उज्जैन। शिव नवरात्रि में श्री महाकालेश्वर मन्दिर में विराजमान भगवान श्री महाकालेश्वर ने नौ दिवस तक अलग-अलग रूपों में श्रद्धालुओं को दर्शन दिये थे. इन नौ दिनों में जो भगवन के दर्शन के लाभ नहीं ले पाया. वह फाल्गुन शुक्ल द्वितीया यानि की सोमवार 11 मार्च को भगवान श्री महाकालेश्वर के पंच मुखारविंद में दर्शन लाभ ले सकते हैं. गोपाल पुजारी के अनुसार इन नौ दिनों के दर्शन का लाभ भक्तों को एक ही दिन में मिलता है. उल्लेखनीय है कि महाशिवरात्रि के बाद वर्ष में एक बार ही ऐसा अवसर आता है. जब एक साथ भगवान महाकाल पांच मुखौटों में दर्शन देते हैं.
उज्जैन भगवान महाकाल पंच मुखरविंद में एक साथ
श्री छबिना
श्री मनमहेश
श्री होल्कर
श्री उमामहेश
श्री शिवतांडव स्वरूप में अपने भक्तों को दर्शन दे रहे हैं.
महाकाल मंदिर में चला महाशिवनवरात्रि का उत्सव
9 दिनों तक महाशिवरात्रि पर्व के दिन भगवान महाकाल के अलग-अलग स्वरूपों के दर्शन नहीं कर पाते हैं. इसीलिए भगवान महाकाल सोमवार के दिन एक साथ 5 रूपों में श्रद्धालुओं को दर्शन देते हैं. माना जाता है कि एक साथ पांच रूपों के दर्शन करने से श्रद्धालुओं की मन की इच्छाएं पूर्ण हो जाती है और भगवान महाकाल अपने भक्तों को दर्शन देते हैं. ज्ञात हो कि इस वर्ष शिव नवरात्रि 29 फरवरी से शुरू हुआ था, जो 9 मार्च 2024 तक चला. महाशिवरात्रि को पर्व महाकालेश्वर मन्दिर में बड़ी धूमधाम के साथ मनाया गया.
महाशिवरात्रि पर्व पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु भगवान महाकाल के दर्शन के लिए पहुंचे थे. ऐसे में नौ दिनों तक भगवान महाकाल ने अलग-अलग स्वरूपों में श्रद्धालुओं को दर्शन दिए. माना जाता है कि महाशिवरात्रि पर्व शिव विवाह के रूप में उज्जैन में मनाया जाता है. भगवान महाकाल अलग-अलग रूपों में श्रद्धालुओं को दर्शन देते हैं.