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डायना-सुलोचना को भी चकमा दे गया बाघ, टीम ने 5 किमी तक चलाया तलाशी अभियान, नहीं मिला सुराग - LUCKNOW TIGER TERROR

लखनऊ के गांवों में घूम रहा बाघ. फिर मिले पैरों के निशान, आज फिर से किया जा रहा सर्च.

लखनऊ में घूम रहा बाघ.
लखनऊ में घूम रहा बाघ. (Photo Credit; ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Jan 5, 2025, 11:22 AM IST

लखनऊ : राजधानी के रहमानखेड़ा में एक महीने से ज्यादा समय से बाघ घूम रहा है. इससे लोग दहशत में हैं. बाघ को पकड़ने के लिए लखनऊ, कानपुर, लखीमपुर खीरी से विशेषज्ञों की टीम पहुंची. इसके बावजूद बाघ नहीं मिला. बाघ को पकड़ने के लिए दुधवा से दो प्रशिक्षित हथिनियों डायना व सुलोचना को भी शुक्रवार को बुलाया गया. शनिवार की सुबह 10 बजे से दोपहर 2 बजे तक दोनों जंगल में घूमती रहीं. तीन ट्रेंकुलाइज इंस्पेक्टर और दो महावत भी हथिनी पर बैठे थे. करीब 5 किमी के दायरे में बाघ के पगचिह्न को देखते सर्च अभियान चलाया गया. फिर भी बाघ का पता नहीं चला. वहीं शनिवार सुबह फिर से सराय प्रेमराज गांव के बाहर बाघ के पगचिह्न मिले.

काकोरी के रहमानखेड़ा जंगल में काफी समय से बाघ घूम रहा है. लगातार उसके पैरों के निशान मिल रहे हैं. शनिवार की सुबह भी दोनों हथिनियों के साथ टीम ने सर्च अभियान चलाया. इसके बावजूद कुछ पता नहीं चल पाया. रविवार को दूसरे दिन भी बाघ को पकड़ने के लिए अभियान चलाया जाएगा. शनिवार सुबह प्रधान मुख्य वन संरक्षक और विभाग अध्यक्ष लखनऊ सुनील चौधरी ने रेस्क्यू ऑपरेशन का जायजा लिया. उन्होंने बाघ को जल्द पकड़ने के निर्देश दिए.

शनिवार की सुबह जंगल से 10 किलोमीटर दूर सराय प्रेमराज में किसान ब्रह्मदीन गौतम, चिरौंजी लाल, राधेश्याम गुरुप्रसाद की आम की बाग में बाघ के पगचिह्न मिले. ग्रामीणों का कहना है कि पहली बार गांव में बाघ के पगचिह्न मिले हैं. बाघ ने करीब 15 किलोमीटर में घेरा बना कर रखा है. वह हर दिन जगह बदलता है, रात में रहमान खेड़ा में उसकी मौजूदगी दिखती है. मीठेनगर नई बस्ती धनेवा, मोहम्मदनगर, रहमतनगर, हसनापुर, दुगौली, गुरदीन खेड़ा, कटौली, सहिलामऊ, कसमंडी, मंदौली, उलरापुर, हलुवापुर, बुधड़िया, कुसमौरा, हबीबनगर व आसपास के गांवों में बाघ के पगचिह्न मिल चुके हैं.

महावत अयूब ने बताया कि दोनों हाथिनी विशेष रूप से प्रशिक्षित हैं. मादा हाथी बाघ की गंध सूंघकर बाघ के जाने के रास्ते पर चिंघाड़ करते हुए पैरों से मिट्टी रगड़ती है. वह उसी रास्ते पर आगे बढ़ती हैं. जबकि नर हाथी बाघ को देखकर भड़क जाता है और बाघ का पीछा कर लेता है, जबकि इसलिए टाइगर रेस्क्यू में मादा हाथियों का प्रयोग किया जाता है.

डीएफओ सितांशु पांडेय ने 35 सदस्यों की टीम को छोटे-छोटे समूहों बाघ को तलाशने के लिए लगाने के निर्देश दिए गए हैं. एक टीम कॉम्बिंग कर रही है, दूसरी कैमरा ट्रैप कर रही है, जबकि तीसरी हथिनियों की देखभाल व चौथी टीम डॉक्टरों के साथ मिलकर कार्य कर रही है. उन्होंने मचान को भी देखा. दोनों हथिनियों की जगह को और बेहतर बनाने के निर्देश दिए.

यह भी पढ़ें : लखनऊ में घूम रहा बाघ; जंगल से निकल कर मजार के करीब पहुंचा, बुजुर्ग ने कमरे में भागकर बचाई जान

लखनऊ : राजधानी के रहमानखेड़ा में एक महीने से ज्यादा समय से बाघ घूम रहा है. इससे लोग दहशत में हैं. बाघ को पकड़ने के लिए लखनऊ, कानपुर, लखीमपुर खीरी से विशेषज्ञों की टीम पहुंची. इसके बावजूद बाघ नहीं मिला. बाघ को पकड़ने के लिए दुधवा से दो प्रशिक्षित हथिनियों डायना व सुलोचना को भी शुक्रवार को बुलाया गया. शनिवार की सुबह 10 बजे से दोपहर 2 बजे तक दोनों जंगल में घूमती रहीं. तीन ट्रेंकुलाइज इंस्पेक्टर और दो महावत भी हथिनी पर बैठे थे. करीब 5 किमी के दायरे में बाघ के पगचिह्न को देखते सर्च अभियान चलाया गया. फिर भी बाघ का पता नहीं चला. वहीं शनिवार सुबह फिर से सराय प्रेमराज गांव के बाहर बाघ के पगचिह्न मिले.

काकोरी के रहमानखेड़ा जंगल में काफी समय से बाघ घूम रहा है. लगातार उसके पैरों के निशान मिल रहे हैं. शनिवार की सुबह भी दोनों हथिनियों के साथ टीम ने सर्च अभियान चलाया. इसके बावजूद कुछ पता नहीं चल पाया. रविवार को दूसरे दिन भी बाघ को पकड़ने के लिए अभियान चलाया जाएगा. शनिवार सुबह प्रधान मुख्य वन संरक्षक और विभाग अध्यक्ष लखनऊ सुनील चौधरी ने रेस्क्यू ऑपरेशन का जायजा लिया. उन्होंने बाघ को जल्द पकड़ने के निर्देश दिए.

शनिवार की सुबह जंगल से 10 किलोमीटर दूर सराय प्रेमराज में किसान ब्रह्मदीन गौतम, चिरौंजी लाल, राधेश्याम गुरुप्रसाद की आम की बाग में बाघ के पगचिह्न मिले. ग्रामीणों का कहना है कि पहली बार गांव में बाघ के पगचिह्न मिले हैं. बाघ ने करीब 15 किलोमीटर में घेरा बना कर रखा है. वह हर दिन जगह बदलता है, रात में रहमान खेड़ा में उसकी मौजूदगी दिखती है. मीठेनगर नई बस्ती धनेवा, मोहम्मदनगर, रहमतनगर, हसनापुर, दुगौली, गुरदीन खेड़ा, कटौली, सहिलामऊ, कसमंडी, मंदौली, उलरापुर, हलुवापुर, बुधड़िया, कुसमौरा, हबीबनगर व आसपास के गांवों में बाघ के पगचिह्न मिल चुके हैं.

महावत अयूब ने बताया कि दोनों हाथिनी विशेष रूप से प्रशिक्षित हैं. मादा हाथी बाघ की गंध सूंघकर बाघ के जाने के रास्ते पर चिंघाड़ करते हुए पैरों से मिट्टी रगड़ती है. वह उसी रास्ते पर आगे बढ़ती हैं. जबकि नर हाथी बाघ को देखकर भड़क जाता है और बाघ का पीछा कर लेता है, जबकि इसलिए टाइगर रेस्क्यू में मादा हाथियों का प्रयोग किया जाता है.

डीएफओ सितांशु पांडेय ने 35 सदस्यों की टीम को छोटे-छोटे समूहों बाघ को तलाशने के लिए लगाने के निर्देश दिए गए हैं. एक टीम कॉम्बिंग कर रही है, दूसरी कैमरा ट्रैप कर रही है, जबकि तीसरी हथिनियों की देखभाल व चौथी टीम डॉक्टरों के साथ मिलकर कार्य कर रही है. उन्होंने मचान को भी देखा. दोनों हथिनियों की जगह को और बेहतर बनाने के निर्देश दिए.

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