ETV Bharat / state

दूसरे राज्यों से आने वाले वाहनों से परिवहन विभाग वसूलेगा ग्रीनसेस, जानिए कैसे कटेंगे रुपए

दूसरे राज्यों से आने वाले वाहनों के टोल के साथ ग्रीन सेस भी कट जाया करेगा. परिवहन विभाग ने जिसकी तैयारी तेज कर दी है.

Uttarakhand Transport Department
उत्तराखंड परिवहन आयुक्त ऑफिस (Photo-ETV Bharat)
author img

By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : 24 hours ago

देहरादून: उत्तराखंड में दाखिल होने वाले अन्य राज्यों के वाहनों के लिए परिवहन विभाग अब सीमाओं पर स्वचालित वाहन ग्रीन सेस संग्रह प्रणाली (एवीजीसीसीएस) शुरू करने जा रहा है. एवीजीसीसीएस को शुरू करने के लिए विभाग कंपनी की तलाश कर रही है. जबकि परिवहन विभाग, प्रदेश के सभी सीमाओं पर ऑटोमेटिक नंबर प्लेट रिकग्निशन (एएनपीआर) कैमरे लगा चुका है.

दरअसल, साल 2024 में हुए लोकसभा चुनाव से ठीक पहले उत्तराखंड सरकार ने बाहरी गाड़ियों से ग्रीन सेस वसूलने संबंधित अधिसूचना जारी कर दी थी. लेकिन अभी तक इसे प्रभावी ढंग से धरातल पर उतारा नहीं जा सका है. क्योंकि, परिवहन विभाग ने बाहरी वाहनों से ग्रीन सेस वसूलने के लिए पहले टोल प्लाजा को माध्यम बनाया था. लेकिन अब इसमें बदलाव कर दिया है. जिसके तहत इंटेलिजेंट टोलिंग सिस्टम सॉफ्टवेयर से ऑटोमेटिक व्हीकल ग्रीन सेस कलेक्शन सिस्टम की शुरुआत करने जा रही है.

इस प्रक्रिया के अनुसार, वाहनों की नंबर प्लेट को सॉफ्टवेयर रीड करेगा और सीधे एनपीसीआई को जानकारी के लिए रिक्वेस्ट भेजेगा. जिसके बाद संबंधित वाहन का फास्टैग वॉलेट चिन्हित हो जाएगा और उस खाते से ग्रीन सेस का पैसा खुद ही कट जाएगा. हालांकि, ये पूरी प्रक्रिया कुछ सेकेंड में ही संपन्न हो जाएगा. बाहरी वाहनों से ग्रीन सेस लेने के दो फायदे हैं. पहला प्रदेश में आने वाले लाखों वाहनों से जहां एक ओर राज्य सरकार को ग्रीन सेस के जरिए राजस्व मिलेगा. वहीं, दूसरी ओर प्रदेश में आने वाले वाहनों की जानकारी भी सरकार के पास मौजूद होगी.

पिछले कुछ सालों से देश में भारत सीरीज के नंबर मिल रहे हैं. इसके साथ ही तमाम वाहन ऐसे भी हैं, जिनका नंबर किसी अन्य राज्य का है. लेकिन वो उत्तराखंड में पंजीकृत है. हालांकि, इन वाहनों के नंबर की जानकारी एएनपीआर कैमरे और सॉफ्टवेयर से मिल जाएगी. लेकिन इनका वाहन पोर्टल से रजिस्टरिंग अथॉरिटी कोड लेने के लिए अब परिवहन विभाग, केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्रालय, भारत सरकार को पत्र भेजने जा रहा है.
पढ़ें-उत्तराखंड में बढ़ा गाड़ियों के VIP नंबरों का क्रेज, साढ़े 8 लाख में बिका 0002 नंबर, दर्ज हुआ रिकॉर्ड

देहरादून: उत्तराखंड में दाखिल होने वाले अन्य राज्यों के वाहनों के लिए परिवहन विभाग अब सीमाओं पर स्वचालित वाहन ग्रीन सेस संग्रह प्रणाली (एवीजीसीसीएस) शुरू करने जा रहा है. एवीजीसीसीएस को शुरू करने के लिए विभाग कंपनी की तलाश कर रही है. जबकि परिवहन विभाग, प्रदेश के सभी सीमाओं पर ऑटोमेटिक नंबर प्लेट रिकग्निशन (एएनपीआर) कैमरे लगा चुका है.

दरअसल, साल 2024 में हुए लोकसभा चुनाव से ठीक पहले उत्तराखंड सरकार ने बाहरी गाड़ियों से ग्रीन सेस वसूलने संबंधित अधिसूचना जारी कर दी थी. लेकिन अभी तक इसे प्रभावी ढंग से धरातल पर उतारा नहीं जा सका है. क्योंकि, परिवहन विभाग ने बाहरी वाहनों से ग्रीन सेस वसूलने के लिए पहले टोल प्लाजा को माध्यम बनाया था. लेकिन अब इसमें बदलाव कर दिया है. जिसके तहत इंटेलिजेंट टोलिंग सिस्टम सॉफ्टवेयर से ऑटोमेटिक व्हीकल ग्रीन सेस कलेक्शन सिस्टम की शुरुआत करने जा रही है.

इस प्रक्रिया के अनुसार, वाहनों की नंबर प्लेट को सॉफ्टवेयर रीड करेगा और सीधे एनपीसीआई को जानकारी के लिए रिक्वेस्ट भेजेगा. जिसके बाद संबंधित वाहन का फास्टैग वॉलेट चिन्हित हो जाएगा और उस खाते से ग्रीन सेस का पैसा खुद ही कट जाएगा. हालांकि, ये पूरी प्रक्रिया कुछ सेकेंड में ही संपन्न हो जाएगा. बाहरी वाहनों से ग्रीन सेस लेने के दो फायदे हैं. पहला प्रदेश में आने वाले लाखों वाहनों से जहां एक ओर राज्य सरकार को ग्रीन सेस के जरिए राजस्व मिलेगा. वहीं, दूसरी ओर प्रदेश में आने वाले वाहनों की जानकारी भी सरकार के पास मौजूद होगी.

पिछले कुछ सालों से देश में भारत सीरीज के नंबर मिल रहे हैं. इसके साथ ही तमाम वाहन ऐसे भी हैं, जिनका नंबर किसी अन्य राज्य का है. लेकिन वो उत्तराखंड में पंजीकृत है. हालांकि, इन वाहनों के नंबर की जानकारी एएनपीआर कैमरे और सॉफ्टवेयर से मिल जाएगी. लेकिन इनका वाहन पोर्टल से रजिस्टरिंग अथॉरिटी कोड लेने के लिए अब परिवहन विभाग, केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्रालय, भारत सरकार को पत्र भेजने जा रहा है.
पढ़ें-उत्तराखंड में बढ़ा गाड़ियों के VIP नंबरों का क्रेज, साढ़े 8 लाख में बिका 0002 नंबर, दर्ज हुआ रिकॉर्ड

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.