उज्जैन। शहर की दो कॉलोनियों में रात्रि में सियार घूमता हुआ नजर आया. इसकी सूचना लोगों ने वन विभाग को दी. सियार दिखने के बाद कॉलोनियों के लोग अपने बच्चों की सुरक्षा को लेकर चिंतित हो गए. कॉलोनीवासियों का कहना है कि वे लोग उत्तरप्रदेश के कुछ जिलों में भेड़िया के हमले की घटनाओं से सचेत हैं. हालांकि भेड़िये की तुलना में सियार से इंसानों को उतना खतरा नहीं रहता.
अक्सर छोटे जानवरों का शिकार करता है सियार
उज्जैन के आगर रोड स्थित चिमानगंज मंडी थाना क्षेत्र की शिवधाम और राज रॉयल कॉलोनियों में सियार के घूमने का सीसीटीवी फुटेज सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है. वन विभाग की टीम ने सियार को पकड़ने के लिए दोनों कॉलोनियों के साथ ही आसपास 2 दिन तक खोजबीन की लेकिन सुराग नहीं मिला. वन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि सियार अक्सर छोटे जानवरों का शिकार करते हैं. इसलिए घबराने की जरूरत नहीं है. सर्चिंग टीम का कहना है कि सियार जंगल से भटककर कॉलोनियों में आ गया होगा और अब वह वापस लौट गया हो. उज्जैन के रेंजर मदन मोहरे ने बताया "सियार होने की सूचना पर तुरंत कार्रवाई की गई, लेकिन सियार को ढूंढ़ने में सफलता नहीं मिली. अधिकारियों ने कॉलोनियों में सर्च ऑपरेशन चलाया, लेकिन अब तक सियार का कोई सुराग नहीं मिला."
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भेड़िया और सियार में ये होता है अंतर
माना जाता है कि कुत्ते की प्रजाति का भेड़िया खूंखार जानवर होता है. यह पूरी तरह से मांसाहारी जानवर है. इनके जबड़े में बहुत ताकत होती है. साथ ही ये झुंड के रूप में शिकार करते हैं. इसमें सुनने की बहुत तेज शक्ति होती है, जो 15 किलोमीटर दूर तक की आवाज सुन सकता है. भेड़िए जंगल में रहते हैं और आबादी वाली जगह से दूरी बनाते हैं. वहीं, सियार भी झुंड के रूप में रहते हैं. शिकार भी झुंड में करते हैं. लेकिन भेड़िये की तुलना में सियार ज्याादा खतरनाक नहीं होता. सियार आबादी वाले स्थानों से सटकर रहते हैं.