उज्जैन: पूरे देश में श्रद्धा और आस्था के साथ हरतालिका तीज का पवित्र पर्व मनाया जा रहा है. यह व्रत सुहागिनों द्वारा अपने पति की लंबी उम्र और सौभाग्य की कामना हेतु रखा जाता है. वहीं कुंवारी कन्याएं उत्तम वर की प्राप्ति के लिए इस व्रत को करती हैं. उज्जैन के प्रसिद्ध श्री सौभाग्येश्वर महादेव मंदिर, जो कि नगर के चौरासी महादेव में से 61वें स्थान पर स्थित है. इस अवसर पर यहां विशेष पूजा-अर्चना का आयोजन किया गया है.
रात्रि जागरण और पंचामृत पूजन से पूजा का शुभारंभ
गुरुवार की रात 11 बजे पंचामृत पूजन के साथ हरतालिका तीज पर्व की पूजा शुरू हुई. इसके बाद शुक्रवार की रात 12 बजे तक मंदिर में दर्शन और पूजन का सिलसिला चलता रहेगा. आधी रात से ही महिलाएं और युवतियां मंदिर में दर्शन के लिए जुटने लगीं. महिलाएं दर्शन और पूजन के बाद विशेष रूप से कथा श्रवण के लिए मंदिर पहुंचीं. जहां पं. राजेश पंड्या ने हरतालिका तीज की धार्मिक महत्ता को समझाया.
महिलाएं निर्जला करती हैं व्रत
हरतालिका तीज पर्व भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को होता है. इस दिन महिलाएं निराहार और निर्जल रहकर अपने सौभाग्य की कामना करती हैं. मान्यता है कि इस व्रत से सौभाग्य, सुख और पुण्य की प्राप्ति होती है. हर साल बड़ी संख्या में महिलाएं और युवतियां इस पवित्र व्रत को करने के लिए मंदिर में आती हैं. वहीं कुंवारी युवतियां अच्छे वर की प्राप्ति के लिए इस व्रत को करती हैं.
हरतालिका तीज का विशेष संयोग और धार्मिक महत्व
इस बार 6 सितंबर को हरतालिका तीज का पर्व मनाया जा रहा है. चित्रा नक्षत्र और शुक्ल योग का विशेष संयोग मनाया जा रहा है. इस संयोग में व्रत करने से पति की दीर्घायु, सुख-शांति और परिवार में समृद्धि की प्राप्ति होगी. पं. अमर डिब्बावाला के अनुसार शुक्ल योग 27 योगों में सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है. हरतालिका कथा सुनने से भी विशेष लाभ मिलता है.
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सौभाग्येश्वर महादेव मंदिर की विशेष परंपरा
उज्जैन के श्री सौभाग्येश्वर महादेव मंदिर पर सदियों से हरतालिका तीज के अवसर पर विशेष पूजा-अर्चना की परंपरा चली आ रही है. धर्मशास्त्र और पुराणों में इस व्रत का महत्व विस्तार से बताया गया है. शहर के अन्य शिवालयों में भी महिलाएं इस दिन पूजन और व्रत करती हैं. वहीं घरों में भी श्रद्धालु हरतालिका तीज का व्रत और पूजा-अर्चना करते हैं.