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इलाहाबाद विश्वविद्यालय के छात्रों को सौगात; महात्मा गांधी पर दो वर्षीय परास्नातक कोर्स की शुरुआत, 30 सीटों पर होगा दाखिला - Allahabad University

इलाहाबाद विश्वविद्यालय के छात्रों को गुरुवार को नई सौगात दी (Mahatma Gandhi) गई है. उत्तर भारत में पहली बार महात्मा गांधी पर विशेष अध्ययन के लिए परास्नातक स्तर की पढ़ाई शुरू होने जा रही है.

इलाहाबाद विश्वविद्यालय के छात्रों को सौगात
इलाहाबाद विश्वविद्यालय के छात्रों को सौगात (Photo credit: ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Sep 12, 2024, 6:27 PM IST

जानकारी देते केंद्र के समन्वयक डॉ अविनाश श्रीवास्तव (Video credit: ETV Bharat)

प्रयागराज : देश की आजादी के नायक रहे राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के जीवन पर अध्ययन करके युवा अपना भविष्य भी संवार सकते हैं. उत्तर भारत में पहली बार दो वर्षीय परास्नातक पाठ्यक्रम की शुरुआत की गई है. इसकी शुरुआत इलाहाबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी के गांधी विचार एवं शांति अध्ययन केंद्र में की गई है. चार सेमेस्टर के इस दो वर्षीय पाठ्यक्रम को नई शिक्षा नीति के तहत 80 क्रेडिट का बनाया गया है, जिसमें से प्रत्येक सेमेस्टर 20-20 क्रेडिट के होंगे.

गांधी विचार एवं शांति अध्ययन केंद्र के समन्वयक डॉ अविनाश श्रीवास्तव ने बताया कि इस कोर्स के जरिये विद्यार्थियों के व्यक्तित्व विकास के साथ ही उनका चरित्र निर्माण भी करने का प्रयास किया जाएगा. डॉ अविनाश श्रीवास्तव ने कहा कि महात्मा गांधी पर बने इस पाठ्यक्रम की बहुआयामी और बहुविधि उपयोगिता होगी.


मदर टेरेसा ने किया था उद्घाटन : इलाहाबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी परिसर में गांधी विचार एवं शांति अध्ययन केंद्र की शुरुआत 1976 में हुई थी. जिसका उद्घाटन नोबल पुरस्कार विजेता मदर टेरेसा ने किया था. अब इस संस्थान के शुरू होने के करीब 50 साल बाद अध्ययन केंद्र में 2 साल के पाठ्यक्रम की शुरुआत कर दी गई है. डॉ अविनाश श्रीवास्तव के मुताबिक, वर्षों पुराने इस संस्थान में कुलपति प्रो संगीता श्रीवास्तव की पहल के बाद इस कोर्स की शुरुआत कर दी गई है.



वीसी के प्रयास से शुरू हुआ कोर्स : केंद्र समन्वयक डॉ अविनाश श्रीवास्तव ने कहा कि इलाहाबाद विश्वविद्यालय की कुलपति प्रोफेसर संगीता श्रीवास्तव की पहल और प्रेरणा से दो वर्षीय पाठ्यक्रम की शुरुआत कर दी गई है. उत्तर भारत का यह पहला केंद्र है, जहां पर महात्मा गांधी पर दो साल के इस कोर्स की शुरुआत की गई है. इस कोर्स के जरिये नई पीढ़ी को महात्मा गांधी पर उच्चतम कोटि के शोध के साथ ही नवाचार और समाजोपयोगी रिसर्च करके शोध को भी बढ़ावा दिया जाएगा. यही नहीं यह पाठ्यक्रम सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी करने वाले छात्रों के लिए भी महत्वपूर्ण है.


कोर्स में 30 सीटों पर होगा प्रवेश : गांधी विचार एवं शांति अध्ययन केंद्र में शुरू हुए कोर्स में 30 सीटों में दाखिला होगा. पोस्ट ग्रेजुएट एडमिशन टेस्ट (पीजीएटी) के जरिये इस सीट पर एडमिशन लिया जाएगा. फिलहाल नए कोर्स में 11 सीटों पर दाखिला हो चुका है और बची हुई सीटों पर एडमिशन के लिए इस साल इतनी छूट दी गयी है कि पीजीएटी की प्रवेश परीक्षा के बाद जिन छात्रों का एडमिशन नहीं हो सका है वो छात्र एक्स्ट्रा सब्जेक्ट के विकल्प के तौर पर गांधी विषय पर दो वर्षीय परास्नातक पाठ्यक्रम में दाखिला ले सकते हैं, लेकिन अगले साल इस विषय में पीजीएटी के जरिये इस विषय के लिए आवेदन करने वालों का ही दाखिला होगा.



यह भी पढ़ें : छात्राओं के वकील बनने का सपना होगा पूरा, इस कॉलेज में शुरू हुआ पांच वर्षीय बीए एलएलबी कोर्स - BA LLB course for womens

यह भी पढ़ें : इलाहाबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी के इस कोर्स में दाखिला लेकर युवा संवार सकते हैं अपना भविष्य, नौकरी की हैं अपार संभावनाएं - Admission in Food Technology

जानकारी देते केंद्र के समन्वयक डॉ अविनाश श्रीवास्तव (Video credit: ETV Bharat)

प्रयागराज : देश की आजादी के नायक रहे राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के जीवन पर अध्ययन करके युवा अपना भविष्य भी संवार सकते हैं. उत्तर भारत में पहली बार दो वर्षीय परास्नातक पाठ्यक्रम की शुरुआत की गई है. इसकी शुरुआत इलाहाबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी के गांधी विचार एवं शांति अध्ययन केंद्र में की गई है. चार सेमेस्टर के इस दो वर्षीय पाठ्यक्रम को नई शिक्षा नीति के तहत 80 क्रेडिट का बनाया गया है, जिसमें से प्रत्येक सेमेस्टर 20-20 क्रेडिट के होंगे.

गांधी विचार एवं शांति अध्ययन केंद्र के समन्वयक डॉ अविनाश श्रीवास्तव ने बताया कि इस कोर्स के जरिये विद्यार्थियों के व्यक्तित्व विकास के साथ ही उनका चरित्र निर्माण भी करने का प्रयास किया जाएगा. डॉ अविनाश श्रीवास्तव ने कहा कि महात्मा गांधी पर बने इस पाठ्यक्रम की बहुआयामी और बहुविधि उपयोगिता होगी.


मदर टेरेसा ने किया था उद्घाटन : इलाहाबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी परिसर में गांधी विचार एवं शांति अध्ययन केंद्र की शुरुआत 1976 में हुई थी. जिसका उद्घाटन नोबल पुरस्कार विजेता मदर टेरेसा ने किया था. अब इस संस्थान के शुरू होने के करीब 50 साल बाद अध्ययन केंद्र में 2 साल के पाठ्यक्रम की शुरुआत कर दी गई है. डॉ अविनाश श्रीवास्तव के मुताबिक, वर्षों पुराने इस संस्थान में कुलपति प्रो संगीता श्रीवास्तव की पहल के बाद इस कोर्स की शुरुआत कर दी गई है.



वीसी के प्रयास से शुरू हुआ कोर्स : केंद्र समन्वयक डॉ अविनाश श्रीवास्तव ने कहा कि इलाहाबाद विश्वविद्यालय की कुलपति प्रोफेसर संगीता श्रीवास्तव की पहल और प्रेरणा से दो वर्षीय पाठ्यक्रम की शुरुआत कर दी गई है. उत्तर भारत का यह पहला केंद्र है, जहां पर महात्मा गांधी पर दो साल के इस कोर्स की शुरुआत की गई है. इस कोर्स के जरिये नई पीढ़ी को महात्मा गांधी पर उच्चतम कोटि के शोध के साथ ही नवाचार और समाजोपयोगी रिसर्च करके शोध को भी बढ़ावा दिया जाएगा. यही नहीं यह पाठ्यक्रम सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी करने वाले छात्रों के लिए भी महत्वपूर्ण है.


कोर्स में 30 सीटों पर होगा प्रवेश : गांधी विचार एवं शांति अध्ययन केंद्र में शुरू हुए कोर्स में 30 सीटों में दाखिला होगा. पोस्ट ग्रेजुएट एडमिशन टेस्ट (पीजीएटी) के जरिये इस सीट पर एडमिशन लिया जाएगा. फिलहाल नए कोर्स में 11 सीटों पर दाखिला हो चुका है और बची हुई सीटों पर एडमिशन के लिए इस साल इतनी छूट दी गयी है कि पीजीएटी की प्रवेश परीक्षा के बाद जिन छात्रों का एडमिशन नहीं हो सका है वो छात्र एक्स्ट्रा सब्जेक्ट के विकल्प के तौर पर गांधी विषय पर दो वर्षीय परास्नातक पाठ्यक्रम में दाखिला ले सकते हैं, लेकिन अगले साल इस विषय में पीजीएटी के जरिये इस विषय के लिए आवेदन करने वालों का ही दाखिला होगा.



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