नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को याचिकाकर्ता के उत्पीड़न के आरोपों पर दिल्ली पुलिस से जवाब मांगा है. रिज वन में "अवैध" पेड़ों की कटाई को लेकर दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) के खिलाफ अवमानना की याचिका दायर करने वाले ने आरोप लगाया कि प्रशासन प्रताड़ित कर रहा है. इस मुद्दे पर न्यायमूर्ति अभय एस ओका और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी किया है.
याचिकाकर्ता की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल शंकरनारायणन ने अदालत को सूचित किया कि शहर के पुलिस अधिकारी अन्य याचिकाकर्ता न्यू दिल्ली नेचर सोसाइटी के बारे में भी पूछताछ कर रहे हैं. पुलिस ने उनके बैंक से भी संपर्क किया है और उनके खातों के बारे में विस्तृत जानकारी मांगी है. पीठ ने शंकरनारायणन की दलील पर ध्यान दिया और मामले में नोटिस जारी किया.
बिंदु कपूरिया ने अपनी अवमानना याचिका में आरोप लगाया है कि 4 मार्च को कोर्ट के आदेश के बावजूद डीडीए को पेड़ों की कटाई की अनुमति नहीं दी गई और पेड़ों की कटाई के बारे में कोर्ट से तथ्य छिपाए गए. सर्वोच्च न्यायालय ने सड़क चौड़ीकरण परियोजना के लिए रिज वन में 1,100 पेड़ों की कथित कटाई को लेकर डीडीए के उपाध्यक्ष के खिलाफ स्वत: संज्ञान लेते हुए अवमानना कार्यवाही शुरू की है.
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बता दें, दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय के निर्देश पर इस मामले की जांच के लिए गठित फैक्ट फाइंडिंग कमेटी में शामिल मंत्री सौरभ भारद्वाज, आतिशी ने मंगलवार को मौके पर जाकर जायजा लिया. इन्होंने उपराज्यपाल वीके सक्सेना और डीडीए पर आरोप लगाया कि छतरपुर जंगल में फॉर्म हाउस वालों को फायदा पहुंचाने के लिए किया गया. डीडीए यहां जंगल काटकर सड़क बना रहा है. इसी सड़क के दूसरी तरफ़ फार्महाउस हैं, उनकी ज़मीन को लेकर भी सड़क चौड़ी की जा सकती थी लेकिन डीडीए ने ग़ैरक़ानूनी ढंग से जंगल काट दिए.
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