भरतपुर: पॉक्सो न्यायालय संख्या-2 के जज अखिलेश कुमार ने बुधवार को एक बहुचर्चित मामले में फैसला सुनाते हुए तत्कालीन एसीडी जज जितेंद्र गुलिया, कर्मचारी राहुल कटारा और अंशुल सोनी को नाबालिग से कुकर्म के आरोप से बरी कर दिया. यह मामला तीन साल से चल रहा था. इस हाई-प्रोफाइल केस में 40 गवाहों के बयान और 61 दस्तावेजी साक्ष्य पेश किए गए. अदालत ने इन सभी पहलुओं की विस्तृत सुनवाई के बाद यह निष्कर्ष निकाला कि अभियोजन पक्ष आरोप साबित करने में विफल रहा.
अधिवक्ता विवेक हथेनी ने बताया कि अदालत ने साक्ष्यों के अभाव, वैज्ञानिक परीक्षणों की रिपोर्ट और मामले की गहन जांच के आधार पर आरोपियों को दोषमुक्त करार दिया है. अभियोजन पक्ष द्वारा पेश किए गए प्रमाण न्यायालय को प्रभावित करने में असमर्थ रहे.
यह था मामला : 31 अक्टूबर 2021 को शहर के मथुरा गेट थाने में एक नाबालिग बालक से कुकर्म का मामला दर्ज हुआ. इस मामले में भरतपुर में तत्कालीन एसीडी जज जितेंद्र गुलिया को गिरफ्तार किया गया था. उनके साथ भरतपुर अदालत के कर्मचारी राहुल कटारा और अंशुल सोनी को भी सह-आरोपी बनाया गया. मामला दर्ज होने के बाद से ही यह विषय चर्चा का केंद्र बना रहा. 16 मार्च 2022 को राजस्थान उच्च न्यायालय ने जज जितेंद्र गुलिया को जमानत दी थी, जिसके बाद मामले की सुनवाई नियमित रूप से जारी रही.
अधिवक्ता हथेनी ने बताया कि इस केस की सुनवाई के दौरान अभियोजन पक्ष की ओर से कुल 40 गवाहों के बयान दर्ज कराए गए. इसके अतिरिक्त, 61 दस्तावेज अदालत में प्रस्तुत किए गए. एफएसएल (फॉरेंसिक साइंस लेबोरेटरी) रिपोर्ट और पॉलीग्राफी टेस्ट के परिणाम अदालत के लिए अहम साबित हुए. अदालत ने यह पाया कि अभियोजन द्वारा पेश किए गए सबूत आरोपियों के खिलाफ आरोप सिद्ध करने के लिए पर्याप्त नहीं थे. जिसके चलते जज जितेंद्र गुलिया, कर्मचारी राहुल कटारा और अंशुल सोनी को बरी कर दिया.