नई दिल्ली: 8 अक्टूबर को सरोजिनी नगर इलाके में NBCC के साइट पर एक गंभीर दुर्घटना ने दो मजदूरों की जान ले ली और एक अन्य को गंभीर हालत में अस्पताल में भर्ती कराया गया है. यह घटना उस समय हुई जब केंद्रीय सरकार की ओर से एक बहु-स्तरीय इमारत का निर्माण कार्य चल रहा था, जिसे प्राइवेट कंपनी को सौंपा गया था.
दुर्घटना के बारे में जानकारी के अनुसार, मजदूरों का कहना है कि साइट पर पुराने सीवर की सफाई का काम होना था. इसके लिए पहला मजदूर सुरक्षा उपायों के बिना ही अंदर गया, लेकिन जब वह काफी समय तक बाहर नहीं आया, तो कंपनी ने दूसरे मजदूर को भी अंदर भेजा. घंटों बीतने के बाद जब वह भी बाहर नहीं निकला, तब अंततः कंपनी ने तीसरे मजदूर को भेजा. जब वह भी बाहर नहीं आया, तो खुदाई के लिए जेसीबी मंगवानी पड़ी.
इस पूरी प्रक्रिया में समय काफी लगा और बेशर्मी से सुरक्षा मानकों का पालन नहीं किया गया. अंत में, जब मजदूरों को बाहर निकाला गया, तब दोनों की जान दम घुटने से चली गई. तीसरा मजदूर बेहोश था, जिसे अस्पताल में भर्ती कराया गया.
"सरोजिनी नगर में एक पीसीआर कॉल प्राप्त हुई कि मेट्रो गेट नंबर 1 के पास पिलांजी गांव में एक इमारत ढह गई है और 3-4 लोग फंसे हुए हैं. टीम जब वहां पहुंची तो पाया कि दो मजदूर गटर (वर्तमान में उपयोग में नहीं) से कचरा निकाल रहे थे और बेहोश हो गए, उन्हें बचाने के लिए एक अन्य मजदूर को भी सीवरेज में उतारा गया. दो मजदूरों की मौत हो गई. एक घायल है. बीएनएस की धारा 106(1)/125/125(ए) के तहत मामला दर्ज कर लिया गया है. जांच की जा रही है." -दिल्ली पुलिस
सुरक्षा मानकों की अनदेखी: इस घटना ने पूर्ण रूप से साफ कर दिया है कि मजदूरों की सुरक्षा के मानकों को पूरी तरह से नजरअंदाज किया गया था. सीवर में उतरने वाले सभी मजदूर बिना किसी ऑक्सीजन सिलेंडर या सुरक्षा उपकरण के काम पर गए थे. मौके पर कुछ काम करने वाले मजदूरों का कहना था कि यदि उन्हें उचित सुरक्षा उपकरण दिए गए होते, तो संभवतः इन मजदूरों की जान बचाई जा सकती थी.
परिवार की पीड़ा: मृतक बलविंदर कुमार के भाई ने आरोप लगाया कि पुलिस ने घटना के 24 घंटे बाद भी उसके भाई का शव नहीं दिखाया. उनका कहना था कि कंपनी द्वारा सुरक्षा में लापरवाही की वजह से उसकी जान गई. बलविंदर कुमार पिछले चार वर्षों से इसी कंपनी में काम कर रहा था. उसकी एक बेटी है और उसकी पत्नी गर्भवती है.
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दूसरे घायल मजदूर की पत्नी ने भी दुख जताया कि उसने अपने पति को सीवर में जाने से मना किया था, लेकिन उसकी बात नहीं सुनी गई. उसने कहा कि अगर कंपनी सुरक्षा के उपाय करती, तो उसके पति की स्थिति इतनी गंभीर नहीं होती. इस पूरी घटना पर Company द्वारा कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है.
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