रांचीः लैंड स्कैम मामले में 10वें समन के आधार पर प्रवर्तन निदेशालय की टीम ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से उनके कांके स्थित आवास पर पूछताछ शुरू कर दी है. टीम 1 बजकर 18 मिनट पर पहुंची. अब सवाल है कि आगे क्या होने वाला है. फिलहाल, इसका जवाब किसी के पास नहीं है. किस वजह से कयासों का दौर शुरू हो गया है. आम लोग जानना चाह रहे हैं कि अगर मुख्यमंत्री को ईडी की टीम डिटेन कर लेती है तो किस तरह की तस्वीर सामने आ सकती है. जाहिर है कि ऐसा होने पर एक संवैधानिक प्रक्रिया शुरू होगी, जिसमें राजभवन का अहम रोल होगा.
दूसरी तरफ तमाम संभावनाओं को देखते हुए सरकार ने 'प्लान बी' भी तैयार कर रखा है. हालांकि अब तक स्पष्ट नहीं हो पाया है कि अगर कुछ होता है तो किसको विधायक दल के नेता के रूप में सामने लाया जाएगा. हालांकि संभावना जताई जा रही है कि ऐसे हालात में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन अपनी पत्नी कल्पना सोरेन पर सबसे ज्यादा विश्वास करेंगे. शायद यही वजह है कि 30 जनवरी की शाम हुई सत्ताधारी दल के विधायकों की बैठक के बाद विधायकों ने साफ कर दिया था कि मुख्यमंत्री को इस बाबत फैसला लेने के लिए अधिकृत कर दिया गया है. वैसे इस बात की भी चर्चा है कि आंतरिक गुटबाजी को खत्म करने के लिए नया नाम भी सामने लाया जा सकता है. इसमें जोबा मांझी को सबसे मुफीद विकल्प माना जा रहा है.
गौर करने वाली बात है कि कल्पना सोरेन को विकल्प बनाए जाने की चर्चा के बीच ही झामुमो सुप्रीमो शिबू सोरेन की बड़ी बहू सह जामा की विधायक सीता सोरेन ने साफ कर दिया है कि वह कल्पना सोरेन को सपोर्ट नहीं करेंगी. जाहिर है कि ऐसा होता है तो मैजिक फिगर के बगैर नई सरकार का बनना और चल पाना मुश्किल होगा. अब सवाल है कि आंकड़ों के लिहाज से सरकार किस स्थिति में है.
दरअसल, झामुमो के पास कुल 30 विधायक हैं. सहयोगी दल कांग्रेस के 17 और राजद का एक विधायक है. इस हिसाब से विधायकों की कुल संख्या 48 हो जाती है. राज्य में 81 विधायकों वाली विधानसभा में बहुमत साबित करने के लिए 41 विधायक की जरूरत होती है. इस मामले में सरकार कंफर्टेबल स्थिति में है. 30 जनवरी को हुई सत्ताधारी दल के विधायकों की बैठक में झामुमो विधायक सीता सोरेन, लोबिन हेंब्रम, चमरा लिंडा और रामदास सोरेन नहीं पहुंचे थे. झामुमो के मुताबिक रामदास सोरेन दिल्ली में इलाजरत हैं.
48 विधायकों में से चार विधायकों की संख्या घटने पर कुल संख्या 44 बचती है. अगर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को इस्तीफा देने की नौबत आई तो एक और संख्या घट जाएगी. इसके बावजूद सरकार बनाने के लिए 41 के मैजिक फिगर से दो विधायक ज्यादा होंगे. ऊपर से भाकपा माले के विधायक विनोद कुमार सिंह भी सरकार के समर्थन में हैं. लिहाजा, सरकार को कोई खतरा नहीं दिख रहा है लेकिन हेमंत सोरेन बखूबी जानते हैं कि राजनीति में कब भीतरघात हो जाए, इसकी कल्पना नहीं की जा सकती. शायद यही वजह है कि उन्होंने प्लान बी के तहत सत्ताधारी दल के सभी विधायकों को पुराने सीएम हाउस कैंपस में बुला लिया है. इसमें चार विधायक नहीं आए हैं. लेकिन खतरा इतने भर से कम नहीं हो पाएगा. अगर सरकार को बहुमत साबित करने के लिए फ्लोर पर जाने की नौबत आती है तो तस्वीर बदल सकती है क्योंकि पूर्व में सरकार को गिराने की साजिश के तहत कांग्रेस विधायक इरफान अंसारी, नमन विक्सल कोंगाड़ी और राजेश कच्छप को हावड़ा के पास गिरफ्तार किया गया था. ऐसे में फ्लोर पर भीतरघात की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है. वैसे तमाम संभावनाएं इस बात पर टिकी हैं कि ईडी की टीम क्या करती है.
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