कोटा. बारां जिले के रामगढ़ क्रेटर से अब पर्यटन की भी संभावनाएं बढ़ने लगी हैं. राज्य में रही कांग्रेस और भाजपा दोनों सरकारों ने इसे पर्यटन स्थल पर बढ़ाने का प्रयास किया है. इस रामगढ़ क्रेटर के नाम अब को रिकॉर्ड दर्ज हुआ है. जिसके तहत भारत के तीसरे उल्कापिंड प्रभाव क्रेटर बारां जिले के किशनगंज तहसील स्थित रामगढ़ क्रेटर को आधिकारिक तौर अधिसूचित भू विरासत स्थल के रूप में नामित किया गया है. यह देश का पहला अधिसूचित भू विरासत होगा.
वैज्ञानिकों एवं शोधकर्ताओं के अनुसार करीब 650 करोड़ साल पहले यह उल्कापिंड (क्रेटर) गिरा था. इससे यहां एक इंपैक्ट क्रेटर बना. सांसद दुष्यन्त सिंह की ओर से भी शनिवार को अपनी अधिकृत फेसबुक पोस्ट के माध्यम से इसे राजस्थान के लिए हर्ष व गर्व की बात बताई. दूसरी तरफ बारां के निवासियों और प्रबुद्धजनों ने रामगढ़ को आधिकारिक रूप से जियो हेरिटेज साइट अधिसूचित होने पर खुशी जताई है. वहीं, किशनगंज विधायक ललित मीणा और बारां अटरू विधायक राधेश्याम बैरवा ने भी जिले वासियों को इस पर बधाई दी है.
इन्टैक बारां चेप्टर के कन्वीनर जितेन्द्र शर्मा ने बताया कि करीब साढ़े तीन साल पहले ही विश्व के 200वें क्रेटर के रूप में संवैधानिक मान्यता प्रदान करने के साथ ही विश्व के मानचित्र पर पहचान बनी थी. आगे यहां बहुत कुछ होना है. दूसरी तरफ पिछली राज्य सरकार में भी रामगढ़ के लिए करोड़ों रुपए की घोषणा हुई थी, उसके बाद काम भी शुरू हुए व अभी चल रहे हैं. मौजूदा सरकार की ओर से यहां रोप-वे के लिए भी प्रयास किए जा रहे हैं.
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3 साल पहले क्रेटर के रूप में मिली थी मान्यता: देश की सबसे प्रथम और सबसे विशाल प्राकृतिक भौगोलिक विरासत रामगढ़ क्रेटर को विश्व के क्रेटरों को मान्यता देनी वाली अंतरराष्ट्रीय संस्था अर्थ इम्पैक्ट डाटा बेस सोसाइटी ऑफ कनाडा ने रामगढ़ की रिंग आकार वाली पहाड़ी संरचना को पूर्व में विश्व के 200वें क्रेटर के रूप में मान्यता प्रदान की थी. उसके बाद रामगढ़ की पहचान विश्व स्तर पर सामने आने लगी. इंटरनेशनल सोसायटी की मान्यता के बाद यह देश के संवैधानिक मान्यता प्राप्त क्रेटरों में तीसरे क्रेटर एवं राजस्थान का पहला संवैधानिक मान्यता प्राप्त क्रेटर घोषित हो गया था. अब इसे आधिकारिक तौर पर जियो हेरिटेज साइट (भू-विरासत स्थल) के रूप में अधिसूचित करने की जानकारी सामने आई है.
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छोटा खजुराहो भी है क्रेटर में स्थित: रामगढ़ क्रेटर बारां जिला मुख्यालय से करीब 45 किलोमीटर दूर स्थित है. वहां पर पहाड़ी पर एक माताजी का मंदिर भी स्थित है. जिसमें करीब 500 से ज्यादा सीढ़ियां बनाई गई हैं. लाखों की संख्या में श्रद्धालु साल भर वहां पर पहुंचते हैं. नवरात्रि के अवसर पर विशेष पूजा अर्चना आयोजित की जाती है. इसके अलावा भंड देवरा महादेव का भी वहां पर एक मंदिर है. इस मंदिर को छोटा खजुराहो भी माना जाता है. यह 18वीं शताब्दी का मंदिर है. एक मुख्य शिव मंदिर और दो गुफा मंदिर है.