रायपुर: बिलासपुर के सांसद तोखन साहू मोदी कैबिनेट 3 में छत्तीसगढ़ का नेतृत्व करेंगे. मोदी कैबिनेट में तोखन साहू को छत्तीसगढ़ से जोड़ा गया है लेकिन सवाल यह भी उठ रहा है कि जातिय गोलबंदी का जो तहखाना अपने लिए बीजेपी छत्तीसगढ़ में बनाना चाहती है उसके लिए तोखन साहू उस जाति वाली राजनीति के सबसे बड़े दीवार होंगे? क्योंकि साहू समाज का वोट बैंक बड़ा है.
साहू वोट के लिए तोखन साहू को मिली केंद्रीय कैबिनेट में जगह!: तोखन साहू पिछड़ा वर्ग से आते हैं और छत्तीसगढ़ में साहू समाज की आबादी सबसे ज्यादा है. 30 लाख से ज्यादा साहू समाज के लोग छत्तीसगढ़ में हैं जो निर्णायक भूमिका भी अदा करते हैं.अगर बात वोट शेयर की करें तो लगभग 12.6 फीसदी साहू समाज के लोग छत्तीसगढ़ में हैं. ऐसे में मोदी कैबिनेट 3 में तोखन साहू छत्तीसगढ़ से जोड़े गए हैं जिसके पीछे छत्तीसगढ़ के जाति समीकरण को साधने की बीजेपी की पूरी रणनीति है.
तोखन साहू ने डेढ़ लाख से ज्यादा वोटों से देवेंद्र यादव को हराया: बिलासपुर के चुनाव परिणाम की बात करें तो बिलासपुर से तोखन साहू को पहली बार टिकट दिया गया और यहां से उन्होंने जीत दर्ज की. 2024 के लोकसभा चुनाव में तोखन साहू को कुल 724937 वोट मिले जबकि उनके निकटतम प्रतिद्वंदी देवेंद्र यादव को 560379 वोट मिले. यहां भाजपा और कांग्रेस में वोटों का अंतर 164558 था. अगर वोट शेयर की बात करें तो बिलासपुर लोकसभा सीट में बीजेपी को 53.25% वोट मिला जबकि कांग्रेस को 41.16 प्रतिशत वोट मिले.
तोखन साहू से नए समीकरण को जोड़ती भाजपा: छत्तीसगढ़ में भाजपा के 2019 और 2024 के चुनाव परिणामों को देखें तो बीजेपी ने 2024 में बेहतर प्रदर्शन किया है. बीजेपी के सभी नेता कह रहे हैं कि 56 विधानसभा क्षेत्र में बीजेपी ने बेहतरीन प्रदर्शन किया है अगर विधानसभावार आंकड़ों की बात की जाए तो साल 2018 और 2023 के विधानसभा चुनाव के जातीय आंकड़े की गोलबंदी को भाजपा ने अपने पक्ष में किया है. 2018 में बीजेपी से दलित, आदिवासी और ओबीसी वोट बैंक दूर चला गया था जिसके कारण 2018 में बीजेपी की सरकार सत्ता से चली गई. 2023 में बीजेपी ने इन जातियों को अपने साथ जोड़ा. इसकी कई वजह हो सकती है लेकिन एक बड़ी वजह है जातीय समीकरण में ओबीसी वोट बैंक का बीजेपी के साथ रहना. 2019 में दलित, आदिवासी और ओबीसी वोट बैंक लोकसभा चुनाव में बीजेपी से उतना नहीं जुड़ पाया था जितना 2024 में जुटा है.
भाजपा लगातार ओबीसी वोट बैंक को अपने साथ जोड़ने की कोशिश कर रही है. ओबीसी जहां भी निर्णायक भूमिका में हैं वह वोट बैंक किस तरीके से बीजेपी के साथ टैग रहे यह बीजेपी की पहली रणनीति है. छत्तीसगढ़ से साहू समाज के नेता को मंत्रिमंडल में जगह दिया गया है, इसके पीछे की सबसे बड़ी वजह यही है. साहू समाज ने बीजेपी को बेहतरीन परिणाम दिया है, कास्ट इक्वेशन और वोट परसेंटेज को देखें तो दोनों मामले में ओबीसी वोट बैंक बीजेपी के साथ छत्तीसगढ़ में जुड़ा है. संभवत यह जातीय गोलबंदी की छत्तीसगढ़ की बड़ी राजनीति बीजेपी के नजरिए से है. वहीं कांग्रेस के तरफ से अगर देखे तो कांग्रेस की सरकार जब विधानसभा में बनी थी इस समाज का नेतृत्व था. ताम्रध्वज साहू एक कद्दावर मंत्री थे. छत्तीसगढ़ में बीजेपी हो या कांग्रेस दोनों साहू समाज वाली सियासत को साधने में कोई कोर कसर नहीं रखते, क्योंकि यह समाज राजनीति की जीत वाली दिशा को सीधे-सीधे लेकर जाता है. - दुर्गेश भटनागर, वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक समीक्षक
समर्थन मूल्य में बढ़ोतरी और महतारी वंदन योजना से मिला लाभ: लोकसभा चुनाव 2024 में भाजपा को मिली बड़ी जीत के पीछे राजनीतिक जानकार दो बड़े कारण भी बता रहे हैं. पहला धान पर न्यूनतम समर्थन मूल्य और दूसरा महतारी वंदन योजना, इन दोनों का सीधा लाभ लोकसभा चुनाव में मिला है. तोखन साहू छत्तीसगढ़ के बड़े जातीय समीकरण के समाज से आते हैं. ऐसे में इन्हें केंद्रीय मंत्रिमंडल में ले जाकर बीजेपी ने एक तरफ जहां दलित आदिवासी और ओबीसी वोट बैंक को जोड़ा है वही साहू समाज एक अलग वोट बैंक के रूप में बीजेपी के साथ जुड़ रहे इसे भी जोड़ने की एक कोशिश की गई है.