नई दिल्ली: तिहाड़ जेल के महानिदेशक संजय बैनीवाल ने कहा कि जेल प्रशासन के चलाए जा रहे अभियान और प्रयास का परिणाम साफ तौर पर देखा जा सकता है. अब यहां के कैदी कौशल विकास कार्यक्रम के तहत इस तरह से प्रशिक्षित किए जा रहे हैं कि इस जेल के लगभग 700 कैदियों को अब तक रोजगार मिल चुका है. वहीं, 12,00 से अधिक कैदी वर्तमान में जेल से बाहर आने के बाद विभिन्न क्षेत्रों में काम करने के लिए प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे हैं.
सोमवार को अपने मुख्यालय में PTI के साथ बातचीत में 1989 बैच के आईपीएस अधिकारी बैनीवाल ने कहा कि वह उन कैदियों को देखकर खुश हैं, जो जेल की सजा काटने के बाद नौकरी पाते हैं. बैनीवाल नवंबर 2022 से तिहाड़ डीजी के रूप में तैनात हैं. तिहाड़ में अपने कार्यकाल के दौरान जेल सुधारों पर एक सवाल का जवाब देते हुए कहा, “हमने शहरी विकास मंत्रालय की मदद से कौशल विकास कार्यक्रम शुरू किया है. जेलों के अंदर इस कार्यक्रम के तहत लगभग 700 कैदियों को होटल उद्योग में नौकरी मिल गई है और 1,200 कैदियों को अस्पतालों में नौकरी पाने के लिए प्रशिक्षण मिल रहा है.”
विचाराधीन कैदियों को प्रशिक्षण देने के लिए जेल के अंदर एक बुनियादी ढांचा
जेल अधिकारियों के अनुसार, विचाराधीन कैदियों (यूटीपी) को प्रशिक्षण देने के लिए जेलों के अंदर एक बुनियादी ढांचा उपलब्ध कराया गया है. ये कार्यक्रम 2023 की शुरुआत में शुरू किया गया था. बैनीवाल ने कहा कि कैदियों को कौशल प्रदान करना और सशक्त बनाना कुछ ऐसा है, जो उन्हें लायक बनाता है. जेल के महानिदेशक ने कहा, "जब उन्हें बाहर काम करने के लिए प्रमाण पत्र और प्रस्ताव पत्र मिले तो मैंने उनकी आंखों में मुस्कान और चमक देखी." तिहाड़ जेल में बढ़ती भीड़़ पर एक सवाल का जवाब देते हुए बैनिवाल ने कहा कि यहां 10,000 की स्वीकृत क्षमता के मुकाबले 20,000 कैदी हैं, अधिक जेल बनाना कोई समाधान नहीं है. दिल्ली में तीन जेल परिसर हैं - तिहाड़, रोहिणी और मंडोली - और इन सभी में केंद्रीय जेलें शामिल हैं.
कम अपराध करनेवाले अपराधी के लिए विकल्प सजा की जरूरत
बैनिवाल ने कहा कि हो सकता है कि हम कम अपराध करनेवाले जो अपराधी हैं उनके लिए अन्य विकल्पों या दंडित करने के बेहतर तरीकों की तलाश कर सकते हैं. उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि हाल में एक युवक को जेबतराशी में 300 रुपये चुराने के आरोप में पकड़ा गया और उसे तिहाड़ लाया गया. जमानत मिलने से पहले वह पांच महीने तक यहां रहे. "मैं प्रति कैदी प्रतिदिन 800 रुपये खर्च कर रहा हूं, जिसकी कीमत हमें प्रति माह लगभग 24,000 रुपये होती है. उस 300 रुपये की चोरी की सजा के लिए मैंने आपका पैसा (राजकोष) खर्च किया, जिसकी लागत पांच महीनों में लगभग 1,20,000 रुपये है. क्या यह सही है? यही सवाल हमें पूछने की ज़रूरत है,".
कैदियों की गतिविधियों की जियोफेंसिंग करने की जरूरत
बैनीवाल ने कहा कि दिल्ली के नरेला में प्रस्तावित जेल में 250 कैदियों के लिए लगभग 170 करोड़ रुपये खर्च होंगे, जो एक महंगा मामला है. तिहाड़ जेल प्रमुख ने कहा कि जेल का मौजूदा मॉडल प्रावधान अधिनियम उन कैदियों की गतिविधियों पर नज़र रखने के लिए शक्ति प्रदान करता है. आप निश्चित रूप से, उनके घर, अदालत या कार्यस्थल के भीतर उनकी गतिविधियों की जियोफेंसिंग कर सकते हैं. इस तरह आप देख रहे हैं व्यक्ति अधिक उत्पादक और कम बोझिल होता है, लेकिन यह मेरा निजी विचार है, हो सकता है कि मैं गलत हूं,'' . विदेशी की तरह देश में जेलों के निजीकरण पर बैनीवाल ने कहा कि निजीकरण के बावजूद अमेरिकी जेलों में काफी भीड़ है. उन्होंने कहा, "अमेरिका में प्रति लाख लोगों पर गिरफ्तारी की संख्या भारत से कहीं अधिक है. जेल का निजीकरण करना देश की स्थिति और वहां कैसे शासन किया जाता है, इस पर निर्भर करता है."
आध्यात्मिकता पाठ्यक्रम, ध्यान और लक्षित अभ्यास से बदल रहे कैदी
जेल में सुविधाओं और बुनियादी ढांचे के बारे में बात करते हुए,बैनीवाल ने कहा कि "सुधारात्मक प्रशासन" के तहत, अधिकारी कैदी के भावनात्मक पदचिह्न और मानसिक कंपन को बदलने के लिए बहुत कड़ी मेहनत करते हैं. "हम कैदियों के लिए आध्यात्मिकता पाठ्यक्रम, ध्यान और लक्षित अभ्यास चलाते हैं, जहां उन्हें बलपूर्वक घसीटा जाता है लेकिन अंत में उन्हें अपराधबोध होता है. जो उन्होंने अतीत में किया था. मेरे पास ऐसे कई उदाहरण हैं जहां वे अपनी गलतियों के बारे में लिखते हैं और कहते हैं कि अपराध करने वाले जब भी जेल से बाहर जाते हैं वे ऐसा कहते हैं कि कभी भी ऐसा नहीं करेंगे.
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'आफ्टर रिलीज़ केयर सेंटर' शुरू करने की योजना बना रहा हूं,
उन्होंने कहा, "मैं एक 'आफ्टर रिलीज़ केयर सेंटर' शुरू करने की योजना बना रहा हूं, जहां हम उनके बाहर आने के बाद उनकी देखभाल करेंगे." बैनीवाल ने कहा कि कैदी जेलों के अंदर हर त्योहार मनाते हैं और राष्ट्रीय कार्यक्रमों में भाग लेते हैं ताकि वे वास्तविकता से दूर न जा सकें. उन्होंने कहा, "हम यथासंभव उनके जीवन को सामान्य बनाने की कोशिश करते हैं. कई कैदी ऐसे होते है जिनसे यहां मिलने कोई नहीं आता क्योंकि उनके परिवार के सदस्य दूर रहते हैं, हमारे पास 'स्पर्श योजना' नामक एक सुविधा है जहां हम उन्हें गले लगाते हैं और अवसरों पर उपहार देते हैं." बैनीवाल ने कहा कि वह कैदियों से मिलकर उनकी समस्याएं सुनते हैं और उनका समाधान करने का प्रयास भी करते हैं.
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