नई दिल्ली: दिल्ली की कड़कड़डूमा कोर्ट में बुधवार को दिल्ली हिंसा मामले के आरोपी उमर खालिद की जमानत याचिका पर सुनवाई हुई. इस दौरान उमर खालिद की ओर से कहा गया कि आरोपियों से मिलने का मतलब आतंकी गतिविधि नहीं है. उमर खालिद की ओर से पेश वकील त्रिदिप पेस ने कहा कि अगर उमर के पिता इंटरव्यू देते हैं, इसका मतलब ये नहीं की उसे जमानत नहीं दी जा सकती है. एडिशनल सेशंस जज समीर बाजपेयी ने जमानत याचिका पर अगली सुनवाई 24 अप्रैल को करने का आदेश दिया.
सुनवाई के दौरान त्रिदिप पेस ने कहा कि इस बात का कोई साक्ष्य नहीं है कि आतंकी गतिविधि को अंजाम दिया गया. उमर खालिद के खिलाफ यूएपीए की धारा 15 नहीं लगाई जा सकती. पेस ने अभियोजन पक्ष की इस दलील को खारिज कर दिया कि उमर खालिद ने गुप्त बैठकें की. उन्होंने कहा कि अभियोजन पक्ष ये कह रहा कि उमर खालिद, ताहिर हुसैन और खालिद सैफी पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया के दफ्तर में मिले. अभियोजन के इस कथन का आधार केवल गवाह का बयान और सीडीआर है. उन्होंने पूछा कि क्या जमानत नहीं देने के लिए सीडीआर पर भरोसा किया जा सकता है.
बता दें, 9 अप्रैल को दिल्ली पुलिस की ओर से दलीलें पूरी कर ली गई थी. सुनवाई के दौरान दिल्ली पुलिस की ओर से स्पेशल पब्लिक प्रोसिक्यूटर अमित प्रसाद ने कहा था कि उमर खालिद की जमानत याचिका दिल्ली हाईकोर्ट खारिज कर चुका है. उन्होंने कहा था कि हाईकोर्ट ने सेशंस कोर्ट के जमानत खारिज करने के फैसले पर पूरी सहमति जताई थी. उन्होंने कहा था कि जमानत पर विचार करते समय सभी तथ्यों पर विचार किया जाना चाहिए.
उमर खालिद की ओर से कहा गया था कि दूसरे आरोपियों के खिलाफ हमसे गंभीर आरोप हैं और वे जमानत पर हैं. उन्हें तो दिल्ली पुलिस ने आरोपी भी नहीं बनाया था. उमर खालिद की ओर से पेश वकील त्रिदीप पेस ने कहा था कि जिन तथ्यों के आधार पर तीन आरोपियों को जमानत दी गई. वहीं तथ्य उमर खालिद के साथ भी हैं. उन्होंने समानता के सिद्धांत की बात करते हुए जमानत देने की मांग की थी.
बता दें, उमर खालिद को 2020 के दिल्ली दंगों के पीछे कथित बड़ी साजिश के मामले में गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम के तहत गिरफ्तार किया गया था. फिलहाल वो जेल में है. इससे पहले 18 अक्टूबर 2022 को दिल्ली हाईकोर्ट ने उमर खालिद की जमानत याचिका खारिज कर दिया था. हाईकोर्ट ने कहा था कि नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ विरोध प्रदर्शन और उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुई हिंसा दिसंबर 2019 और फरवरी 2020 के बीच हुई बैठकों का नतीजा थी, जिनमें उमर खालिद भी शामिल हुआ था.