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झारखंड के आदिवासियों का खान-पान बनाता है उन्हें औरों से अलग! जानें, क्या है खास - Jharkhand Adivasi Mahotsav

Tribal food fair. रांची में आदिवासी महोत्सव के अवसर पर ट्राइबल फूड फेयर का आयोजन किया गया. इसमें आदिवासियों का पसंदीदा फूड आइटम धुस्का के साथ साथ अन्य व्यंजनों के लगाए स्टॉल में लोगों ने जमकर इन पारंपरिक खाना का स्वाद लिया.

Tribal food fair on Tribal Festival in Ranchi
ट्राइबल फूड फेयर (Etv Bharat)
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Aug 9, 2024, 10:53 PM IST

Updated : Aug 10, 2024, 12:15 PM IST

रांचीः इन दिनों विश्व आदिवासी दिवस के मौके पर जनजातियों को जानने समझने के लिए बड़े बड़े आयोजन किए जा रहे हैं. झारखंड सरकार भी दो दिवसीय आदिवासी महोत्सव आयोजित कर इसे भव्य रुप दी है.

आदिवासी महोत्सव पर ट्राइबल फूड फेयर (ETV Bharat)

देश के अलग-अलग प्रांतों में रह रहे इन जनजातियों का रहन सहन अलग-अलग है. झारखंड में रहने वाले ट्राइबल देश के अन्य राज्यों में रहने वाले जनजातीय समुदाय से कई मायनों में भिन्न है. यहां 32 तरह के जनजातीय निवास करते हैं जो देश के अन्य प्रांतों में रहनेवाले ट्राइबल की तुलना में अलग हैं. सबसे बड़ी खासियत खानपान की है जो झारखंड के आदिवासियों को अलग करता है. यहां के ट्राइबल का भोजन सरल है. खाना पकाने का तरीका भी एकदम सरल है. खाना पकाने की प्रक्रिया में तेज आंच की जगह धीमी आंच पर खाना बनाना और बहुत कम तेल के साथ तलना शामिल है. उबालकर खाना बनाना और भाप के सहारे भोजन पकाना सामान्य तरीका है. पत्थर पर पीसकर या मसलकर भोजन तैयार करना यहां का खास तरीका है.

लुप्त होते खास व्यंजन को बचाने की कोशिश

यहां के आदिवासियों का पसंदीदा फूड आइटम धुस्का है. जिसे हर मौसम में खाया जाता है. इसे चावल के घोल से डीप फ्राई करके बनाया जाता है. इसके अलावे बर्रा, चिल्का रोटी, पीठा, मालपुआ, शुक्ति झोरी, भरता और चटनी शामिल है. इसके अलावा झारखंड के आदिवासियों के खाने की थाली का अहम हिस्सा साग है. ये लोग अपने खाने में कई तरह के सागों का शामिल करते हैं. मगर समय के साथ इनके आहार में जंक फूड का प्रवेश और ट्रेडिशनल फूड आइटम की अनदेखी हावी होने लगी है. यही वजह है कि आदिवासी महोत्सव के अवसर पर ट्रायबल फूड फेयर के माध्यम से इसे बचाकर रखने की अपील की गई. जिसमें मड़ुआ से बने कई तरह के आइटम प्रदर्शित करने के साथ बिक्री भी की गई, जिसे लोगों ने खासा पसंद किया. रिया सोरेन ने प्रदर्शनी के माध्यम से संथाल के आदिवासियों के फूड आइटम और उसमें होने वाले ट्रेडिशनल सामानों के बारे में विस्तार से जानकारी दी.

रांचीः इन दिनों विश्व आदिवासी दिवस के मौके पर जनजातियों को जानने समझने के लिए बड़े बड़े आयोजन किए जा रहे हैं. झारखंड सरकार भी दो दिवसीय आदिवासी महोत्सव आयोजित कर इसे भव्य रुप दी है.

आदिवासी महोत्सव पर ट्राइबल फूड फेयर (ETV Bharat)

देश के अलग-अलग प्रांतों में रह रहे इन जनजातियों का रहन सहन अलग-अलग है. झारखंड में रहने वाले ट्राइबल देश के अन्य राज्यों में रहने वाले जनजातीय समुदाय से कई मायनों में भिन्न है. यहां 32 तरह के जनजातीय निवास करते हैं जो देश के अन्य प्रांतों में रहनेवाले ट्राइबल की तुलना में अलग हैं. सबसे बड़ी खासियत खानपान की है जो झारखंड के आदिवासियों को अलग करता है. यहां के ट्राइबल का भोजन सरल है. खाना पकाने का तरीका भी एकदम सरल है. खाना पकाने की प्रक्रिया में तेज आंच की जगह धीमी आंच पर खाना बनाना और बहुत कम तेल के साथ तलना शामिल है. उबालकर खाना बनाना और भाप के सहारे भोजन पकाना सामान्य तरीका है. पत्थर पर पीसकर या मसलकर भोजन तैयार करना यहां का खास तरीका है.

लुप्त होते खास व्यंजन को बचाने की कोशिश

यहां के आदिवासियों का पसंदीदा फूड आइटम धुस्का है. जिसे हर मौसम में खाया जाता है. इसे चावल के घोल से डीप फ्राई करके बनाया जाता है. इसके अलावे बर्रा, चिल्का रोटी, पीठा, मालपुआ, शुक्ति झोरी, भरता और चटनी शामिल है. इसके अलावा झारखंड के आदिवासियों के खाने की थाली का अहम हिस्सा साग है. ये लोग अपने खाने में कई तरह के सागों का शामिल करते हैं. मगर समय के साथ इनके आहार में जंक फूड का प्रवेश और ट्रेडिशनल फूड आइटम की अनदेखी हावी होने लगी है. यही वजह है कि आदिवासी महोत्सव के अवसर पर ट्रायबल फूड फेयर के माध्यम से इसे बचाकर रखने की अपील की गई. जिसमें मड़ुआ से बने कई तरह के आइटम प्रदर्शित करने के साथ बिक्री भी की गई, जिसे लोगों ने खासा पसंद किया. रिया सोरेन ने प्रदर्शनी के माध्यम से संथाल के आदिवासियों के फूड आइटम और उसमें होने वाले ट्रेडिशनल सामानों के बारे में विस्तार से जानकारी दी.

Last Updated : Aug 10, 2024, 12:15 PM IST
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