लखनऊ: विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के निर्देश के बावजूद लोकपाल नियुक्त करने पर किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय का दंत संकाय और अटल मेडिकल यूनिवर्सिटी को डिफाल्टर घोषित कर दिया गया है. विवि अनुदान आयोम में देश भर के कई मेडिकल संस्थानों की सूची जारी की है. इस सूची में लखनऊ के टीएस मिश्रा विवि के साथ ही प्रदेश के 14 विश्वविद्यालय शामिल हैं.
विश्वविद्यालयों पारदर्शी कामकाज की व्यवस्था के तहत यूजीसी ने लोकपाल नियुक्त करने का निर्देश दे रखा है. ज्यादातर विश्वविद्यालयों में इनकी नियुक्ति कर ली गई है. वहीं, दूसरी ओर काफी विश्वविद्यालय इसमें कोताही बरत रहे हैं. इसका नतीजा यह है कि यूजीसी को प्रदेशवार इन संस्थानों की सूची जारी करनी पड़ी है. प्रदेश में कुल 14 विश्वविद्यालयों को इस सूची में शामिल किया गया है. इस सूची में देश की 157 यूनिवर्सिटी शामिल की गई हैं.
इनमें 108 सरकारी और 47 निजी तथा दो डीम्ड यूनिवर्सिटी भी प्रदेश के इन विश्वविद्यालयों का सती में नाम-अटल बिहारी वाजपेयी मेडिकल यूनिवर्सिटी, बुंदेलखंड विवि, चन्द्रशेखर बाजार कृषि एवं तकनीक विवि, महाराजा सुहेल देव विवि, प्रो. राजेंद्र सिंह रज्जू, सरदार वल्लभ भाई पटेल कृषि एवं तकनीकी विवि पंडित दीना दयाल उपाध्याय पशु चिकित्सा विज्ञान विश्ववविद्यालय एवं गो- अनुसंधान संस्थान, अबयान हेरिटेज विति वरुण अर्जुन विवि, महावीर विवि टीएस मिश्रा विवि, केजीएमयू डेंटल संकाय आदि शामिल हैं.
बुंदेलखंड विश्विद्यालय डिफॉल्टर घोषित: बुंदेलखंड विवि की छवि को विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने जोरदार झटका दिया है. यूजीसी की तरफ से ऐसे विश्वविद्यालयों की सूची जारी की गई है, जिन्होंने अभी तक लोकपाल की नियुक्ति नहीं की है. यूजीसी ने ऐसे विश्वविद्यालयों को डिफाल्टर घोषित कर दिया है. इसमें बुंदेलखंड विवि का भी नाम है. सूची जारी होने के बाद सवाल उठने लगे हैं, कि विवि प्रशासन आखिर इसमें रुचि क्यों नहीं दिखा रहा, जबकि हाल ही में ऐसे कई मामले सामने आए हैं, जिनमें निष्पक्ष जांच की बेहद आवश्यकता है.
विश्वविद्यालयों में पारदर्शिता बनाए रखने के लिए विश्वविद्यालय अनुदान ने प्रत्येक विवि को लोकपाल की नियुक्ति करने को कहा था. लोकपाल का कार्य विवि प्रशासन के विरुद्ध आने वाली शिकायतों की जांच कर कार्रवाई करना होता है. शिकायत विवि के छात्र, कर्मचारी या किसी बाहरी व्यक्ति की भी हो सकती है. हाल ही में विवि प्रशासन पर शिक्षक नियुक्ति में भ्रष्टाचार के आरोप लगे थे, जिसकी जांच चल रही है. इस जांच के लिए बनाई गई कमेटी पर भी कई शिकायतकर्ता सवाल उठा चुके हैं. ऐसे में यदि विवि में लोकपाल होता, तो इस मामले में निष्पक्ष जांच होती और सभी संतुष्ट भी होते.
इसी वर्ष जनवरी माह में यूजीसी की तरफ से सभी विश्वविद्यालयों को पत्र लिखकर जल्द लोकपाल की नियुक्ति करने को कहा गया था, लेकिन इस पर ध्यान नहीं दिया गया. यूजीसी ने इसका संज्ञान लेते हुए ऐसे सभी विश्वविद्यालयों को डिफाल्टर घोषित करने का निर्णय लिया. अब ऐसे विश्वविद्यालयों की सूची यूजीसी ने जारी कर इन्हें लोकपाल नियुक्ति के मामले में डिफाल्टर बताया है.