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कन्फ्यूजन हुआ दूर, इस दिन है भाई दूज, तिलक की थाली में इन चीजों को जरूर रखें

दिवाली की तरह ही भाई दूज के डेट को लेकर भी लोगों में कन्फ्यूजन है. इस दिन है भाई दूज पर्व.

Bhai Dooj 2024
भाई दूज 2024 (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Haryana Team

Published : 2 hours ago

करनाल: धनतेरस से दीपावली पर्व की शुरुआत होती है. वहीं, भाई दूज के दिन दीपावली पर्व का समापन माना जाता है. भाई दूज पर्व भाई-बहन के लिए बेहद शुभ होता है, क्योंकि यह त्योहार भाई-बहन के प्रेम का प्रतीक है. इस दिन सभी बहनें अपने भाई को तिलक लगा कर भाई की पूजा करती हैं. इसके बाद भाई बहन को कुछ न कुछ उपहार भेंट करता हैं. इसके बाद भाई अपनी बहन को रक्षा का वचन देता है.

जैसे इस बार दीपावली पर्व के डेट को लेकर असमंजस है. ठीक वैसे ही इस बार भाई दूज पर्व को लेकर भी लोग असमंजस में हैं कि आखिर भाई दूज पर्व कब है? आइए आपको बताते हैं कि इस बार भाई दूज पर्व कब है? और किस मुहूर्त में भाई को तिलक करना शुभ होगा.

इस दिन है भाई दूज: पंडित पवन शर्मा ने बताया कि कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को भाई दूज का त्योहार मनाया जाता है. हिंदू पंचांग के अनुसार इस साल द्वितीया तिथि का आरंभ 2 नवंबर की रात के 8:21 से शुरू हो रही है, जबकि इसका समापन 3 नवंबर को 7:52 पर होगा. सनातन धर्म में उदय तिथि मान्य होता है. ऐसे में इस बार भाई दूज 3 नवंबर को मनाया जाएगा.

भाई दूज के दिन तिलक का शुभ मुहूर्त: भाई दूज के दिन भाई को तिलक करने का शुभ मुहूर्त सुबह 4:51 से 5:45 तक रहेगा. दूसरा शुभ मुहूर्त 1:10 से 3:22 तक रहेगा. विजय शुभ मुहूर्त 1:54 से लेकर 2:38 तक रहेगा. इस दिन दो शुभ योग भी बन रहे हैं.पहले सौभाग्य योग 3 नवंबर को सुबह 11:45 तक रहेगा. इसके बाद शोभन योग शुरू हो जाएगा, जो पूरे दिन रहेगा. लेकिन भाई दूज के दिन पूजा करने का सबसे उत्तम मुहूर्त 3 नवंबर को सुबह 11:45 मिनट तक होगा, जबकि भाई को तिलक लगाने का शुभ मुहूर्त 1:10 से शुरू होकर 3:22 तक रहेगा.

भाई दूज की पौराणिक कथा: पंडित पवन शर्मा ने बताया कि भाई दूज को लेकर एक पौराणिक कथा प्रचलित है. कथा के अनुसार यमराज की बहन यमुना ने अपने भाई से शिकायत की थी कि वह उनके घर नहीं आते. शिकायत के बाद यमराज कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को अपनी बहन यमुना के घर गए थे. भाई को देख बहन यमुना काफी खुश हुई. यमुना ने अपने भाई यम का स्वागत किया और उसे तिलक लगाकर उसकी आरती उतारी. तभी से ये परंपरा चली आ रही है. इस दिन भाई अपनी बहन के घर आता है और बहने नियमानुसार भाई को तिलक लगाती है. इसके बाद भाई भी बहन को तोहफा देता है. साथ ही जीवन भर रक्षा का वचन देता है.

भाई को तिलक करने के नियम:

  • सबसे पहले भाई-बहन स्नान करें.
  • इसके बाद बहन अपने भाई को तिलक करने के लिए थाली तैयार करें.
  • थाली में फल, फूल ,मिठाई, चावल, चंदन, कुमकुम लें.
  • फिर शुभ मुहूर्त में भाई का तिलक करें.
  • तिलक के लिए बहनें अपने भाई को एक चौकी पर बिठाए.
  • इसके बाद बहन अपने भाई के सिर लाल रंग का रुमाल रखें.
  • इसके बाद बहन भाई के हाथ में सूखा नारियल दें.
  • बहन अपने भाई को अनामिका उंगली से चंदन का तिलक लगाए.
  • तिलक लगाने के बाद चावल छिड़कें.
  • इसके बाद बहन अपने भाई को मिठाई खिलाएं.
  • इसके बाद बहन भाई की आरती उतारे.
  • फिर बहन अपने भाई की लंबी आयु और सफलता की कामना करें.
  • तिलक लगाने के बाद बाद भाई अपनी बहन को उपहार में कुछ न कुछ जरूर भेंट करे.
  • सबसे अंत में भाई और बहन दोनों एक दूसरे की रक्षा का वचन दें.

नोटः यहां प्रकाशित बातें पंडित जी की ओर से कही गई बातें है. ईटीवी भारत इसकी पुष्टि नहीं करता.

ये भी पढ़ें: धनतेरस आज, एक नजर में जानें शुभ मुहूर्त, पूजा की विधि और क्या खरीदें और क्या न खरीदें

ये भी पढ़ें: Diwali 2024 Date: दिवाली कब है, 31 अक्टूबर या 1 नवंबर को...जान लीजिए सही तारीख

करनाल: धनतेरस से दीपावली पर्व की शुरुआत होती है. वहीं, भाई दूज के दिन दीपावली पर्व का समापन माना जाता है. भाई दूज पर्व भाई-बहन के लिए बेहद शुभ होता है, क्योंकि यह त्योहार भाई-बहन के प्रेम का प्रतीक है. इस दिन सभी बहनें अपने भाई को तिलक लगा कर भाई की पूजा करती हैं. इसके बाद भाई बहन को कुछ न कुछ उपहार भेंट करता हैं. इसके बाद भाई अपनी बहन को रक्षा का वचन देता है.

जैसे इस बार दीपावली पर्व के डेट को लेकर असमंजस है. ठीक वैसे ही इस बार भाई दूज पर्व को लेकर भी लोग असमंजस में हैं कि आखिर भाई दूज पर्व कब है? आइए आपको बताते हैं कि इस बार भाई दूज पर्व कब है? और किस मुहूर्त में भाई को तिलक करना शुभ होगा.

इस दिन है भाई दूज: पंडित पवन शर्मा ने बताया कि कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को भाई दूज का त्योहार मनाया जाता है. हिंदू पंचांग के अनुसार इस साल द्वितीया तिथि का आरंभ 2 नवंबर की रात के 8:21 से शुरू हो रही है, जबकि इसका समापन 3 नवंबर को 7:52 पर होगा. सनातन धर्म में उदय तिथि मान्य होता है. ऐसे में इस बार भाई दूज 3 नवंबर को मनाया जाएगा.

भाई दूज के दिन तिलक का शुभ मुहूर्त: भाई दूज के दिन भाई को तिलक करने का शुभ मुहूर्त सुबह 4:51 से 5:45 तक रहेगा. दूसरा शुभ मुहूर्त 1:10 से 3:22 तक रहेगा. विजय शुभ मुहूर्त 1:54 से लेकर 2:38 तक रहेगा. इस दिन दो शुभ योग भी बन रहे हैं.पहले सौभाग्य योग 3 नवंबर को सुबह 11:45 तक रहेगा. इसके बाद शोभन योग शुरू हो जाएगा, जो पूरे दिन रहेगा. लेकिन भाई दूज के दिन पूजा करने का सबसे उत्तम मुहूर्त 3 नवंबर को सुबह 11:45 मिनट तक होगा, जबकि भाई को तिलक लगाने का शुभ मुहूर्त 1:10 से शुरू होकर 3:22 तक रहेगा.

भाई दूज की पौराणिक कथा: पंडित पवन शर्मा ने बताया कि भाई दूज को लेकर एक पौराणिक कथा प्रचलित है. कथा के अनुसार यमराज की बहन यमुना ने अपने भाई से शिकायत की थी कि वह उनके घर नहीं आते. शिकायत के बाद यमराज कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को अपनी बहन यमुना के घर गए थे. भाई को देख बहन यमुना काफी खुश हुई. यमुना ने अपने भाई यम का स्वागत किया और उसे तिलक लगाकर उसकी आरती उतारी. तभी से ये परंपरा चली आ रही है. इस दिन भाई अपनी बहन के घर आता है और बहने नियमानुसार भाई को तिलक लगाती है. इसके बाद भाई भी बहन को तोहफा देता है. साथ ही जीवन भर रक्षा का वचन देता है.

भाई को तिलक करने के नियम:

  • सबसे पहले भाई-बहन स्नान करें.
  • इसके बाद बहन अपने भाई को तिलक करने के लिए थाली तैयार करें.
  • थाली में फल, फूल ,मिठाई, चावल, चंदन, कुमकुम लें.
  • फिर शुभ मुहूर्त में भाई का तिलक करें.
  • तिलक के लिए बहनें अपने भाई को एक चौकी पर बिठाए.
  • इसके बाद बहन अपने भाई के सिर लाल रंग का रुमाल रखें.
  • इसके बाद बहन भाई के हाथ में सूखा नारियल दें.
  • बहन अपने भाई को अनामिका उंगली से चंदन का तिलक लगाए.
  • तिलक लगाने के बाद चावल छिड़कें.
  • इसके बाद बहन अपने भाई को मिठाई खिलाएं.
  • इसके बाद बहन भाई की आरती उतारे.
  • फिर बहन अपने भाई की लंबी आयु और सफलता की कामना करें.
  • तिलक लगाने के बाद बाद भाई अपनी बहन को उपहार में कुछ न कुछ जरूर भेंट करे.
  • सबसे अंत में भाई और बहन दोनों एक दूसरे की रक्षा का वचन दें.

नोटः यहां प्रकाशित बातें पंडित जी की ओर से कही गई बातें है. ईटीवी भारत इसकी पुष्टि नहीं करता.

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