. इस परियोजना की कुल लागत 1.80 करोड़ रुपये होगी. इसमें 68.70 लाख रुपये अगले पांच साल तक इसके रखरखाव और प्रबंधन के लिए खर्च किए जाएंगे. बैठक में यह भी सुझाव दिया गया कि गंगा बेसिन के हर राज्य में अर्थ गंगा केंद्रों का निर्माण किया जाना चाहिए. इस अर्थ गंगा केंद्र का मुख्य उद्देश्य महाकुंभ मेला और उसके बाद लोगों में गंगा और पर्यावरण के प्रति जागरूकता फैलाना है.

बैठक की अध्यक्षता राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन के महानिदेशक राजीव कुमार मित्तल ने की. बैठक में एनएमसीजी के उप महानिदेशक नलिन श्रीवास्तव, ईडी (प्रोजेक्ट) ब्रजेन्द्र स्वरूप, ईडी (तकनीकी) अनिल कुमार सक्सेना, ईडी (एडमिन) एसपी वशिष्ठ, ईडी (फाइनेंस) भास्कर दासगुप्ता और जल संसाधन विभाग, नदी विकास और गंगा संरक्षण, जल शक्ति मंत्रालय की संयुक्त सचिव और वित्तीय सलाहकार ऋचा मिश्रा समेत अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित रहे.

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