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कान्ह और सरस्वती नदियों के कैचमेंट में बने 1500 मकान तोड़े जाएंगे, शिप्रा की धार रहेगी अविरल - Ujjain Simhastha 2028

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By PTI

Published : Aug 30, 2024, 3:40 PM IST

Updated : Aug 30, 2024, 3:58 PM IST

उज्जैन में 2028 में होने वाले सिंहस्थ की तैयारियां जारी हैं. इसके तहत इंदौर में कान्ह और सरस्वती नदियों के कैचमेट एरिया में बने मकानों को तोड़ा जाएगा. अभी तक 1500 मकान चिह्नित किए गए हैं. इन मकानों को हटाने का निर्णय इंदौर जिला प्रशासन ने लिया है.

Ujjain Simhastha 2028
इंदौर की कान्ह व सरस्वती नदियों के कैचमेंट के मकान टूटेंगे (ETV BHARAT)

इंदौर (PTI)। उज्जैन सिंहस्थ 2028 की तैयारियों में इंदौर जिला प्रशासन भी जुटा है. शिप्रा नदी में सतत जल प्रवाह के लिए इंदौर जिला प्रशासन ने कान्ह और सरस्वती नदियों के किनारे हुए अतिक्रमण को हटाने की तैयारी की है. इन दोनों नदियों के जलग्रहण क्षेत्रों में अतिक्रमण कर बनाए गए लगभग 1,500 अस्थायी मकानों पर बुलडोजर चलाया जाएगा. यह फैसला शिप्रा नदी को प्रदूषण मुक्त बनाने के अभियान के तहत किया गया है.

एक सप्ताह में टूटेंगे डेढ़ हजार से ज्यादा मकान

बता दें कि उज्जैन में हर 12 साल में सिंहस्थ मेला आयोजित किया जाता है. उज्जैन में सिंहस्थ के दौरान हजारों हिंदू शिप्रा में पवित्र स्नान करते हैं. हिंदू धर्मग्रंथों के अनुसार शिप्रा की उत्पत्ति भगवान विष्णु के वराह अवतार वराह के हृदय से हुई थी. इंदौर कलेक्टर आशीष सिंह ने संवाददाताओं को बताया "पहले चरण में कान्ह और सरस्वती नदियों के जलग्रहण क्षेत्र में अतिक्रमण कर बनाए गए लगभग 1,500 कच्चे मकानों को हटाया जाएगा. जलग्रहण क्षेत्रों से लोगों को हटाने का काम प्रभावित हुआ है, जिनमें से कुछ को नोटिस भी दिए गए हैं." कलेक्टर ने कहा कि अगले 5 से 10 दिन में इस काम को शुरू कर दिया जाएगा.

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नदियों के किनारों से 30 मीटर तक अतिक्रमण हटाने के निर्देश

इंदौर कलेक्टर ने कहा "नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल और एमपी हाईकोर्ट ने क्षेत्र में नदियों के किनारों से 30 मीटर तक अतिक्रमण हटाने के निर्देश पहले ही पारित कर दिए हैं." प्रशासन ने इंदौर में दोनों नदियों के जलग्रहण क्षेत्रों में करीब 3,000 अतिक्रमण की पहचान की है. अस्थायी घरों के अलावा इनमें स्थायी आवासीय और व्यावसायिक इमारतें भी शामिल हैं. इंदौर के ग्रामीण इलाकों से निकलने वाली शिप्रा नदी उज्जैन में बहती है. हालांकि, देश के सबसे स्वच्छ शहर इंदौर में कान्ह और सरस्वती का अत्यधिक प्रदूषित पानी शिप्रा में बहता है, जिससे इसका प्रदूषण और बढ़ जाता है. सिंहस्थ से पहले शिप्रा को प्रदूषण से मुक्त करने के लिए इंदौर प्रशासन ने 600 करोड़ रुपए की कायाकल्प योजना का खाका तैयार किया है.

इंदौर (PTI)। उज्जैन सिंहस्थ 2028 की तैयारियों में इंदौर जिला प्रशासन भी जुटा है. शिप्रा नदी में सतत जल प्रवाह के लिए इंदौर जिला प्रशासन ने कान्ह और सरस्वती नदियों के किनारे हुए अतिक्रमण को हटाने की तैयारी की है. इन दोनों नदियों के जलग्रहण क्षेत्रों में अतिक्रमण कर बनाए गए लगभग 1,500 अस्थायी मकानों पर बुलडोजर चलाया जाएगा. यह फैसला शिप्रा नदी को प्रदूषण मुक्त बनाने के अभियान के तहत किया गया है.

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बता दें कि उज्जैन में हर 12 साल में सिंहस्थ मेला आयोजित किया जाता है. उज्जैन में सिंहस्थ के दौरान हजारों हिंदू शिप्रा में पवित्र स्नान करते हैं. हिंदू धर्मग्रंथों के अनुसार शिप्रा की उत्पत्ति भगवान विष्णु के वराह अवतार वराह के हृदय से हुई थी. इंदौर कलेक्टर आशीष सिंह ने संवाददाताओं को बताया "पहले चरण में कान्ह और सरस्वती नदियों के जलग्रहण क्षेत्र में अतिक्रमण कर बनाए गए लगभग 1,500 कच्चे मकानों को हटाया जाएगा. जलग्रहण क्षेत्रों से लोगों को हटाने का काम प्रभावित हुआ है, जिनमें से कुछ को नोटिस भी दिए गए हैं." कलेक्टर ने कहा कि अगले 5 से 10 दिन में इस काम को शुरू कर दिया जाएगा.

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नदियों के किनारों से 30 मीटर तक अतिक्रमण हटाने के निर्देश

इंदौर कलेक्टर ने कहा "नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल और एमपी हाईकोर्ट ने क्षेत्र में नदियों के किनारों से 30 मीटर तक अतिक्रमण हटाने के निर्देश पहले ही पारित कर दिए हैं." प्रशासन ने इंदौर में दोनों नदियों के जलग्रहण क्षेत्रों में करीब 3,000 अतिक्रमण की पहचान की है. अस्थायी घरों के अलावा इनमें स्थायी आवासीय और व्यावसायिक इमारतें भी शामिल हैं. इंदौर के ग्रामीण इलाकों से निकलने वाली शिप्रा नदी उज्जैन में बहती है. हालांकि, देश के सबसे स्वच्छ शहर इंदौर में कान्ह और सरस्वती का अत्यधिक प्रदूषित पानी शिप्रा में बहता है, जिससे इसका प्रदूषण और बढ़ जाता है. सिंहस्थ से पहले शिप्रा को प्रदूषण से मुक्त करने के लिए इंदौर प्रशासन ने 600 करोड़ रुपए की कायाकल्प योजना का खाका तैयार किया है.

Last Updated : Aug 30, 2024, 3:58 PM IST
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