रांची: जमीन से जुड़े मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की कार्रवाई की वजह से हेमंत सोरेन न्यायिक हिरासत में हैं. झारखंड मुक्ति मोर्चा के कार्यकर्ता हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी के विरोध में जहां 16 फरवरी से बापू वाटिका के समक्ष धरना-प्रदर्शन कर रहे हैं. वहीं पार्टी की ओर से पंचायत स्तर पर न्याय मार्च निकाला जा रहा है. इसी कड़ी में बुधवार को राज्य के कई आदिवासी संगठनों ने हेमंत सोरेन को न्याय दिलाने के लिए रांची में न्याय आक्रोश मार्च निकाला. हाथों में सरना झंडा, परंपरागत हथियार तीर-धनुष और आदिवासी लिबास में धरती आबा भगवान बिरसा मुंडा के समाधि स्थल से बड़ी संख्या में आदिवासियों ने आक्रोश मार्च निकाला.
भाजपा और केंद्र सरकार के इशारे पर ईडी ने झूठे मामले में हेमंत सोरेन को फंसायाः अजय तिर्की
आक्रोश मार्च में शामिल केंद्रीय सरना समिति के अध्यक्ष अजय तिर्की ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी और केंद्र सरकार के इशारे पर ईडी ने एक आदिवासी नेता हेमंत सोरेन को झूठे मामले में फंसा कर जेल भेजा है. उनपर सिर्फ इसलिए कार्रवाई हुई है, क्योंकि उन्होंने भाजपा के नेताओं के सामने झुकने से इनकार कर दिया था और राज्य के हक की बात कर रहे थे. जब उन्होंने केंद्र से अपना बकाया एक लाख छत्तीस हजार करोड़ रुपए मांगा तब झूठे मामले में उन्हें फंसा दिया गया है. ऐसे में राज्य का आदिवासी समाज का मानना है कि आदिवासी युवा नेता हेमंत सोरेन के साथ अन्याय हुआ है. इसलिए हमलोगों ने आक्रोश मार्च निकाला है. यह केंद्र की सरकार और भाजपा के लिए एक चेतावनी भी है. राजभवन के पास धारा 144 लागू रहने के बावजूद न्याय आक्रोश मार्च निकालने के सवाल पर अजय तिर्की ने कहा कि धारा 144 लगे या कोई और धारा, हम आदिवासी डरने वाले नहीं हैं.
तीर-धनुष लेकर आईं थी आदिवासी महिलाएं
कांके के डिस्टलरी पुल स्थित धरती आबा भगवान बिरसा मुंडा समाधि स्थल से राजभवन के लिए निकले न्याय आक्रोश मार्च में बड़ी संख्या में आदिवासी महिलाएं भी शामिल हुईं. हाथ में तीर-धनुष लिए इन महिलाओं ने कहा कि जब तक हेमंत सोरेन जेल से बाहर नहीं आ जाते हैं, तब तक आदिवासी चैन से नहीं बैठेंगे.
राजभवन के पास पुलिस ने रोक दिया आक्रोश मार्च
राजभवन के पास पुलिस में आक्रोश मार्च को आगे बढ़ने से रोक दिया. इसके बाद वहीं पर आक्रोश मार्च सभा में तब्दील हो गया. जहां वक्ताओं ने भाजपा और केंद्र की सरकार को आदिवासी विरोधी बताते हुए कहा कि एक साजिश के तहत राज्य के युवा और लोकप्रिय आदिवासी नेता को गलत मामले में फंसाया गया है.
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