लखनऊ : दो साल के बाद उत्तर प्रदेश राज्य महिला आयोग का गठन हुआ है. इस बार आयोग की अध्यक्ष बबीता चौहान को बनाया गया है, वहीं उपाध्यक्ष अपर्णा यादव व चारु चौधरी को बनाया गया है. इसके अलावा 19 सदस्यों को नियुक्त किया गया है. इनमें तीन सदस्य ऐसे हैं, जो पिछले तीन बार से सदस्य हैं और इस बार उन्होंने चौथी बार शपथ ली है. ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान तीनों ही सदस्यों ने अपने-अपने कार्यकाल के बारे में बताया. सदस्यों ने कहा कि महिलाओं को सशक्त बनाने और उन्हें जागृत करने का काम महिला आयोग करता है, आयोग महिलाओं के मुद्दों को उठता है और हमेशा करता रहेगा.
उत्तर प्रदेश राज्य महिला आयोग की सदस्य मीना कुमारी ने बताया कि पिछले तीन बार से सदस्य पद की जिम्मेदारी को संभाल रही हैं. एक बार फिर से सरकार ने जिम्मेदारी सौंपी है. जिसे बखूबी निभाने की कोशिश रहेगी. पिछले दो साल से जरूर हमारे पद सृजित नहीं हुए थे, बावजूद हमने बहुत सारी महिलाओं की मदद की. उनकी समस्याओं को सुना और संबंधित थाना प्रभारी से बातचीत करके उनके मामले का निस्तारण किया. हम सभी सदस्यों को चार जिले दिए जाते हैं. उन जिलों के मामलों को हम देखते हैं. जनसुनवाई करते हैं. ग्रामीण क्षेत्रों में जाते हैं. स्कूल-कॉलेज में जाते हैं. अनाथ आश्रम और वृद्धाश्रम जाते हैं. हर जगह जाकर स्वयं निरीक्षण करते हैं. महिलाओं से बातचीत करते हैं. उन्होंने कहा कि हाथरस का मामला हमेशा जहन में रहेगा क्योंकि, उस समय वह जिला मेरे अंतर्गत आता था. हाथरस में महिला के साथ दुष्कर्म मामले में मौके पर पहुंची थी. वह मामला जिंदगी भर याद रहेगा क्योंकि, उस मामले में मैं खुद महिला को न्याय दिलाने के लिए उतरी थी.
सदस्य अंजू प्रजापति ने बताया कि वर्ष 2020 में उत्तर प्रदेश राज्य महिला आयोग के सदस्य पद की जिम्मेदारी संभाली थी. रायबरेली, पीलीभीत, लखीमपुर, लखनऊ जिले मेरे अंतर्गत आते थे. उन्होंने कहा कि सबसे ज्यादा जरूरी हो जाता है कि ग्रामीण क्षेत्र की जो महिलाएं हैं, उन्हें जागरूक करना. क्योंकि, उनके साथ जब उत्पीड़न होता है तो उसे वह अपना भाग्य मान लेती हैं. अपनी किस्मत मान लेती हैं कि शायद उनकी किस्मत में यही लिखा था, इसलिए ग्रामीण क्षेत्रों में अधिक जनसुनवाई आयोजित की और वहां की महिलाओं को जागरूक किया. उनके साथ जो उत्पीड़न हो रहा है, वह सामान्य नहीं है. उत्पीड़न किसी भी प्रकार का सामान्य नहीं होता है. अपराध करने वाले से अधिक दोषी अपराध सहने वाला होता है. ग्रामीण क्षेत्रीय महिलाओं को नहीं पता है की उत्पीड़न किसे कहते हैं. जो क्षेत्र मेरे अंतर्गत आते थे उन क्षेत्रों में मैंने जनसुनवाई आयोजित की और वहां की महिलाओं को जागरूक किया. उसका परिणाम यह आया कि कुछ समय बाद बहुत सारी महिलाएं अपनी समस्याओं को लेकर हमारे पास आती थीं और अपनी दिक्कतों को बताती थीं. ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान उन्होंने कहा कि इस बार तीसरी बार मुझे सदस्य पद के लिए चुना क्या है. यह मेरे लिए खुशी की बात है.
सदस्य अवनी सिंह ने बताया कि आयोग की तरफ से तीन जिले आवंटित किए गए हैं. जिसमें बिजनौर, मुरादाबाद और रामपुर शामिल हैं. पूरे जोश के साथ इस बार भी सदस्य पद की शपथ ली है. सबसे बड़ी बात यह है कि हम उन महिलाओं के लिए कुछ काम कर पाते हैं जिन्हें हमसे उम्मीद होती है, जो असहाय हैं. उन्होंने कहा कि महिला आयोग में शिकायत करने के लिए कोई बड़ी प्रक्रिया नहीं है, कोई भी महिला अपने किसी नजदीकी महिला थाने जा सकती है. इसके अलावा वह महिला आयोग की ऑनलाइन वेबसाइट या महिला आयोग दफ्तर में आकर एप्लीकेशन लगा सकती है. उन्होंने बताया कि कुछ साल पहले मेरे पास एक केस आया था, जिसमें महिला नहीं बल्कि पुरुष परेशान था. हमने उनसे कहा कि हम महिलाओं की समस्याओं को सुनते हैं लेकिन, उन्होंने हमसे निवेदन किया कि हम उनके परिवार को बचा लें. उन्होंने कहा कि मुझे बहुत खुशी हुई की पहली बार कोई पुरुष ने मदद के लिए गुहार लगाई. उस मामले में उनके घर की किसी महिला ने दोनों बच्चों को बाल श्रम के लिए भेज दिया था, जबकि उस घर के बुजुर्ग और उनका बेटा नहीं चाहते थे कि उनके घर के बच्चे बाल श्रम करें. इस मामले में महिला आयोग ने तुरंत कार्रवाई की और जिस कारखाने में बच्चे बाल श्रम के लिए गए थे वहां से उन्हें तुरंत लाया गया और अभिभावकों के सुपुर्द किया गया.