देहरादून: उत्तराखंड पर्यटन विकास परिषद UTDB ने पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए UTDB और IRCT मिलकर केदार बद्री कार्तिक (मुरूगन) कोइल यथिराई नामक एक्सप्रेस ट्रेन चला रहे हैं. ये ट्रेन 20 जून को मदुरई, चेन्नई से चली थी जो बीते रोज 23 जून को 165 यात्रियों के साथ योगनगरी ऋषिकेश रेलवे स्टेशन पहुंची. यहां से यात्री आगे के लिए रवाना हो चुके हैं.
शेड्यूल के अनुसार 12 रातें और 13 दिनों की इस यात्रा के दौरान सभी यात्रियों को केदारनाथ धाम, बदरीनाथ धाम और कार्तिक स्वामी मन्दिर की यात्रा करायी जायेगी. साथ ही ट्रेन में यात्रा करने वाले सभी यात्रियों को पहाड़ी व्यंजन भी परोसे जा रहे हैं. ऋषिकेश पहुंचे यात्रियों का पहाड़ी रीति-रिवाजों के साथ जोरदार स्वागत किया गया. इसके बाद सभी यात्रियों ने ऋषिकेश में प्रतिदिन आयोजित होने वाली सांयकालीन गंगा आरती में हिस्सा लिया. आज ये सभी यात्री ऋषिकेश से देवप्रयाग और फिर धारी देवी मन्दिर के दर्शन के बाद रुद्रप्रयाग पहुंचे जहां रात्रि विश्राम के बाद 25 जून को यात्रियों का एक दल केदारनाथ धाम के दर्शन के लिए जबकि दूसरा दल कार्तिक स्वामी मन्दिर, रुद्रप्रयाग के दर्शन के लिए रवाना होगा. केदारनाथ धाम के दर्शन करने वाले दल को 26 जून को कार्तिक स्वामी मन्दिर और श्री कार्तिक स्वामी मन्दिर के दर्शन को गये दल को केदारनाथ धाम के दर्शन कराये जायेंगे. इसके बाद 27 जून को सभी यात्रियों को बद्रीनाथ धाम के दर्शन करवाए जायेंगे. 28 जून को सभी वापस जाएंगे.
कार्तिक स्वामी मंदिर की विशेषता: कार्तिक स्वामी रूद्रप्रयाग जिले के पवित्र पर्यटक स्थलों में से एक है. पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान शिव के पुत्र भगवान कार्तिकेय अपने माता-पिता से क्रोधित होकर यहां आये थे. तब उन्होंने यहां अपने शरीर की हड्डियाँ अपने पिता एवं मांस अपनी माता को दी. ये हड्डियां अभी भी मन्दिर में मौजूद हैं. जिन्हें हजारों भक्त पूजते हैं. दक्षिण भारत में भगवान मुरूगन के नाम से प्रसिद्ध भगवान कार्तिकेय का उत्तर भारत में स्थित यह एक मात्र मन्दिर हैं.