नई दिल्ली: दिल्ली में ठंड का मौसम शुरू होने से पहले ही यमुना नदी में जहरीले झाग की समस्या ने गंभीर रूप धारण कर लिया है. खासतौर पर कालिंदी कुंज घाट पर यह समस्या अपने चरम पर पहुंच चुकी है. विशेषज्ञों का मानना है कि जहरीला झाग मुख्य रूप से सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट से निकलने वाले कचरे के कारण उत्पन्न हो रहा है.
इस गंभीर स्थिति से निपटने के लिए स्थानीय प्रशासन ने नदी में केमिकल का छिड़काव करने का निर्णय लिया है, ताकि झाग को जल्द से जल्द खत्म किया जा सके. दिल्ली में हर साल अक्टूबर-नवंबर के बीच झाग की मात्रा दोगुनी हो जाती है, और इस बार भी कुछ ऐसा ही हो रहा है. विशेषज्ञों का कहना है कि बारिश के बाद जब यमुना का जलस्तर गिरता है तो प्रदूषण की वजह से झाग की समस्या और भी विकराल हो जाती है.
राजनीतिक सरगर्मी: कुछ समय पहले केंद्रीय राज्यमंत्री हर्ष मल्होत्रा और दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष देवेंद्र यादव ने यमुना के प्रदूषण पर गंभीर सवाल उठाए थे. यमुना की सफाई और प्रदूषण के आरोप-प्रत्यारोप का मुद्दा दिल्ली की राजनीति का केंद्रीय हिस्सा बन गया है. दिल्ली के उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना ने भी इस मुद्दे पर गंभीर चिंता जताई है. इस प्रकार प्रशासन द्वारा उठाए गए कदम क्या पर्याप्त होंगे? क्या दिल्लीवासियों को फिर से प्रदूषण के खतरे का सामना करना पड़ेगा? ये सवाल अब हर किसी के जहन में हैं.
छठ महापर्व के दौरान दिल्ली में चुनौती: आने वाले 5 नवंबर से छठ पूजा 2024 की शुरुआत होगी. बीते कई सालों से प्रदूषण की वजह से दिल्ली में यमुना किनारे छठ महापर्व का आयोजन नहीं हो पा रहा है. ऐसे में यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि इस साल प्रशासन इस झाग की समस्या से कैसे निपटता है. क्या वे अपने वादों को पूरा कर पाएंगे, या फिर एक बार पुनः प्रदूषण का मुद्दा चर्चा में रहेगा? इस सवाल का उत्तर केवल दिल्लीवासियों के लिए नहीं, बल्कि पूरे देशवासियों के लिए महत्वपूर्ण है.
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