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विक्रमोत्सव का होने जा रहा भव्य आगाज, 125 दिन रहेगी धूम, मोहन यादव ने की पूजा - VIKRAMOTSAV 2025

राजा विक्रमादित्य की नगरी उज्जैन में 26 फरवरी से विक्रमोत्सव की शुरूआत होगी. 30 जून को इसका समापन होगा. इस दौरान कई कार्यक्रम भी होंगे.

MOHAN YADAV ANGARESHWAR TEMPLE
मोहन यादव ने अंगारेश्वर मंदिर में किया दर्शन-पूजन (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Feb 16, 2025, 4:30 PM IST

उज्जैन: बाबा महाकाल और राजा राजविक्रमदित्य की नगरी उज्जैन में विक्रमोत्सव की शुरूआत महाशिवरात्रि के अवसर पर 26 फरवरी से होगी. 30 जून को इसका समापन होगा. 125 दिनों तक चलने वाला यह भव्य आयोजन धार्मिक, सांस्कृतिक और बौद्धिक कार्यक्रमों की एक अनूठी श्रृंखला प्रस्तुत करेगा. जिसमें व्यापार मेला भी लगेगा. इस अवसर पर कई प्रसिद्ध संगीतकारों की शानदार प्रस्तुति भी देखने को मिलेगी. मुख्यमंत्री मोहन यादव भी कार्यक्रम में शामिल होंगे.

कई प्रसिद्ध संगीतकार देंगे अपनी प्रस्तुति

विक्रमोत्सव-2025 में कई गायकों की शानदार प्रस्तुति होगी. जिसमें प्रसिद्ध गायक हंसराज रघुवंशी और आनंदम शिवमणि अपनी सांगीत की छटा बिखेरेंगे. गुड़ी पड़वा के अवसर पर 30 मार्च को क्षिप्रा नदी के तट पर गायक सुखविंदर सिंह और मोहित चौहान अपनी सुरमई प्रस्तुति देंगे. इस दौरान प्रतिष्ठित 'सम्राट विक्रमादित्य राष्ट्रीय सम्मान' भी प्रदान किया जाएगा. जिसकी पुरस्कार राशि 21 लाख रुपए होगी. इसके अलावा तीन राज्य स्तरीय सम्राट विक्रमादित्य शिखर सम्मान, जिनकी राशि 5-5 लाख रुपये है, भी दिए जाएंगे.

125 दिनों तक उत्सव का अद्भुत संगम (ETV Bharat)

125 दिनों तक उत्सव का अद्भुत संगम

मुख्यमंत्री मोहन यादव के संस्कृति सलाहकार एवं सम्राट विक्रमादित्य शोधपीठ के निदेशक श्रीराम तिवारी ने बताया कि "इस वर्ष के आयोजन में जल-गंगा अभियान और विज्ञान मेले को भी जोड़ा गया है, जिससे आयोजन और भी भव्य होगा. 26 फरवरी कलश यात्रा, विंटेज कार और स्पोर्ट्स बाइक शो, जनजातीय कलाकारों की प्रस्तुतियां, वैदिक घड़ी एप का लोकार्पण, सिंहस्थ 2028 की रूपरेखा पर विमर्श, आनंदम शिवमणि और हंसराज रघुवंशी की प्रस्तुति, व्यापार मेला आदि कार्यक्रम आयोजित होंगे."

विक्रमोत्सव कार्यक्रम की समय सारिणी

  1. 27 फरवरी: आर्ष भारत पर प्रदर्शनी और शोध संगोष्ठी
  2. 1 से 3 मार्च: 'विक्रमादित्य का न्याय' पर वैचारिक समागम
  3. 4 से 7 मार्च: उज्जयिनी नाट्य और नृत्य समारोह
  4. 8 मार्च: अखिल भारतीय कवि सम्मेलन
  5. 10 से 20 मार्च: जनजातीय संस्कृति पर आधारित नाट्य रंग महोत्सव
  6. 10 से 12 मार्च: अंतर्राष्ट्रीय इतिहास समागम
  7. 15 से 16 मार्च: शोध संगोष्ठी
  8. 21 से 25 मार्च: पौराणिक फिल्मों का अंतर्राष्ट्रीय महोत्सव
  9. 21 से 29 मार्च: विक्रम नाट्य समारोह, वेद अंताक्षरी, अखिल भारतीय कवि सम्मेलन
  10. 26 से 28 मार्च: राष्ट्रीय विज्ञान समागम
  11. 30 मार्च: सूर्य उपासना, भव्य आतिशबाजी, सुखविंदर सिंह और मोहित चौहान की प्रस्तुति, सम्राट विक्रमादित्य राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय सम्मान प्रदान किए जाएंगे
  12. 30 मार्च से 30 जून: प्रदेश के विभिन्न जिलों में जल-गंगा अभियान
  13. 1 अप्रैल से 30 जून: मध्य प्रदेश के जिलों में पर्यावरण और जलीय संरचनाओं पर आधारित गतिविधियां
  14. 12 से 14 अप्रैल: नई दिल्ली में विक्रमोत्सव के विशेष कार्यक्रम

मोहन यादव ने अंगारेश्वर मंदिर में किया दर्शन

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने रविवार को अंगारेश्वर मंदिर में दर्शन कर प्रदेशवासियों के लिए मंगलकामना की. साथ ही, दिल्ली में हुए ट्रेन हादसे पर गहरा दुख व्यक्त किया और मृतकों को श्रद्धांजलि अर्पित की. डॉ. यादव ने कहा, "उज्जैन केवल महाकाल की नगरी ही नहीं, बल्कि श्रीकृष्ण की शिक्षास्थली भी है. यहां खगोलीय दृष्टि से भी विशेष महत्व है, क्योंकि इसे मंगल ग्रह की जन्मस्थली माना जाता है. मंगल दोष निवारण के लिए भक्त यहां भात पूजा करवाते हैं, जिससे उनकी बाधाएं दूर होती हैं."

उज्जैन: बाबा महाकाल और राजा राजविक्रमदित्य की नगरी उज्जैन में विक्रमोत्सव की शुरूआत महाशिवरात्रि के अवसर पर 26 फरवरी से होगी. 30 जून को इसका समापन होगा. 125 दिनों तक चलने वाला यह भव्य आयोजन धार्मिक, सांस्कृतिक और बौद्धिक कार्यक्रमों की एक अनूठी श्रृंखला प्रस्तुत करेगा. जिसमें व्यापार मेला भी लगेगा. इस अवसर पर कई प्रसिद्ध संगीतकारों की शानदार प्रस्तुति भी देखने को मिलेगी. मुख्यमंत्री मोहन यादव भी कार्यक्रम में शामिल होंगे.

कई प्रसिद्ध संगीतकार देंगे अपनी प्रस्तुति

विक्रमोत्सव-2025 में कई गायकों की शानदार प्रस्तुति होगी. जिसमें प्रसिद्ध गायक हंसराज रघुवंशी और आनंदम शिवमणि अपनी सांगीत की छटा बिखेरेंगे. गुड़ी पड़वा के अवसर पर 30 मार्च को क्षिप्रा नदी के तट पर गायक सुखविंदर सिंह और मोहित चौहान अपनी सुरमई प्रस्तुति देंगे. इस दौरान प्रतिष्ठित 'सम्राट विक्रमादित्य राष्ट्रीय सम्मान' भी प्रदान किया जाएगा. जिसकी पुरस्कार राशि 21 लाख रुपए होगी. इसके अलावा तीन राज्य स्तरीय सम्राट विक्रमादित्य शिखर सम्मान, जिनकी राशि 5-5 लाख रुपये है, भी दिए जाएंगे.

125 दिनों तक उत्सव का अद्भुत संगम (ETV Bharat)

125 दिनों तक उत्सव का अद्भुत संगम

मुख्यमंत्री मोहन यादव के संस्कृति सलाहकार एवं सम्राट विक्रमादित्य शोधपीठ के निदेशक श्रीराम तिवारी ने बताया कि "इस वर्ष के आयोजन में जल-गंगा अभियान और विज्ञान मेले को भी जोड़ा गया है, जिससे आयोजन और भी भव्य होगा. 26 फरवरी कलश यात्रा, विंटेज कार और स्पोर्ट्स बाइक शो, जनजातीय कलाकारों की प्रस्तुतियां, वैदिक घड़ी एप का लोकार्पण, सिंहस्थ 2028 की रूपरेखा पर विमर्श, आनंदम शिवमणि और हंसराज रघुवंशी की प्रस्तुति, व्यापार मेला आदि कार्यक्रम आयोजित होंगे."

विक्रमोत्सव कार्यक्रम की समय सारिणी

  1. 27 फरवरी: आर्ष भारत पर प्रदर्शनी और शोध संगोष्ठी
  2. 1 से 3 मार्च: 'विक्रमादित्य का न्याय' पर वैचारिक समागम
  3. 4 से 7 मार्च: उज्जयिनी नाट्य और नृत्य समारोह
  4. 8 मार्च: अखिल भारतीय कवि सम्मेलन
  5. 10 से 20 मार्च: जनजातीय संस्कृति पर आधारित नाट्य रंग महोत्सव
  6. 10 से 12 मार्च: अंतर्राष्ट्रीय इतिहास समागम
  7. 15 से 16 मार्च: शोध संगोष्ठी
  8. 21 से 25 मार्च: पौराणिक फिल्मों का अंतर्राष्ट्रीय महोत्सव
  9. 21 से 29 मार्च: विक्रम नाट्य समारोह, वेद अंताक्षरी, अखिल भारतीय कवि सम्मेलन
  10. 26 से 28 मार्च: राष्ट्रीय विज्ञान समागम
  11. 30 मार्च: सूर्य उपासना, भव्य आतिशबाजी, सुखविंदर सिंह और मोहित चौहान की प्रस्तुति, सम्राट विक्रमादित्य राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय सम्मान प्रदान किए जाएंगे
  12. 30 मार्च से 30 जून: प्रदेश के विभिन्न जिलों में जल-गंगा अभियान
  13. 1 अप्रैल से 30 जून: मध्य प्रदेश के जिलों में पर्यावरण और जलीय संरचनाओं पर आधारित गतिविधियां
  14. 12 से 14 अप्रैल: नई दिल्ली में विक्रमोत्सव के विशेष कार्यक्रम

मोहन यादव ने अंगारेश्वर मंदिर में किया दर्शन

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने रविवार को अंगारेश्वर मंदिर में दर्शन कर प्रदेशवासियों के लिए मंगलकामना की. साथ ही, दिल्ली में हुए ट्रेन हादसे पर गहरा दुख व्यक्त किया और मृतकों को श्रद्धांजलि अर्पित की. डॉ. यादव ने कहा, "उज्जैन केवल महाकाल की नगरी ही नहीं, बल्कि श्रीकृष्ण की शिक्षास्थली भी है. यहां खगोलीय दृष्टि से भी विशेष महत्व है, क्योंकि इसे मंगल ग्रह की जन्मस्थली माना जाता है. मंगल दोष निवारण के लिए भक्त यहां भात पूजा करवाते हैं, जिससे उनकी बाधाएं दूर होती हैं."

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