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देवोत्थानी एकादशी पर अयोध्या के मंदिरों में विधि विधान से हुआ तुलसी विवाह; धूमधाम से निकली बरात

देवोत्थानी एकादशी 2024: गोरखपुर से आए 200 से अधिक संख्या में भक्त इस उत्सव में शामिल हुए और सभी आयोजनों को पूर्ण किया.

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देवोत्थानी एकादशी पर अयोध्या के मंदिरों में विधि विधान से हुआ तुलसी विवाह. (Photo Credit; ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Nov 12, 2024, 9:00 PM IST

अयोध्या: देवोत्थानी एकादशी 2024 के मौके पर रामनगरी अयोध्या के मंदिरों में बड़े ही धूमधाम से तुलसी विवाह महोत्सव सम्पन्न किया गया. रामकोट क्षेत्र स्थित लव कुश मंदिर में विधि विधान पूर्वक पूजन अर्चन और रस्मों को पूरा करते हुए देर शाम बरात भी निकल गई. इस दौरान 200 से अधिक संख्या में गोरखपुर से आए भक्त इस उत्सव में शामिल हुए और सभी आयोजनों को पूर्ण किया.

रामनगरी अयोध्या के प्रमुख रूप से कनक भवन जानकी महल, राम हर्षण कुंज, सुमित लगभग एक दर्जन मंदिरों में तुलसी विवाह के आयोजन को संपन्न किया गया. धार्मिक मान्यता है कि भगवान विष्णु के शालिग्राम स्वरूप और तुलसी का विवाह करने से सभी कष्ट से मनुष्य को मुक्ति मिलती है.

देवोत्थानी एकादशी पर अयोध्या के मंदिरों में विधि विधान से हुआ तुलसी विवाह. (Video Credit; ETV Bharat)

यह भी कहा जाता है कि जिस पुरुष या स्त्री के विवाह में अड़चनें आ रही हैं तो यह विवाह महोत्सव का कार्यक्रम संपन्न करने से सभी बाधा दूर हो जाती हैं और एक साल के भीतर उसका विवाह हो जाता है.

लव कुश मंदिर के महंत राम केवल दास ने बताया कि 25 वर्षों से इस परंपरा को निभाया जा रहा है और विधि विधान पूर्वक तुलसी और शालिग्राम का विवाह को संपन्न कराया गया. उन्होंने बताया कि त्रेता युग से इस परंपरा को निभाया जाता रहा है.

ये भी पढ़ेंः रामलला के मंदिर में विराजने के बाद पहली बार 6 दिसंबर को अयोध्या के मंदिरों से निकलेगी राम बरात

अयोध्या: देवोत्थानी एकादशी 2024 के मौके पर रामनगरी अयोध्या के मंदिरों में बड़े ही धूमधाम से तुलसी विवाह महोत्सव सम्पन्न किया गया. रामकोट क्षेत्र स्थित लव कुश मंदिर में विधि विधान पूर्वक पूजन अर्चन और रस्मों को पूरा करते हुए देर शाम बरात भी निकल गई. इस दौरान 200 से अधिक संख्या में गोरखपुर से आए भक्त इस उत्सव में शामिल हुए और सभी आयोजनों को पूर्ण किया.

रामनगरी अयोध्या के प्रमुख रूप से कनक भवन जानकी महल, राम हर्षण कुंज, सुमित लगभग एक दर्जन मंदिरों में तुलसी विवाह के आयोजन को संपन्न किया गया. धार्मिक मान्यता है कि भगवान विष्णु के शालिग्राम स्वरूप और तुलसी का विवाह करने से सभी कष्ट से मनुष्य को मुक्ति मिलती है.

देवोत्थानी एकादशी पर अयोध्या के मंदिरों में विधि विधान से हुआ तुलसी विवाह. (Video Credit; ETV Bharat)

यह भी कहा जाता है कि जिस पुरुष या स्त्री के विवाह में अड़चनें आ रही हैं तो यह विवाह महोत्सव का कार्यक्रम संपन्न करने से सभी बाधा दूर हो जाती हैं और एक साल के भीतर उसका विवाह हो जाता है.

लव कुश मंदिर के महंत राम केवल दास ने बताया कि 25 वर्षों से इस परंपरा को निभाया जा रहा है और विधि विधान पूर्वक तुलसी और शालिग्राम का विवाह को संपन्न कराया गया. उन्होंने बताया कि त्रेता युग से इस परंपरा को निभाया जाता रहा है.

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