लखनऊ: अहिल्याबाई होल्कर की त्रिशताब्दी जयंती समारोह के दौरान राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की ओर से लखनऊ में जाति प्रथा को समाप्त कर हिंदुओं को जोड़ने पर बल दिया गया. लखनऊ में रविवार की दोपहर आयोजित कार्यक्रम में मंचासीन अतिथियों ने समरसता पाथेय और अहिल्याबाई होलकर पुस्तक का भी विमोचन किया. अहिल्याबाई होल्कर पुस्तक गरिमा मिश्रा ने लिखी है.
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सर कार्यवाह आलोक कुमार ने कहा कि लोकमाता अहिल्याबाई का जीवन सबके लिए प्रेरणादाई हैं. उनका पराक्रम अद्भुत था. वह कुशल रणनीतिकार, पराक्रमशीलता व युद्ध कला में प्रवीण थीं. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह आलोक कुमार ने रविवार को सीएमएस गोमतीनगर में दीप प्रज्ज्वलित कर लोकमाता अहिल्याबाई होलकर त्रिशताब्दी समारोह का उदघाटन किया.
इस अवसर पर सह सरकार्यवाह आलोक कुमार, लोकमाता अहिल्याबाई होलकर के वंशज उदय राजे होलकर व डॉ. माला ठाकुर ने अहिल्याबाई होलकर के जीवन पर लगी प्रदर्शनी का भी उदघाटन किया. सह सरकार्यवाह ने कहा कि अहिल्याबाई होल्कर सती प्रथा की विरोधी थी. वह त्याग की प्रतिमूर्ति थी. उन्होंने साड़ी का उद्योग महेश्वर में शुरू कराया. युद्ध में जो सैनिक बलिदान हो जाते थे, उनकी विधवा महिलाओं के लिए रोजगार का सृजन किया. उन्होंने सिंचाई के संसाधन विकसित किया और उपज बढ़ाने के लिए काम किया.
अहिल्याबाई होल्कर ने राजस्थान से पत्थर काटकर मंदिर बनाने वालों को लाकर बसाया और उनको भूमि दी. उनका चरित्र विशिष्ट था और दूरदर्शी सोच वाली महिला थी। उस समय युद्ध के दौरान बलिदान हो जाने वाले सैनिक के आश्रितों को एक मुफ्त राशि देने और पेंशन की योजना शुरू की पेंशन देने की योजना शुरू की. आलोक कुमार ने कहा कि जिस समय पश्चिम सोच भी नहीं सकता था, उस समय भारत में अहिल्याबाई लक्ष्मीबाई और दुर्गावती जैसी महान वीरांगनाएं थी.
लोकमाता अहिल्याबाई होलकर त्रिशताब्दी समारोह समिति की राष्ट्रीय सचिव डॉ. माला ठाकुर ने कहा आज जब समाज को कुछ लोग जाति, भाषा और क्षेत्र के आधार पर बांटने का काम कर रहे हैं. वहीं उस काल खंड में लोकमाता अहिल्याबाई न सिर्फ समाज की दशा और दिशा निर्धारण का काम कर रही थीं, बल्कि वह सामाजिक समर्थन का उदाहरण भी प्रस्तुत कर रही थीं. लोक माता जब भोजन करती थीं, तो वह समाज के सभी वर्ग के लोगों के साथ बैठकर एक साथ एक पंक्ति में भोजन करती थीं. उनके समय किसी के साथ कभी जाति के आधार पर भेदभाव नहीं हुआ.
इससे बड़ा सामाजिक समरसता का कोई उदहारण नहीं मिलता. आज यह भारत जागरण का समय है, जहां हमें कुरीतियों से बाहर निकलकर सामाजिक समरसता के माध्यम से एक और संगठित होना है. कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए पूज्य लोकमाता अहिल्याबाई होलकर के वंशज श्री उदय राजे होलकर ने कहा कि उनके जीवन मे समरसता का भाव था. अहिल्याबाई ने महेश्वर राज्य की सीमा को लाघते हुए पूरे देश में उन्होंने काम किया. समिति के माध्यम से अहिल्याबाई के जीवन को जन-जन तक पहुंचाने का महान कार्य राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ कर रहा है.
लोकमाता अहिल्याबाई होलकर त्रिशताब्दी समारोह समिति अवध प्रान्त के संरक्षक व बावन मंदिर अयोध्या के महंत श्री बैदेही बल्लभ शरण महाराज ने कहा कि समिति अवध प्रान्त के सभी जिलों में वर्षभर विभिन्न कार्यक्रम करेगी. उन्होंने बताया कि साधु संतों और धर्माचार्यों के बीच अयोध्या और नैमिषारण्य में बड़े कार्यक्रमों की योजना बनी है.
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