सरगुजा: लोकसभा चुनाव 2024 सात चरणों में हो रहा है. पहले चरण का मतदान 19 अप्रैल हो पूरा हो गया. देश का माहौल चुनावी है ऐसे में बहुत कम लोगों को ये पता होगा कि छत्तीसगढ़ कि सियासत में धुरी माने जाने वाले परिवार ने कैसे अजीत जोगी को सर्वोच्च शिखर तक पहुंचाने में विधायकों को एकजुट किया. कैसे सरगुजा राजपरिवार ने तमाम सियासी बातों को भुलाकर ऐसी कहानी लिखी जो आज की नई राजनीतिक पीढ़ी के लिए मिसाल के कम नही है.
छत्तीसगढ़ से जुड़े सियासी किस्से: छत्तीसगढ़ के पूर्व डिप्टी सीएम और सरगुजा राजपरिवार से जुड़े टीएस सिंहदेव के पिता अविभाजित मध्यप्रदेश के चीफ सेक्रेट्री रहे. सिंहदेव की माता जी कांग्रेस की बड़ी लीडर रहीं. राजनीति में दोनों का अच्छा खासा दखल था. राजपरिवार से जुड़े होने के चलते बड़ी राजनीतिक हस्तियों में उनकी अच्छी खासी पहचान रही. ईटीवी भारत से खास बातचीत में टीएस सिंहदेव ने माता पिता और खुद से जुड़े सियासी किस्सों को साझा किया. सिंहदेव ने बताया कि कैसे तब के मुख्यमंत्री रहे अजीत जोगी से उनकी अनबन हो गई थी. कैसे माधराव सिंधिया नाराज होकर चले गए थे. कैसे राजनीति में दमदार दखल रखने वाले शुक्ल परिवार से पहले करीबी बढ़ी फिर सियासी दूरियों में बदल गई. ईटीवी भारत से चर्चा के दौरान सिंहदेव ने सबसे पहले छत्तीसगढ़ राज्य के निर्माण की जब बात चल रही थी तब क्या सियासी हलचल कांग्रेस में थी उस राज से पर्दा उठाया.
"छत्तीसगढ़ का जब गठन हो रहा था तो मम्मी और डैडी दोनों ने खुद को इससे अलग कर रखा था. छत्तीसगढ़ गठन से पहले मैं माधव राव सिंधिया के पास गया था. उससे पहले से ही मम्मी को राज्य सभा भेजने की बात चलो रही थी रही थी. सोनिया जी ने भी कहा था की आगे देखेंगे. मध्यप्रदेश में पीसीसी अध्यक्ष का चुनाव होना था. प्रक्रिया चल रही थी. पीसीसी डेलीगेट्स जो भी चुनकर गए थे उनमें से एक धीरेन्द्र नाथ शर्मा को छोड़कर सभी एक साथ थे. भोपाल में माधवराव सिंधिया आए तो मैं भी घर पर था. मम्मी ने कहा की एक को छोड़कर बाकी किसी को भी बनाइए. ये एक हमारे लिए सही नहीं होगा, लेकिन माधवराव सिंधिया उनको ही बनाना चाहते थे. मम्मी डैडी से बात होने के बाद वो नाराज होकर वहां से चले गए. जांजगीर क्षेत्र के परशुराम जी को अध्यक्ष बनाने पर सहमति नहीं थी. माधवराव सिंधिया जी वहां से ओके बोलकर चले गए. शायद यही कारण रहा की फिर मम्मी का लोकसभा जाना नहीं हो पाया. मैं बाद में माधवराव सिंधिया जी से मिला. पुरानी बातों के लिए उनसे क्षमा मांगी जिस पर उन्होंने अपने पीए को कहा की ये जब भी मिलने का समय मांगे तो आप दे देना. दुर्भाग्य था की उसके कुछ दिनों बाद ही महाराज का प्लेन क्रैश में निधन हो गया''. - टीएस सिंहदेव, पूर्व डिप्टी सीएम, छत्तीसगढ़
'जब माधवराव सिंधिया ने नहीं मानी बात': सिंहदेव ने पुराने किस्सों को याद करते हुए कहा कि जांजगीर चांपा के एक लीडर थे हमलोग उनके नाम पर सहमत नहीं थे. माधवराव सिंधिया ने हमारी बात नहीं सुनी. हालाकि बाद में दिग्विजय को उस पद के लिए मौका मिल गया.