लखनऊ: ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड और देशभर की मुस्लिम संगठनों ने उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code) के लागू होने पर विरोध जताते हुए लोकतांत्रिक और संवैधानिक मूल्यों पर हमला करार दिया है. मुस्लिम नेताओं ने आरोप लगाया कि संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) ने मुसलमानों के संवैधानिक अधिकारों, भावनाओं को नजरअंदाज कर और विपक्ष के सुझावों को दरकिनार कर बिल को मंजूरी देने की सिफारिश की है.
यूसीसी कानून असंवैधानिक और लोकतंत्र के खिलाफः मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के अनुसार, उत्तराखंड में यूसीसी का कानून राज्य की सीमाओं से बाहर जाकर बनाया गया है, जो असंवैधानिक और अल्पसंख्यकों के मौलिक अधिकारों पर हमला है. बोर्ड ने कहा कि भारतीय संविधान हर नागरिक को अपने धर्म का पालन करने और धार्मिक मान्यताओं पर अमल की आजादी देता है. शरियत का पालन मुसलमानों के लिए इस्लाम का अभिन्न हिस्सा है, जिसे शरियत एप्लिकेशन एक्ट 1937 के तहत सुरक्षा दी गई है. बोर्ड ने यह भी कहा कि उत्तराखंड यूसीसी को कानूनी चुनौती दी जाएगी. बोर्ड ने अन्य धर्मों के साथ मिलकर जुलाई 2024 में प्रेस कॉन्फ्रेंस के माध्यम से स्पष्ट कर दिया था कि यूसीसी किसी भी कीमत पर स्वीकार नहीं किया जाएगा.
वक्फ संपत्तियों पर हमला बर्दाश्त नहींः वक्फ संशोधन विधेयक 2024 पर भी बोर्ड ने गंभीर चिंता जताई. मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड और अन्य मुस्लिम संगठनों ने इसे मुसलमानों की संपत्तियों और धार्मिक अधिकारों पर हमला बताया. बोर्ड ने कहा कि जेपीसी ने संसदीय परंपराओं और लोकतांत्रिक मूल्यों की अनदेखी कर यह सिफारिश की. बोर्ड ने दावा किया कि मुसलमानों ने करोड़ों ईमेल भेजकर और लिखित रूप से बिल का विरोध किया था. अकेले बोर्ड के प्रयासों से 3.66 करोड़ ईमेल भेजे गए, जबकि अन्य संगठनों ने भी लाखों की संख्या में अपने विरोध दर्ज कराए.
आंदोलन का ऐलानः ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने सरकार को चेतावनी दी है कि यदि वक्फ संशोधन बिल वापस नहीं लिया गया तो देशव्यापी आंदोलन छेड़ा जाएगा. बोर्ड ने कहा कि यह अल्पसंख्यकों की संपत्तियों को कब्जाने का प्रयास है, जिसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. बोर्ड ने कहा कि यदि जरूरत पड़ी तो मुसलमान लोकतांत्रिक और संवैधानिक तरीकों का इस्तेमाल करते हुए सड़कों पर उतरेंगे और जेल जाने से भी नहीं डरेंगे. विपक्षी दलों से भी अपील की कि वे संसद में इस बिल का पुरजोर विरोध करें.