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बैंक खाता नहीं होने से यूनिफॉर्म और स्कूल बैग से वंचित हैं दिल्ली नगर निगम के दो लाख बच्चे, हाईकोर्ट नाराज - MCD school students facilities Case - MCD SCHOOL STUDENTS FACILITIES CASE

दिल्ली के सरकारी स्कूलों के स्टूडेंट्स को मिल रही सुविधाओं को लेकर मंगलवार को दिल्ली हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. एक एनजीओ की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान दिल्ली नगर निगम ने कोर्ट को बताया कि करीब दो लाख बच्चों के पास बैंक एकाउंट नहीं है, इस कारण उनको सुविधाएं नहीं मिल सकी है.

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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Apr 23, 2024, 8:33 PM IST

नई दिल्लीः दिल्ली नगर निगम के स्कूलों में पढ़नेवाले करीब दो लाख बच्चों का बैंक खाता नहीं है. इस वजह से उन्हें यूनिफॉर्म, स्कूल बैग और स्टेशनरी खरीदने के लिए राशि का भी भुगतान नहीं किया गया है. निगम की इस सूचना के बाद दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि छात्र दूसरे क्लास में पढ़ने जा रहे हैं और अगर उन्हें यूनिफॉर्म और किताबें नहीं मिलेंगी तो इससे छात्रों को काफी नुकसान होगा. उनकी पढ़ाई में रुचि खत्म हो जाएगी. मामले की अगली सुनवाई 26 अप्रैल को होगी.

मंगलवार को सुनवाई के दौरान दिल्ली नगर निगम के आयुक्त ने कहा कि निगम के स्कूलों में पढ़नेवाले छात्रों को किताबें और नोटबुक दी जाती हैं. जबकि, यूनिफॉर्म और स्टेशनरी के लिए पैसे उनके बैंक खाते में ट्रांसफर कर दिए जाते हैं. निगम के स्कूलों में पढ़नेवाले 2,73,346 छात्रों के बैंक खाते नहीं हैं. इस वजह से यूनिफॉर्म और स्टेशनरी के पैसे नहीं दिए गए.

आयुक्त को स्कूल जाने को कहाः उन्होंने कहा कि नगर निगम ने पिछले चार से पांच महीने में 1,85,188 बच्चों के बैंक खाते खुलवाए हैं. नगर निगम के आयुक्त ने कोर्ट को भरोसा दिया कि बाकी दो लाख बच्चों के बैंक खाते भी दो से तीन महीने में खुलवा दिए जाएंगे. सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने नगर निगम के आयुक्त को कहा कि वे स्कूलों में व्यक्तिगत रूप से जाएं और देखें कि बच्चों को किताबें और यूनिफॉर्म मिले हैं कि नहीं. अगर आप इसकी मॉनिटरिंग नहीं करेंगे तो कुछ नहीं होगा. आप स्कूलों में जाएंगे तभी चीजें बदलेंगी. कोई भी वरिष्ठ अधिकारी स्कूलों में नहीं जाना चाहता है. लापरवाह अधिकारियों पर कार्रवाई कीजिए.

यह भी पढ़ेंः मेयर चुनाव से पहले व‍िधानसभा अध्‍यक्ष ने MCD में मनोनीत क‍िए 14 व‍िधायक, नोट‍िफ‍िकेशन जारी

हाईकोर्ट ने 22 जनवरी को नोटिस जारी किया था. याचिका सोशल जूरिस्ट संस्था की ओर से वकील अशोक अग्रवाल ने दायर किया है. इसमें कहा गया है कि दिल्ली सरकार और दिल्ली नगर निगम के स्कूलों में पढ़ने वाले स्टूडेंट्स को शिक्षा के अधिकार के तहत तय सुविधाएं जैसे यूनिफॉर्म, शिक्षण सामग्री इत्यादि नहीं मिल रहे हैं. याचिका में कहा गया है कि राइट ऑफ चिल्ड्रन टू फ्री एंड कंपल्सरी एजुकेशन एक्ट, दिल्ली राइट ऑफ चिल्ड्रन टू फ्री एंड कंपल्सरी रुल्स और दिल्ली स्कूल एजुकेशन एक्ट के नियमों के मुताबिक बच्चों को शिक्षण सत्र के शुरू में ही उन्हें स्कूल यूनिफॉर्म, शिक्षण सामग्री इत्यादि सुविधाएं मिल जानी चाहिए.

यह भी पढ़ेंः JNU छात्र संघ ने VC को लिखा लेटर, कहा- मुफ्तखोर आप हैं, छात्र नहीं, पढ़ें पूरा मामला - JNUSU slams VC Pandit

नई दिल्लीः दिल्ली नगर निगम के स्कूलों में पढ़नेवाले करीब दो लाख बच्चों का बैंक खाता नहीं है. इस वजह से उन्हें यूनिफॉर्म, स्कूल बैग और स्टेशनरी खरीदने के लिए राशि का भी भुगतान नहीं किया गया है. निगम की इस सूचना के बाद दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि छात्र दूसरे क्लास में पढ़ने जा रहे हैं और अगर उन्हें यूनिफॉर्म और किताबें नहीं मिलेंगी तो इससे छात्रों को काफी नुकसान होगा. उनकी पढ़ाई में रुचि खत्म हो जाएगी. मामले की अगली सुनवाई 26 अप्रैल को होगी.

मंगलवार को सुनवाई के दौरान दिल्ली नगर निगम के आयुक्त ने कहा कि निगम के स्कूलों में पढ़नेवाले छात्रों को किताबें और नोटबुक दी जाती हैं. जबकि, यूनिफॉर्म और स्टेशनरी के लिए पैसे उनके बैंक खाते में ट्रांसफर कर दिए जाते हैं. निगम के स्कूलों में पढ़नेवाले 2,73,346 छात्रों के बैंक खाते नहीं हैं. इस वजह से यूनिफॉर्म और स्टेशनरी के पैसे नहीं दिए गए.

आयुक्त को स्कूल जाने को कहाः उन्होंने कहा कि नगर निगम ने पिछले चार से पांच महीने में 1,85,188 बच्चों के बैंक खाते खुलवाए हैं. नगर निगम के आयुक्त ने कोर्ट को भरोसा दिया कि बाकी दो लाख बच्चों के बैंक खाते भी दो से तीन महीने में खुलवा दिए जाएंगे. सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने नगर निगम के आयुक्त को कहा कि वे स्कूलों में व्यक्तिगत रूप से जाएं और देखें कि बच्चों को किताबें और यूनिफॉर्म मिले हैं कि नहीं. अगर आप इसकी मॉनिटरिंग नहीं करेंगे तो कुछ नहीं होगा. आप स्कूलों में जाएंगे तभी चीजें बदलेंगी. कोई भी वरिष्ठ अधिकारी स्कूलों में नहीं जाना चाहता है. लापरवाह अधिकारियों पर कार्रवाई कीजिए.

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हाईकोर्ट ने 22 जनवरी को नोटिस जारी किया था. याचिका सोशल जूरिस्ट संस्था की ओर से वकील अशोक अग्रवाल ने दायर किया है. इसमें कहा गया है कि दिल्ली सरकार और दिल्ली नगर निगम के स्कूलों में पढ़ने वाले स्टूडेंट्स को शिक्षा के अधिकार के तहत तय सुविधाएं जैसे यूनिफॉर्म, शिक्षण सामग्री इत्यादि नहीं मिल रहे हैं. याचिका में कहा गया है कि राइट ऑफ चिल्ड्रन टू फ्री एंड कंपल्सरी एजुकेशन एक्ट, दिल्ली राइट ऑफ चिल्ड्रन टू फ्री एंड कंपल्सरी रुल्स और दिल्ली स्कूल एजुकेशन एक्ट के नियमों के मुताबिक बच्चों को शिक्षण सत्र के शुरू में ही उन्हें स्कूल यूनिफॉर्म, शिक्षण सामग्री इत्यादि सुविधाएं मिल जानी चाहिए.

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