भोपाल। उज्जैन में होने वाले महाकुंभ को लेकर भले ही अभी लंबा वक्त बाकी है लेकिन सरकार ने इसकी तैयारियां अभी से शुरू कर दी हैं. अब तक आयोजन को लेकर शीर्ष अधिकारियों के बीच 2 बैठकें भी हो चुकी हैं. इसमें सिंहस्थ को लेकर रुपरेखा तैयार की गई है. नगरीय प्रशासन विभाग के अधिकारियों ने बताया कि महाकुंभ के आयोजन में व्यवस्थाओं के संचालन के लिए रिटायर्ड अधिकारी-कर्मचारियों की सेवाएं भी ली जाएंगी.
इसलिए रिटायर्ड कर्मचारियों की बढ़ी मांग
आयोजन का बड़ा हिस्सा संभालने वाले नगरीय प्रशासन विभाग ने कुंभ में लगने वाले संसाधनों से लेकर मानव संसाधनों की चिंता करनी शुरू कर दी है. विभाग अन्य विभागों के साथ सामंजस्य बैठा रहा है. उज्जैन में पिछले महाकुंभ का आयोजन 22 अप्रैल से 21 मई 2016 के बीच हुआ था. अधिकारियों का कहना है कि वर्ष 2016 के बाद बड़ी संख्या में कर्मचारी और अधिकारी भी सेवानिवृत्त हो गए हैं. उस समय जो कर्मचारी-अधिकारी थे, उनमें अधिकतर अब तक रिटायर्ड हो गए हैं. ऐसे में उनके अनुभवों का लाभ लेने के लिए ऐसे अधिकारियों और कर्मचारियों को फिर से बुलाया जाएगा जिससे महाकुंभ का संचालन बेहतर ढंग से हो सके.
मुख्यमंत्री के विधानसभा क्षेत्र में होगा आयोजन
आगामी महाकुंभ वर्तमान मुख्यमंत्री मोहन यादव के विधानसभा क्षेत्र में होना है. इसमें कोई चूक न हो, इसलिए सरकार ने इसकी तैयारियां अभी से शुरु कर दी हैं. अधिकारियों ने बताया कि सिंहस्थ महापर्व 2028 में 27 मार्च से 27 मई के बीच होगा. 9 अप्रैल से 8 मई 2028 के बीच 3 शाही स्नान और 7 पर्व स्नान प्रस्तावित हैं. इसमें 20 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं के पहुंचने का अनुमान है.
18,840 करोड़ रुपये की राशि से होगा विकास कार्य
एमपी के 19 विभागों से संबंधित लगभग 18 हजार 840 करोड़ के 523 कार्य प्रस्तावित हैं. बैठक में श्रद्धालुओं के परिवहन की सुगम व्यवस्था, मुख्य सड़कों का विकास, नवीन सड़कों का निर्माण, पेयजल, क्षिप्रा शुद्धिकरण, विद्युत आपूर्ति, कानून व्यवस्था और ट्रैफिक मैनेजमेंट, सिंहस्थ अवधि में आवास व्यवस्था, पर्यटन स्थलों के विकास आदि विषयों पर विचार-विमर्श हुआ. नगरीय विकास एवं आवास, लोक निर्माण, जल संसाधन, लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी, ऊर्जा, गृह, पर्यटन, राजस्व विभाग के अधिकारियों सहित उज्जैन के कमिश्नर, कलेक्टर तथा नगर निगम के अधिकारी उपस्थित थे.
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जल्द गंदगी मुक्त होगी क्षिप्रा नदी
नमामि गंगा योजना के तहत क्षिप्रा उज्जैन में क्षिप्रा को प्रदूषणमुक्त किया जाएगा. इसमें मिलने वाली गंदगी को रोकने के लिए एसटीपी बनाने के साथ नालों का डायवर्सन भी किया जाएगा. पूरी योजना में करीब 603 करोड़ रुपये खर्च होंगे. अभी मोक्षदायिनी क्षिप्रा में नालों और सीवेज का पानी मिलने से जहां नदी दूषित हो रही है, वहीं लाखों-करोड़ों श्रद्धालुओं की आस्था को भी ठेस पहुंचती है. पहले कभी होल्कर राज में इस नदी में हाथी नहाते थे. अब शहर का सीवेज मिलने से नाले में बदल गई है.