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ग्वालियर,भिंड और मुरैना में त्रिकोणीय मुकाबला, बीएसपी बिगाड़ सकती है भाजपा-कांग्रेस का खेल - Triangular fight Gwalior Chambal

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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Apr 25, 2024, 9:24 PM IST

ग्वालियर,भिंड और मुरैना में बीएसपी प्रत्याशी भले ही चुनाव ना जीते लेकिन भाजपा और कांग्रेस के लिए मुश्किलें जरूर खड़ी कर दीं हैं. कांग्रेस से नाराज होकर तीन नेताओं ने बीएसपी का दामन थामा और चुनाव मैदान में कूद गए. बताया जाता है कि इन नेताओं का अपने क्षेत्र में वर्चस्व है. ऐसे में बीजेपी और कांग्रेस के स्टार प्रचारक मतदाताओं को लुभाने में कोई कसर बाकी नहीं रखना चाहते हैं.

TRIANGULAR FIGHT GWALIOR CHAMBAL
ग्वालियर-चंबल में बीएसपी ने बिगाड़ा समीकरण

भोपाल। लोकसभा चुनाव के तीसरे चरण में मध्य प्रदेश की 3 सीटों पर बीएसपी के तीन उम्मीदवारों ने बीजेपी-कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ा दी हैं. इन 3 सीटों पर बीजेपी और कांग्रेस के उम्मीदवारों की साख दांव पर लगी है. बीएसपी ने नाराज नेताओं को चुनाव मैदान में उतारकर मध्य प्रदेश की मुरैना, भिंड और ग्वालियर सीट पर मुकाबले को त्रिकोणीय बना दिया है. हालांकि इन सीटों पर बीजेपी ने अपनी ताकत झोंकना शुरू कर दी है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मुरैना सीट पर जनसभा संबोधित की है और अब प्रियंका गांधी मुरैना में 2 मई को सभा करने जा रही हैं. इन तीन सीटों के अलावा गुना लोकसभा सीट और राजगढ़ लोकसभा सीट पर भी चुनौती कम नहीं है.

ग्वालियर-चंबल में बीएसपी ने बिगाड़ा समीकरण

लोकसभा चुनाव के तीसरे चरण में प्रदेश की सबसे ज्यादा 9 लोकसभा सीटों पर 7 मई को वोट डाले जाएंगे. इन 9 सीटों में मुरैना, भिंड, ग्वालियर, गुना, सागर, विदिशा, भोपाल, राजगढ़ और बैतूल सीटें हैं. इनमें से 5 सीटों को चुनौती पूर्ण माना जा रहा है. ग्वालियर-चंबल अंचल की मुरैना,भिंड और ग्वालियर लोकसभा सीट पर बीएसपी के उम्मीदवारों ने चुनावी समीकरण गड़बड़ा दिए हैं.

मुरैना से रमेश चंद्र गर्ग

बीएसपी ने चंबल अंचल की मुरैना लोकसभा सीट पर रमेश चंद्र गर्ग को मैदान में उतारकर मुकाबले को रोचक बना दिया है. यहां से बीजेपी के शिवमंगल सिंह तोमर और कांग्रेस प्रत्याशी सत्यपाल सिंह सिकरवार मैदान में हैं. रमेश गर्ग का संपर्क बीजेपी और कांग्रेस दोनों पार्टियों से रहा है. चुनाव के पहले ही वे कांग्रेस छोड़ बीएसपी के टिकट पर मैदान में उतरे हैं. मुरैना लोकसभा सीट पर ठाकुर, ब्राम्हण, दलित मतदाता निर्णायक होते हैं, ऐसे में बीएसपी उम्मीदवार की मौजूदगी से बीजेपी-कांग्रेस उम्मीदवारों का गणित गड़बड़ाने का भय सता रहा है.

भिंड से देवाशीष जरारिया

दिल्ली में लॉ की पढ़ाई बीच में छोड़कर 2019 के लोकसभा चुनाव में भिंड सीट से कांग्रेस की टिकट पर देवाशीष जरारिया मैदान में उतरे, लेकिन बीजेपी उम्मीदवार संध्या राय से 1.99 लाख वोटों से चुनाव हार गए. इस बार कांग्रेस पार्टी ने देवाशीष जरारिया को तवज्जो नहीं दिया तो बीएसपी के टिकट पर भिंड से मैदान में हैं. कांग्रेस की तरफ से इस बार फूल सिंह बरैया उम्मीदवार हैं, जबकि बीजेपी के टिकट पर संध्या राय चुनाव लड़ रही हैं. विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को भिंड लोकसभा सीट पर 30 हजार की लीड मिली थी, लेकिन बीएसपी उम्मीदवार देवाशीष के मैदान में उतरने के बाद यहां के समीकरण बदल गए हैं. वैसे इस सीट पर बीजेपी 1989 से लगातार जीतती आ रही है.

ग्वालियर से कल्याण सिंह कंसाना

बीएसपी ने ग्वालियर से कल्याण सिंह कंसाना को चुनाव मैदान में उतारा है. कंसाना मूल रूप से कांग्रेसी हैं, लेकिन टिकट न मिलने से नाराज होकर बीएसपी में चले गए थे. बीजेपी के टिकट पर भारत सिंह कुशवाहा, जबकि कांग्रेस से प्रवीण पाठक चुनाव लड़ रहे हैं. इस सीट पर गुर्जर वोटर्स की संख्या 2 लाख से ज्यादा है. इसके अलावा ब्राहम्ण और क्षत्रिय वोट भी निर्णायक माने जाते हैं. यही वजह है कि बीएसपी उम्मीदवार कंसाना की मौजूदगी ने मुकाबले को त्रिकोणीय बना दिया है.

सिंधिया के साथ परिवार बहा रहा पसीना

2019 में कांग्रेस के टिकट पर गुना से चुनाव हार चुके केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया इस बार बीजेपी के टिकट पर मैदान में हैं. कांग्रेस के टिकट पर यादवेन्द्र सिंह यादव चुनाव लड़ रहे हैं. इस लोकसभा सीट पर यादव और लोधी मतदाताओं का दबदबा माना जाता है. क्षेत्र में यादव मतदाताओं की संख्या करीबन ढाई लाख है. सिंधिया पिछला चुनाव भी इसी फेक्टर के चलते हारे थे. इस बार सिंधिया जीत के लिए क्षेत्र में खूब पसीना बहा रहे हैं. ज्योतिरादित्य सिंधिया के अलावा पत्नी प्रियदर्शिनी राजे, बेटा महाआर्यमन तक दिन-रात प्रचार कर रहे हैं.

दिग्विजय सिंह कर रहे भावनात्मक अपील

राजगढ़ लोकसभा सीट पर पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के चुनाव मैदान में उतरने के बाद यहां मुकाबला अब बीजेपी के लिए एक तरफा नहीं रहा है. पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह इसे अपना आखिरी चुनाव बताकर लोगों से भावनात्मक अपील कर रहे हैं. इस सीट पर दिग्विजय सिंह के परिवार की मजबूत पकड़ रही है और यही वजह है कि बीजेपी उम्मीदवार रोडमल नागर को पिछले दो चुनाव के मुकाबले इस बार कड़ी चुनौती मिल रही है.

ये भी पढ़ें:

मुरैना लोकसभा सीट पर दो पूर्व विधायकों के बीच घमासान, हार-जीत में बीएसपी फैक्टर होगा अहम

भिंड लोकसभा सीट पर त्रिकोणीय मुकाबला, कांग्रेस छोड़ बसपा में गये देवशीष जरारिया प्रत्याशी घोषित, झलका दर्द

ग्वालियर से कांग्रेस प्रत्याशी ने खुद को कछुआ और बीजेपी प्रत्याशी को क्यों बताया खरगोश

बीएसपी बनी मुसीबत

राजनीतिक विश्लेषक अजय बोकिल कहते हैं कि "गुना में सिंधिया इस बार कोई रिस्क लेना नहीं चाहते, यही वजह है कि उनकी परंपरागत सीट होने और उनके भाजपा उम्मीदवार होने के बाद भी सिंधिया दिन-रात पसीना बहा रहे हैं. इस सीट पर यादव वोट बैंक का समीकरण बनता बिगड़ता है. हालांकि ग्वालियर चंबल इलाके की बाकी 3 सीटों पर बीएसपी के उम्मीदवार खड़े हुए हैं लेकिन पिछले सालों में बीएसपी का मध्य प्रदेश में वोट बैंक कम हुआ है,फिर भी बीएसपी दोनों ही पार्टी बीजेपी और कांग्रेस के वोट तो काटेगी".

भोपाल। लोकसभा चुनाव के तीसरे चरण में मध्य प्रदेश की 3 सीटों पर बीएसपी के तीन उम्मीदवारों ने बीजेपी-कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ा दी हैं. इन 3 सीटों पर बीजेपी और कांग्रेस के उम्मीदवारों की साख दांव पर लगी है. बीएसपी ने नाराज नेताओं को चुनाव मैदान में उतारकर मध्य प्रदेश की मुरैना, भिंड और ग्वालियर सीट पर मुकाबले को त्रिकोणीय बना दिया है. हालांकि इन सीटों पर बीजेपी ने अपनी ताकत झोंकना शुरू कर दी है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मुरैना सीट पर जनसभा संबोधित की है और अब प्रियंका गांधी मुरैना में 2 मई को सभा करने जा रही हैं. इन तीन सीटों के अलावा गुना लोकसभा सीट और राजगढ़ लोकसभा सीट पर भी चुनौती कम नहीं है.

ग्वालियर-चंबल में बीएसपी ने बिगाड़ा समीकरण

लोकसभा चुनाव के तीसरे चरण में प्रदेश की सबसे ज्यादा 9 लोकसभा सीटों पर 7 मई को वोट डाले जाएंगे. इन 9 सीटों में मुरैना, भिंड, ग्वालियर, गुना, सागर, विदिशा, भोपाल, राजगढ़ और बैतूल सीटें हैं. इनमें से 5 सीटों को चुनौती पूर्ण माना जा रहा है. ग्वालियर-चंबल अंचल की मुरैना,भिंड और ग्वालियर लोकसभा सीट पर बीएसपी के उम्मीदवारों ने चुनावी समीकरण गड़बड़ा दिए हैं.

मुरैना से रमेश चंद्र गर्ग

बीएसपी ने चंबल अंचल की मुरैना लोकसभा सीट पर रमेश चंद्र गर्ग को मैदान में उतारकर मुकाबले को रोचक बना दिया है. यहां से बीजेपी के शिवमंगल सिंह तोमर और कांग्रेस प्रत्याशी सत्यपाल सिंह सिकरवार मैदान में हैं. रमेश गर्ग का संपर्क बीजेपी और कांग्रेस दोनों पार्टियों से रहा है. चुनाव के पहले ही वे कांग्रेस छोड़ बीएसपी के टिकट पर मैदान में उतरे हैं. मुरैना लोकसभा सीट पर ठाकुर, ब्राम्हण, दलित मतदाता निर्णायक होते हैं, ऐसे में बीएसपी उम्मीदवार की मौजूदगी से बीजेपी-कांग्रेस उम्मीदवारों का गणित गड़बड़ाने का भय सता रहा है.

भिंड से देवाशीष जरारिया

दिल्ली में लॉ की पढ़ाई बीच में छोड़कर 2019 के लोकसभा चुनाव में भिंड सीट से कांग्रेस की टिकट पर देवाशीष जरारिया मैदान में उतरे, लेकिन बीजेपी उम्मीदवार संध्या राय से 1.99 लाख वोटों से चुनाव हार गए. इस बार कांग्रेस पार्टी ने देवाशीष जरारिया को तवज्जो नहीं दिया तो बीएसपी के टिकट पर भिंड से मैदान में हैं. कांग्रेस की तरफ से इस बार फूल सिंह बरैया उम्मीदवार हैं, जबकि बीजेपी के टिकट पर संध्या राय चुनाव लड़ रही हैं. विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को भिंड लोकसभा सीट पर 30 हजार की लीड मिली थी, लेकिन बीएसपी उम्मीदवार देवाशीष के मैदान में उतरने के बाद यहां के समीकरण बदल गए हैं. वैसे इस सीट पर बीजेपी 1989 से लगातार जीतती आ रही है.

ग्वालियर से कल्याण सिंह कंसाना

बीएसपी ने ग्वालियर से कल्याण सिंह कंसाना को चुनाव मैदान में उतारा है. कंसाना मूल रूप से कांग्रेसी हैं, लेकिन टिकट न मिलने से नाराज होकर बीएसपी में चले गए थे. बीजेपी के टिकट पर भारत सिंह कुशवाहा, जबकि कांग्रेस से प्रवीण पाठक चुनाव लड़ रहे हैं. इस सीट पर गुर्जर वोटर्स की संख्या 2 लाख से ज्यादा है. इसके अलावा ब्राहम्ण और क्षत्रिय वोट भी निर्णायक माने जाते हैं. यही वजह है कि बीएसपी उम्मीदवार कंसाना की मौजूदगी ने मुकाबले को त्रिकोणीय बना दिया है.

सिंधिया के साथ परिवार बहा रहा पसीना

2019 में कांग्रेस के टिकट पर गुना से चुनाव हार चुके केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया इस बार बीजेपी के टिकट पर मैदान में हैं. कांग्रेस के टिकट पर यादवेन्द्र सिंह यादव चुनाव लड़ रहे हैं. इस लोकसभा सीट पर यादव और लोधी मतदाताओं का दबदबा माना जाता है. क्षेत्र में यादव मतदाताओं की संख्या करीबन ढाई लाख है. सिंधिया पिछला चुनाव भी इसी फेक्टर के चलते हारे थे. इस बार सिंधिया जीत के लिए क्षेत्र में खूब पसीना बहा रहे हैं. ज्योतिरादित्य सिंधिया के अलावा पत्नी प्रियदर्शिनी राजे, बेटा महाआर्यमन तक दिन-रात प्रचार कर रहे हैं.

दिग्विजय सिंह कर रहे भावनात्मक अपील

राजगढ़ लोकसभा सीट पर पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के चुनाव मैदान में उतरने के बाद यहां मुकाबला अब बीजेपी के लिए एक तरफा नहीं रहा है. पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह इसे अपना आखिरी चुनाव बताकर लोगों से भावनात्मक अपील कर रहे हैं. इस सीट पर दिग्विजय सिंह के परिवार की मजबूत पकड़ रही है और यही वजह है कि बीजेपी उम्मीदवार रोडमल नागर को पिछले दो चुनाव के मुकाबले इस बार कड़ी चुनौती मिल रही है.

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मुरैना लोकसभा सीट पर दो पूर्व विधायकों के बीच घमासान, हार-जीत में बीएसपी फैक्टर होगा अहम

भिंड लोकसभा सीट पर त्रिकोणीय मुकाबला, कांग्रेस छोड़ बसपा में गये देवशीष जरारिया प्रत्याशी घोषित, झलका दर्द

ग्वालियर से कांग्रेस प्रत्याशी ने खुद को कछुआ और बीजेपी प्रत्याशी को क्यों बताया खरगोश

बीएसपी बनी मुसीबत

राजनीतिक विश्लेषक अजय बोकिल कहते हैं कि "गुना में सिंधिया इस बार कोई रिस्क लेना नहीं चाहते, यही वजह है कि उनकी परंपरागत सीट होने और उनके भाजपा उम्मीदवार होने के बाद भी सिंधिया दिन-रात पसीना बहा रहे हैं. इस सीट पर यादव वोट बैंक का समीकरण बनता बिगड़ता है. हालांकि ग्वालियर चंबल इलाके की बाकी 3 सीटों पर बीएसपी के उम्मीदवार खड़े हुए हैं लेकिन पिछले सालों में बीएसपी का मध्य प्रदेश में वोट बैंक कम हुआ है,फिर भी बीएसपी दोनों ही पार्टी बीजेपी और कांग्रेस के वोट तो काटेगी".

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