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बोर्ड एग्जाम की चिंता कर सकती है बच्चों की मेंटल हेल्थ प्रभावित, इन तरीकों से करें उनका तनाव दूर

Beat the Exam Stress अधिकतर बच्चे एग्जाम टाइम में मानसिक रूप से परेशान रहते हैं. ऐसे बच्चों को पैरेंट्स कैसे हैंडल कर पाएंगे, जानने के लिए जानिए मनोचिकित्सक की राय. Tips for parents

Children mentally disturbed during exam time
बच्चा एग्जाम टाइम में मानसिक रूप से रहता है परेशान
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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Feb 7, 2024, 8:34 PM IST

बच्चों के तनाव पर मनोचिकित्सक की राय

रायपुर: अक्सर स्टूडेंट एग्जाम के दौरान मानसिक रूप से परेशान होते हैं. साथ ही साथ ही एग्जाम को लेकर तनाव में दिखाई पड़ते हैं. कई बार ऐसा होता है कि कुछ स्टूडेंट एग्जाम के दौरान या फिर रिजल्ट आने के वक्त आत्मघाती कदम भी उठा लेते हैं. ऐसे में स्टूडेंट को एग्जाम की तैयारी करते समय कुछ खास बातों का ख्याल रखना चाहिए. ताकि एग्जाम के दौरान किसी तरह का तनाव या दबाव महसूस ना हो. इस बारे में विस्तार से जानने के लिए ईटीवी भारत ने मनोचिकित्सक से खास बातचीत की है. आइए जानते हैं मनोचिकित्सक इस बारे में क्या कहते हैं.

जानिए मनोचिकित्सक की राय: ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान मेकाहारा के मनोचिकित्सा विभाग के मनोचिकित्सक डॉक्टर सुरभि दुबे ने कई जानकारियां दी. उन्होंने कहा कि, "एग्जाम शुरू होने के पहले स्टूडेंट को अपने सिलेबस को एक निश्चित टाइम टेबल में पूरा कर लेना चाहिए. एग्जाम शुरू होने के लगभग एक से डेढ़ महीने पहले अपने कोर्स का रिवीजन भी शुरू कर देना चाहिए. इस दौरान स्टूडेंट को अपने खाने-पीने से लेकर नींद का पूरा ख्याल रखना चाहिए. रात की नींद छात्रों को निर्धारित समय सीमा में पूरा करना चाहिए."

Beat the Exam Stress
बच्चों की मेंटल हेल्थ प्रभावित

डाइट पर भी दें ध्यान: साथ ही डॉक्टर सुरभि ने कहा कि, " कई बार ऐसा होता है कि बच्चे रात भर पढ़ाई करने के बाद दिन में सोते हैं. ऐसा करने से छात्रों को कई तरह की मानसिक और शारीरिक बीमारियां हो सकती हैं. इससे बचने की जरूरत है. कई बार ऐसा करने से बच्चों की याददाश्त कमजोर भी हो सकती हैं. ऐसे में हाई प्रोटीन विटामिन, मिनरल युक्त डाइट लेना जरूरी है. डाइट में बच्चों को फ्रूट्स और वेजिटेबल का भी ध्यान रखना होगा. प्रतिदिन अपने रोजाना के कामकाज में 15 से 20 मिनट का एक्सरसाइज करना भी बच्चों को जरूरी है. सप्ताह में एक बार लगभग 25 मिनट धूप में एक्सरसाइज करना भी जरूरी है."

बच्चों के चेंजेज पर दें ध्यान: मनोचिकित्सक के अनुसार एग्जाम के दौरान या एग्जाम के पहले बच्चों में 15 दिनों तक एक्टिविटी में कोई चेंजेस दिखाई पड़ते हैं तो आप अलर्ट रहे. जैसे बच्चा अपने आप को अकेला महसूस कर रहा है या अपने पेरेंट्स से कह रहा हो कि ये नहीं हो सकता या मैं इसे नहीं कर सकता. ऐसी स्थिति में परिजनों को चाहिए कि वह अपने बच्चों की काउंसलिंग कराएं या फिर किसी मनोचिकित्सक से सलाह है या परामर्श लें. एग्जाम देते समय बच्चों का पूरा ध्यान एग्जाम में होना चाहिए है.

Tips for parents
एक्सपर्ट इन तरीकों से करें उनका तनाव दूर

बच्चों को न दें ज्यादा प्रेशर: इसके साथ ही परिजनों को बच्चों के मार्क्स में ज्यादा ध्यान नहीं देना है, बल्कि वर्तमान समय कॉम्पिटेटिव एक्जाम का है. ऐसे में एंट्रेंस एग्जाम के माध्यम से ही बच्चा आगे बढ़ सकता है. इसका एक शेड्यूल बना लें तो ज्यादा अच्छा है. किसी भी एंट्रेंस एग्जाम में जाने के पहले बच्चों को कम से कम एक से दो बार उसे रिवीजन करना जरूरी है. बच्चे जब बहुत हताश हो जाते हैं या फिर उनके ऊपर बहुत ज्यादा प्रेशर आ रहा है. कुछ बच्चे पहले से मानसिक रोग से ग्रस्त होते हैं. ऐसी स्थिति में कुछ बच्चे आत्मघाती कदम भी उठा लेते हैं, जिससे बच्चे को बचाने की जरूरत है.

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रायपुर: अक्सर स्टूडेंट एग्जाम के दौरान मानसिक रूप से परेशान होते हैं. साथ ही साथ ही एग्जाम को लेकर तनाव में दिखाई पड़ते हैं. कई बार ऐसा होता है कि कुछ स्टूडेंट एग्जाम के दौरान या फिर रिजल्ट आने के वक्त आत्मघाती कदम भी उठा लेते हैं. ऐसे में स्टूडेंट को एग्जाम की तैयारी करते समय कुछ खास बातों का ख्याल रखना चाहिए. ताकि एग्जाम के दौरान किसी तरह का तनाव या दबाव महसूस ना हो. इस बारे में विस्तार से जानने के लिए ईटीवी भारत ने मनोचिकित्सक से खास बातचीत की है. आइए जानते हैं मनोचिकित्सक इस बारे में क्या कहते हैं.

जानिए मनोचिकित्सक की राय: ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान मेकाहारा के मनोचिकित्सा विभाग के मनोचिकित्सक डॉक्टर सुरभि दुबे ने कई जानकारियां दी. उन्होंने कहा कि, "एग्जाम शुरू होने के पहले स्टूडेंट को अपने सिलेबस को एक निश्चित टाइम टेबल में पूरा कर लेना चाहिए. एग्जाम शुरू होने के लगभग एक से डेढ़ महीने पहले अपने कोर्स का रिवीजन भी शुरू कर देना चाहिए. इस दौरान स्टूडेंट को अपने खाने-पीने से लेकर नींद का पूरा ख्याल रखना चाहिए. रात की नींद छात्रों को निर्धारित समय सीमा में पूरा करना चाहिए."

Beat the Exam Stress
बच्चों की मेंटल हेल्थ प्रभावित

डाइट पर भी दें ध्यान: साथ ही डॉक्टर सुरभि ने कहा कि, " कई बार ऐसा होता है कि बच्चे रात भर पढ़ाई करने के बाद दिन में सोते हैं. ऐसा करने से छात्रों को कई तरह की मानसिक और शारीरिक बीमारियां हो सकती हैं. इससे बचने की जरूरत है. कई बार ऐसा करने से बच्चों की याददाश्त कमजोर भी हो सकती हैं. ऐसे में हाई प्रोटीन विटामिन, मिनरल युक्त डाइट लेना जरूरी है. डाइट में बच्चों को फ्रूट्स और वेजिटेबल का भी ध्यान रखना होगा. प्रतिदिन अपने रोजाना के कामकाज में 15 से 20 मिनट का एक्सरसाइज करना भी बच्चों को जरूरी है. सप्ताह में एक बार लगभग 25 मिनट धूप में एक्सरसाइज करना भी जरूरी है."

बच्चों के चेंजेज पर दें ध्यान: मनोचिकित्सक के अनुसार एग्जाम के दौरान या एग्जाम के पहले बच्चों में 15 दिनों तक एक्टिविटी में कोई चेंजेस दिखाई पड़ते हैं तो आप अलर्ट रहे. जैसे बच्चा अपने आप को अकेला महसूस कर रहा है या अपने पेरेंट्स से कह रहा हो कि ये नहीं हो सकता या मैं इसे नहीं कर सकता. ऐसी स्थिति में परिजनों को चाहिए कि वह अपने बच्चों की काउंसलिंग कराएं या फिर किसी मनोचिकित्सक से सलाह है या परामर्श लें. एग्जाम देते समय बच्चों का पूरा ध्यान एग्जाम में होना चाहिए है.

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बच्चों को न दें ज्यादा प्रेशर: इसके साथ ही परिजनों को बच्चों के मार्क्स में ज्यादा ध्यान नहीं देना है, बल्कि वर्तमान समय कॉम्पिटेटिव एक्जाम का है. ऐसे में एंट्रेंस एग्जाम के माध्यम से ही बच्चा आगे बढ़ सकता है. इसका एक शेड्यूल बना लें तो ज्यादा अच्छा है. किसी भी एंट्रेंस एग्जाम में जाने के पहले बच्चों को कम से कम एक से दो बार उसे रिवीजन करना जरूरी है. बच्चे जब बहुत हताश हो जाते हैं या फिर उनके ऊपर बहुत ज्यादा प्रेशर आ रहा है. कुछ बच्चे पहले से मानसिक रोग से ग्रस्त होते हैं. ऐसी स्थिति में कुछ बच्चे आत्मघाती कदम भी उठा लेते हैं, जिससे बच्चे को बचाने की जरूरत है.

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