पलामूः झारखंड में बाघ अपने पुराने कॉरिडोर को एक्टिव कर रहे हैं. पलामू टाइगर रिजर्व से निकल कर बाघ हजारीबाग में पहुंचे हैं. हजारीबाग इलाके में हाल के दिनों में एक बाघ को देखा गया है, जिसके बाद यह कॉरिडोर एक्टिव हुआ है. हजारीबाग के इलाके में देखा गया बाघ पलामू टाइगर रिजर्व के इलाके से निकलकर पहुंचा है. जिस इलाके में बाघ देखा गया है, उस इलाका में पलामू टाइगर रिजर्व के अधिकारियों ने जायाजा लिया है और स्थानीय वन विभाग के अधिकारियों से बातचीत भी की है. दरअसल पलामू टाइगर रिजर्व में पिछले एक वर्ष के दौरान चार बाघ होने की पुष्टि हुई है. पिछले एक दशक में पहली बार हुआ है कि इलाके में चार बाघ देखे गए हैं. पलामू हजारीबाग कॉरिडोर पर कई दशक से बाघ नहीं देखे गए थे.
मध्य प्रदेश से बाघ पहुंचा है पलामू टाइगर रिजर्व फिर हजारीबागः दरअसल पलामू टाइगर रिजर्व में देखे गए बाघ मध्य प्रदेश के बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के इलाके से पहुंचे हैं. इसी में बाघ हजारीबाग के इलाके में दाखिल हुए है. मध्य प्रदेश के बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व, छत्तीसगढ़ के संजय डूबरी टाइगर रिजर्व और पलामू टाइगर रिजर्व एक दूसरे से जुड़े हुए हैं. पूरा का पूरा इलाका करीब 400 से 500 किलोमीटर का कॉरिडोर है. यह बाघों के सबसे पुराना कॉरिडोर में से एक है. यही कॉरिडोर झारखंड के हजारीबाग और सारंडा के इलाके से जुड़ा है. पलामू टाइगर रिजर्व से चतरा के लावालौंग होते हुए हजारीबाग तक यह कॉरिडोर है. इस कॉरिडोर में 220 से अधिक गांव हैं. बाघ को लेकर अधिकारियों ने स्थानीय ग्रामीणों से भी बातचीत शुरू की है. ग्रामीणों को भी बाघ को लेकर जागरूक किया जा रहा है. यह कॉरिडोर ऐतिहासिक है. अंग्रेजों के शासन काल में इस कॉरिडोर में बड़े पैमाने पर बाघों का शिकार हुआ था.
बांधवगढ़ से लगातार पहुंच रहे हैं बाघः दरअसल पलामू टाइगर रिजर्व इलाके में एमपी बांधवगढ़ और छत्तीसगढ़ संजय डुबरी टाइगर रिजर्व की इलाके से लगातार बाघ पहुंच रहे हैं. मार्च 2023 में सबसे पहली बार पलामू टाइगर रिजर्व के इलाके में बाघ देखा गया था, उसके बाद लगातार बाघ देखे गए थे. उसके बाद लगातार पीटीआर के इलाके में लगातार बाघ दाखिल हो रहे हैं. यही बाघ पीटीआर से निकल कर हजारीबाग, लोहरदगा और लातेहार के अन्य इलाकों में दाखिल हो रहे हैं.
एक लंबे अरसे के बाद इस कॉरिडोर में बाघ की मौजूदगी हुई है, हजारीबाग के इलाके में देखा गया बाघ पीटीआर से गया है. इलाके में निगरानी रखी जा रही हैःं प्रजेशकांत जेना, उपनिदेशक पीटीआर
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