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चिंतामन गणेश ने किया चिंतामुक्त तो सिद्धिविनायक ने पूरी की मनोकामनाएं, जानिए कैसे? - UJJAIN TIL CHATURTHI CELEBRATION

उज्जैन स्थित भगवान गणेश के मंदिरों में अलसुबह से भक्त जुटने लगे. तिल चतुर्थी के दिन दर्शन मात्र से सभी मनोकामनाएं पूरी होती है.

Ujjain Til Chaturthi celebration
तिल चतुर्थी पर भगवान गणेश को विशेष भोग (ETV BHARAT)
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Jan 17, 2025, 4:45 PM IST

उज्जैन : माघ महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को भगवान गणेश की पूजा के लिए विशेष दिन माना जाता है. इसे तिल चतुर्थी भी कहते हैं. इस विशेष दिन पर उज्जैन स्थित चिंतामन गणेश मंदिर और महाकालेश्वर मंदिर में स्थित सिद्धिविनायक मंदिर में भक्तों की भीड़ उमड़ी. भक्तों ने भगवान गणेश की विशेष पूजा-अर्चना कर संकष्टी चतुर्थी का व्रत रखा. ऐसा माना जाता है कि इस दिन भगवान की पूजा करने से सौभाग्य और संतान को लंबी उम्र मिलती है. इसीलिए यही कामना को लेकर महिलाओं के साथ पुरुषों ने भी गणेश मंदिरों में विशेष अनुष्ठान किए.

गणेश जी को तिली की 56 प्रकार मिठाई का भोग

महाकालेश्वर मंदिर स्थित सिद्धिविनायक मंदिर में तिली की 56 प्रकार की मिठाई का भोग लगाया गया. यहां पूजा करने के लिए नगर निगम सभापति कलावती यादव, महानिर्वाणी अखाड़े के महंत विनीत गिरी महाराज, महाकाल मंदिर के पुजारी प्रदीप गुरु और सिद्धिविनायक मंदिर के चम्मू गुरु उपस्थित रहे. सभी ने मिलकर भगवान गणेश की महाआरती की. इसके बाद तिली का बना हुआ प्रसाद श्रद्धालुओं को वितरित किया. बता दें कि शुक्रवार को श्री महाकालेश्वर मंदिर परिसर स्थित श्री सिद्धिविनायक गणेश मंदिर, चिंतामन गणेश मंदिर और बड़ा गणेश मंदिर में आकर्षक सजावट की गई. इन सभी गणेश मंदिरों में अभिषेक, आरती, अनुष्ठान और महाप्रसादी के आयोजन हुए. भक्तों ने भगवान को तिल और गुड़ से बने पकवानों का भोग अर्पित किया.

तिल चतुर्थी पर भगवान गणेश की विशेष पूजा (ETV BHARAT)
Ujjain Til Chaturthi celebration
उज्जैन स्थित भगवान गणेश के मंदिरों में सुबह विशेष आरती (ETV BHARAT)
Ujjain Til Chaturthi celebration
माघी संकष्टी चतुर्थी पर सिद्धिविनायक मंदिर में पूजा (ETV BHARAT)

माघी संकष्टी चतुर्थी का क्या है महत्व

सालभर में आने वाली 12 संकष्टी चतुर्थियों में माघ महीने की यह तिथि विशेष मानी जाती है. इस दिन भगवान गणेश को तिल-गुड़ से बने प्रसाद चढ़ाने का अत्यधिक महत्व है. इसीलिए शुक्रवार को दिनभर गणेश मंदिरों में भीड़ रही. मान्यता है कि इस दिन गणपति के दर्शन मात्र से ही भक्तों के सभी कार्य सिद्ध हो जाते हैं. महिलाओं ने शुक्रवार को परिवार की सुख-समृद्धि के लिए निर्जला व्रत रखा.तिल और गुड़ से बने प्रसाद के साथ चंद्रमा को अर्घ्य देकर व्रत का समापन किया जाएगा.

उज्जैन : माघ महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को भगवान गणेश की पूजा के लिए विशेष दिन माना जाता है. इसे तिल चतुर्थी भी कहते हैं. इस विशेष दिन पर उज्जैन स्थित चिंतामन गणेश मंदिर और महाकालेश्वर मंदिर में स्थित सिद्धिविनायक मंदिर में भक्तों की भीड़ उमड़ी. भक्तों ने भगवान गणेश की विशेष पूजा-अर्चना कर संकष्टी चतुर्थी का व्रत रखा. ऐसा माना जाता है कि इस दिन भगवान की पूजा करने से सौभाग्य और संतान को लंबी उम्र मिलती है. इसीलिए यही कामना को लेकर महिलाओं के साथ पुरुषों ने भी गणेश मंदिरों में विशेष अनुष्ठान किए.

गणेश जी को तिली की 56 प्रकार मिठाई का भोग

महाकालेश्वर मंदिर स्थित सिद्धिविनायक मंदिर में तिली की 56 प्रकार की मिठाई का भोग लगाया गया. यहां पूजा करने के लिए नगर निगम सभापति कलावती यादव, महानिर्वाणी अखाड़े के महंत विनीत गिरी महाराज, महाकाल मंदिर के पुजारी प्रदीप गुरु और सिद्धिविनायक मंदिर के चम्मू गुरु उपस्थित रहे. सभी ने मिलकर भगवान गणेश की महाआरती की. इसके बाद तिली का बना हुआ प्रसाद श्रद्धालुओं को वितरित किया. बता दें कि शुक्रवार को श्री महाकालेश्वर मंदिर परिसर स्थित श्री सिद्धिविनायक गणेश मंदिर, चिंतामन गणेश मंदिर और बड़ा गणेश मंदिर में आकर्षक सजावट की गई. इन सभी गणेश मंदिरों में अभिषेक, आरती, अनुष्ठान और महाप्रसादी के आयोजन हुए. भक्तों ने भगवान को तिल और गुड़ से बने पकवानों का भोग अर्पित किया.

तिल चतुर्थी पर भगवान गणेश की विशेष पूजा (ETV BHARAT)
Ujjain Til Chaturthi celebration
उज्जैन स्थित भगवान गणेश के मंदिरों में सुबह विशेष आरती (ETV BHARAT)
Ujjain Til Chaturthi celebration
माघी संकष्टी चतुर्थी पर सिद्धिविनायक मंदिर में पूजा (ETV BHARAT)

माघी संकष्टी चतुर्थी का क्या है महत्व

सालभर में आने वाली 12 संकष्टी चतुर्थियों में माघ महीने की यह तिथि विशेष मानी जाती है. इस दिन भगवान गणेश को तिल-गुड़ से बने प्रसाद चढ़ाने का अत्यधिक महत्व है. इसीलिए शुक्रवार को दिनभर गणेश मंदिरों में भीड़ रही. मान्यता है कि इस दिन गणपति के दर्शन मात्र से ही भक्तों के सभी कार्य सिद्ध हो जाते हैं. महिलाओं ने शुक्रवार को परिवार की सुख-समृद्धि के लिए निर्जला व्रत रखा.तिल और गुड़ से बने प्रसाद के साथ चंद्रमा को अर्घ्य देकर व्रत का समापन किया जाएगा.

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