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कौन हैं टाइगर किड ? जो पीटीआर के ग्रामीण इलाकों की बदलेंगे तस्वीर - Tiger Kid Scheme

Palamu Tiger Reserve. टाइगर किड पीटीआर के इलाके की तस्वीर बदलेंगे. पलामू टाइगर रिजर्व प्रबंधन की इस पहल से स्थानीय लोगों में उत्साह है. आखिर कौन हैं ये टाइगर किड और कैसे बदलेंगे इलाके की तस्वीर, जानिए इस रिपोर्ट में.

Tiger Kid Scheme
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : May 2, 2024, 12:42 PM IST

पलामू: एशिया प्रसिद्ध पलामू टाइगर रिजर्व के सुदूरवर्ती ग्रामीण क्षेत्रों में टाइगर किड तस्वीर को बदलेंगे. पलामू टाइगर रिजर्व 1129 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है, जिसमें 260 से अधिक गांव मौजूद हैं. पीटीआर प्रबंधन सुदूरवर्ती ग्रामीण इलाकों की तस्वीर बदलने के लिए कई बिन्दुओं पर कार्य कर रहा है. इसी कड़ी में पीटीआर प्रबंधन ने टाइगर किड नामक योजना तैयार किया है.

टाइगर किड नामक योजना को डिप्टी डायरेक्टर फेलोशिप का भी नाम दिया गया है. इस योजना के तहत पीटीआर के सुदूरवर्ती इलाके में टाइगर किड का चयन किया जा रहा है. पीटीआर ग्रामीणों के बीच ग्रामसभा का करवा रहा है. इस ग्रामसभा में आर्थिक रूप से कमजोर लड़का और लड़की का चयन किया जा रहा है. चयनित लड़का और लड़की को पीटीआर प्रबंधन की तरफ से एजुकेशन किट दिया जा रहा है. टाइगर किड बच्चे को पीटीआर प्रबंधन की तरफ से पांच-पांच हजार रुपए दिए जाने की योजना है.

आर्थिक रूप से कमजोर बच्चों को पढ़ाई में मदद करने की पहल

दरअसल, पलामू टाइगर रिजर्व का पूरा इलाका घने जंगलों और दुरुह इलाकों से भरा हुआ है. इस इलाके में प्रशासनिक तंत्र का पहुंचना एक बड़ी चुनौती रही है. प्रबंधन ने एक योजना तैयार किया है. ताकि सुदूरवर्ती ग्रामीण इलाकों के बच्चों को मदद पहुंचाई जा सके और उनकी पढ़ाई बाधित ना हो. पीटीआर के उपनिदेशक प्रजेशकांत जेना ने बताया कि पलामू टाइगर रिजर्व को सुदूरवर्ती और दुरूह इलाके में ग्राम सभा के माध्यम से टाइगर किड का चयन किया जाना है. टाइगर किड एक तरह से पूरे इलाके में ब्रांड एंबेसडर का काम करेंगे. फेलोशिप योजना के तहत टाइगर किड को जोड़ा जा रहा है ताकि उनकी पढ़ाई में मदद हो सके. आर्थिक कमजोरी बच्चों की पढ़ाई में बाधक नहीं बने इसका भी ख्याल रखा गया है.

वनों की रक्षा अभियान से जोड़ा जा रहा है ग्रामीणों को

पीटीआर के ग्रामीणों को पेड़ों की रक्षा अभियान से जोड़ा जा रहा है. ग्रामसभा में पेड़ों की रक्षा का निर्णय लिया जा रहा है. ग्राम सभा के माध्यम से ग्रामीण पेड़ों की रक्षा के लिए शपथ भी ले रहे हैं. पलामू टाइगर रिजर्व अति नक्सल प्रभावित क्षेत्र रहा है. ग्रामसभा के माध्यम से ग्रामीण आर्थिक रूप से कमजोर बच्चों की पढ़ाई के लिए शिक्षक उपलब्ध हो सके. नक्सलियों के कमजोर होने के बाद इलाके में पीटीआर प्रबंधन के साथ-साथ प्रशासन के अन्य तंत्र भी इलाके में पहुंच रहे हैं.

पलामू: एशिया प्रसिद्ध पलामू टाइगर रिजर्व के सुदूरवर्ती ग्रामीण क्षेत्रों में टाइगर किड तस्वीर को बदलेंगे. पलामू टाइगर रिजर्व 1129 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है, जिसमें 260 से अधिक गांव मौजूद हैं. पीटीआर प्रबंधन सुदूरवर्ती ग्रामीण इलाकों की तस्वीर बदलने के लिए कई बिन्दुओं पर कार्य कर रहा है. इसी कड़ी में पीटीआर प्रबंधन ने टाइगर किड नामक योजना तैयार किया है.

टाइगर किड नामक योजना को डिप्टी डायरेक्टर फेलोशिप का भी नाम दिया गया है. इस योजना के तहत पीटीआर के सुदूरवर्ती इलाके में टाइगर किड का चयन किया जा रहा है. पीटीआर ग्रामीणों के बीच ग्रामसभा का करवा रहा है. इस ग्रामसभा में आर्थिक रूप से कमजोर लड़का और लड़की का चयन किया जा रहा है. चयनित लड़का और लड़की को पीटीआर प्रबंधन की तरफ से एजुकेशन किट दिया जा रहा है. टाइगर किड बच्चे को पीटीआर प्रबंधन की तरफ से पांच-पांच हजार रुपए दिए जाने की योजना है.

आर्थिक रूप से कमजोर बच्चों को पढ़ाई में मदद करने की पहल

दरअसल, पलामू टाइगर रिजर्व का पूरा इलाका घने जंगलों और दुरुह इलाकों से भरा हुआ है. इस इलाके में प्रशासनिक तंत्र का पहुंचना एक बड़ी चुनौती रही है. प्रबंधन ने एक योजना तैयार किया है. ताकि सुदूरवर्ती ग्रामीण इलाकों के बच्चों को मदद पहुंचाई जा सके और उनकी पढ़ाई बाधित ना हो. पीटीआर के उपनिदेशक प्रजेशकांत जेना ने बताया कि पलामू टाइगर रिजर्व को सुदूरवर्ती और दुरूह इलाके में ग्राम सभा के माध्यम से टाइगर किड का चयन किया जाना है. टाइगर किड एक तरह से पूरे इलाके में ब्रांड एंबेसडर का काम करेंगे. फेलोशिप योजना के तहत टाइगर किड को जोड़ा जा रहा है ताकि उनकी पढ़ाई में मदद हो सके. आर्थिक कमजोरी बच्चों की पढ़ाई में बाधक नहीं बने इसका भी ख्याल रखा गया है.

वनों की रक्षा अभियान से जोड़ा जा रहा है ग्रामीणों को

पीटीआर के ग्रामीणों को पेड़ों की रक्षा अभियान से जोड़ा जा रहा है. ग्रामसभा में पेड़ों की रक्षा का निर्णय लिया जा रहा है. ग्राम सभा के माध्यम से ग्रामीण पेड़ों की रक्षा के लिए शपथ भी ले रहे हैं. पलामू टाइगर रिजर्व अति नक्सल प्रभावित क्षेत्र रहा है. ग्रामसभा के माध्यम से ग्रामीण आर्थिक रूप से कमजोर बच्चों की पढ़ाई के लिए शिक्षक उपलब्ध हो सके. नक्सलियों के कमजोर होने के बाद इलाके में पीटीआर प्रबंधन के साथ-साथ प्रशासन के अन्य तंत्र भी इलाके में पहुंच रहे हैं.

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