शिमला: हिमाचल में मौसम की मार झेल रहे बागवानों को सरकार ने सेब सीजन के बीच में जोर का झटका दिया है. प्रदेश में खराब वित्तीय हालत से जूझ रही सुक्खू सरकार ने मंडी मध्यस्थता योजना (MIS) के तहत सेब खरीद पर कई नई शर्तें लगाकर बागवानों की मुश्किलें बढ़ा दी हैं. सरकार ने MIS के तहत सेब खरीद के लिए उद्यान कार्ड अनिवार्य कर दिया है. यानी जिनके पास उद्यान कार्ड नहीं होगा, ऐसे बागवानों से सरकार MIS योजना के तहत सेब नहीं खरीदेगी.
प्रदेश में बहुत से बागवानों के पास उद्यान कार्ड नहीं हैं. सरकार अब बागवानों के पास उपलब्ध भूमि और फलदार पौधों के अनुपात के मुताबिक ही सेब की खरीद करेगी, जिसके लिए सरकार ने उद्यान कार्ड को जरूरी कर दिया है. ऐसे में अब फल एकत्रीकरण केंद्र में प्रभारी की ओर से राजस्व अभिलेख (जमाबंदी) से उद्यान कार्ड का मिलान किया जाएगा. इसके बाद ही MIS योजना के तहत बागवानों से सेब की खरीद की जाएगी.
ऐसे सेब नहीं खरीदेगी सरकार
सेब की कम पैदावार से पहले ही परेशान बागवानों से MIS योजना के तहत भी अब सड़े-गले, पक्षियों के खाए, दागी, स्कैबग्रस्त, इथरल स्प्रे किए हुए और 51 मिलीमीटर से कम डायामीटर वाले फल नहीं खरीदे जाएंगे. ऐसे फल एकत्रीकरण केंद्र से ही वापिस कर दिए जाएंगे. इस तरह के फल वापिस न लेने और केंद्र पर छोड़ कर जाने की स्थिति में उसे नष्ट करने के लिए केंद्र प्रभारी सक्षम होगा, जिसका बागवानों को इसके लिए कोई भुगतान नहीं किया जाएगा. बागवानी विभाग के सचिव सी पालरासु के मुताबिक, 'मंडी मध्यस्थता योजना के अंतर्गत खरीदे जाने वाले फलों की गुणवत्ता को बनाए रखने और वास्तविक लाभार्थियों को योजना का अधिकतम लाभ सुनिश्चित करने के उद्देश्य से नए दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं.'
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