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सरकारी कर्मचारी बनकर बैंकों को चूना लगाने वाले तीन गिरफ्तार, 50 से अधिक जगह से ले चुके हैं लोन - Three arrested for defrauding banks - THREE ARRESTED FOR DEFRAUDING BANKS

Three arrested for defrauding banks: दिल्ली में पुलिस ने बैंकों को चूना लगाने वाले तीन लोगों को गिरफ्तार किया है, जो खुद को सरकारी कर्मचारी बताया करते थे. क्या है पूरा मामला, आइए जानते हैं..

बैंकों को चूना लगाने वाले गिरफ्तार
बैंकों को चूना लगाने वाले गिरफ्तार (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Aug 8, 2024, 2:19 PM IST

नई द‍िल्‍ली: द‍िल्‍ली पुल‍िस की क्राइम ब्रांच की वेस्‍टर्न रेंज-II ने ऐसे ग‍िरोह का पर्दाफाश क‍िया है, ज‍िसके सदस्‍य खुद को सरकारी कर्मचारी बताते थे और फर्जी दस्तावेजों के आधार पर लोन लेकर फरार फरार हो जाते थे. क्राइम ब्रांच ने साकेत थाने में दर्ज 5 साल पुराने ब्‍लाइंड चीट‍िंग केस को सुलझाने का दावा क‍िया है. इस मामले में तीन आरोप‍ियों को ग‍िरफ्तार क‍िया गया है, जिनकी पहचान व‍िनय अग्रवाल (42), कुलदीप स‍िंह (35) और सुनील कुमार (43) के रूप में की गई है. आरोपी अब तक फर्जी तरीके से 50 से ज्‍यादा पर्सनल लोन लेकर बैंकों को चूना लगा चुके हैं.

शिकायतकर्ता लोकनारायण करोतिया की तरफ से कोर्ट में सीआरपीसी की धारा 156(3) के तहत शिकायत दर्ज कराई गई थी. इसमें एक फाइनेंस ने आरोप लगाया था कि मनीष कुमार व अन्य ने फर्जी सरकारी कर्मचारी आईडी कार्ड और अन्य आय दस्तावेज दिखाकर पर्सनल लोन लिया था. गिरोह के सदस्‍य फाइनेंस कंपनी से 30 लाख रुपये से ज्यादा का लोन ले चुके हैं. तीनों आरोपियों ने लोन लेते समय खुद को प्रिंसिपल डायरेक्टर ऑफ कमर्शियल ऑडिट, सीएजी बिल्डिंग में सीन‍ियर ए.ओ. व्यवस्थापक के पद पर बताया था.

यह धोखाधड़ी तब सामने आई, जब इन तीनों की ईएमआई बाउंस हो गई. कार्यालय और निवास पते पर जाने पर पता चला कि इन लोगों ने वहां कभी काम ही नहीं किया और फर्जी दस्तावेज उपलब्ध कराकर लोन हास‍िल क‍िया. इसके बाद कंपनी के अधिकारियों ने अपराध शाखा में मामला दर्ज कराया. आरोप‍ियों का पता लगाने के लिए टीम गठित की गई. जांच के दौरान करीब 100 से ज्‍यादा कॉल डिटेल रिकॉर्ड्स खंगालने के बाद एसआई राहुल के हाथ एक मोबाइल फोन नंबर लगा, जिसका इस्तेमाल आरोपी कुलदीप सिंह कर रहा था. इसके बाद आरोपी व‍िनय और फिर सुनील का पता चला. सामने आया कि वे लगातार फर्जी डॉक्‍यूमेंट्स के आधार पर बैंकों से लोन ले रहे थे.

यह भी पढ़ें- लूट- चेन स्नेचिंग की वारदातों से कांप उठा था दिल्ली का ये इलाका, अब जाकर पकड़े गए 20 साल पुराने लुटेरे

इसके बाद टीम ने 2 दर्जन से ज्यादा पतों पर छापेमारी की और अंतत: एक आरोपी की लोकेशन पता लगाकर आरोप‍ियों को पकड़ ल‍िया गया. आरोपी अलग लोगों की मदद से जाली दस्तावेज तैयार करते थे और बैंकों में अकाउंट खोलते थे. इसके बाद वे अकाउंट्स में कुछ महीनों के लिए वेतन के रूप में पैसे जमा करते थे और जैसे ही किसी बैंक से लोन संबंधी मैसेज मिलता, वे लोन के लिए अप्लाई कर देते थे.

वहीं लोन की राशि वे आपस में बांट लिया करते थे. आरोपी विनय अग्रवाल 9वीं कक्षा तक पढ़ा है और पहले बैंकिंग क्षेत्र में काम कर चुका है. दूसरा आरोपी कुलदीप सिंह ग्रेजुएट है और पहले बैंकिंग सेक्‍टर में कार्यरत था. उसके ख‍िलाफ पहले से धोखाधड़ी के दो मामले दर्ज हैं. तीसरा आरोपी सुनील कुमार ग्रेजुएट है और बैंकिंग क्षेत्र में कार्यरत है. वह पहले से धोखाधड़ी के एक मामले में शामिल रहा है. कुलदीप स‍िंह और सुनील कुमार के ख‍िलाफ कौशांबी थाने (यूपी) में मामले दर्ज हैं.

यह भी पढ़ें- MBA पास जालसाज चढ़ा क्राइम ब्रांच के हत्थे, फर्जी कागजात पर ऐसे बेची थी 6 करोड़ की जमीन

नई द‍िल्‍ली: द‍िल्‍ली पुल‍िस की क्राइम ब्रांच की वेस्‍टर्न रेंज-II ने ऐसे ग‍िरोह का पर्दाफाश क‍िया है, ज‍िसके सदस्‍य खुद को सरकारी कर्मचारी बताते थे और फर्जी दस्तावेजों के आधार पर लोन लेकर फरार फरार हो जाते थे. क्राइम ब्रांच ने साकेत थाने में दर्ज 5 साल पुराने ब्‍लाइंड चीट‍िंग केस को सुलझाने का दावा क‍िया है. इस मामले में तीन आरोप‍ियों को ग‍िरफ्तार क‍िया गया है, जिनकी पहचान व‍िनय अग्रवाल (42), कुलदीप स‍िंह (35) और सुनील कुमार (43) के रूप में की गई है. आरोपी अब तक फर्जी तरीके से 50 से ज्‍यादा पर्सनल लोन लेकर बैंकों को चूना लगा चुके हैं.

शिकायतकर्ता लोकनारायण करोतिया की तरफ से कोर्ट में सीआरपीसी की धारा 156(3) के तहत शिकायत दर्ज कराई गई थी. इसमें एक फाइनेंस ने आरोप लगाया था कि मनीष कुमार व अन्य ने फर्जी सरकारी कर्मचारी आईडी कार्ड और अन्य आय दस्तावेज दिखाकर पर्सनल लोन लिया था. गिरोह के सदस्‍य फाइनेंस कंपनी से 30 लाख रुपये से ज्यादा का लोन ले चुके हैं. तीनों आरोपियों ने लोन लेते समय खुद को प्रिंसिपल डायरेक्टर ऑफ कमर्शियल ऑडिट, सीएजी बिल्डिंग में सीन‍ियर ए.ओ. व्यवस्थापक के पद पर बताया था.

यह धोखाधड़ी तब सामने आई, जब इन तीनों की ईएमआई बाउंस हो गई. कार्यालय और निवास पते पर जाने पर पता चला कि इन लोगों ने वहां कभी काम ही नहीं किया और फर्जी दस्तावेज उपलब्ध कराकर लोन हास‍िल क‍िया. इसके बाद कंपनी के अधिकारियों ने अपराध शाखा में मामला दर्ज कराया. आरोप‍ियों का पता लगाने के लिए टीम गठित की गई. जांच के दौरान करीब 100 से ज्‍यादा कॉल डिटेल रिकॉर्ड्स खंगालने के बाद एसआई राहुल के हाथ एक मोबाइल फोन नंबर लगा, जिसका इस्तेमाल आरोपी कुलदीप सिंह कर रहा था. इसके बाद आरोपी व‍िनय और फिर सुनील का पता चला. सामने आया कि वे लगातार फर्जी डॉक्‍यूमेंट्स के आधार पर बैंकों से लोन ले रहे थे.

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इसके बाद टीम ने 2 दर्जन से ज्यादा पतों पर छापेमारी की और अंतत: एक आरोपी की लोकेशन पता लगाकर आरोप‍ियों को पकड़ ल‍िया गया. आरोपी अलग लोगों की मदद से जाली दस्तावेज तैयार करते थे और बैंकों में अकाउंट खोलते थे. इसके बाद वे अकाउंट्स में कुछ महीनों के लिए वेतन के रूप में पैसे जमा करते थे और जैसे ही किसी बैंक से लोन संबंधी मैसेज मिलता, वे लोन के लिए अप्लाई कर देते थे.

वहीं लोन की राशि वे आपस में बांट लिया करते थे. आरोपी विनय अग्रवाल 9वीं कक्षा तक पढ़ा है और पहले बैंकिंग क्षेत्र में काम कर चुका है. दूसरा आरोपी कुलदीप सिंह ग्रेजुएट है और पहले बैंकिंग सेक्‍टर में कार्यरत था. उसके ख‍िलाफ पहले से धोखाधड़ी के दो मामले दर्ज हैं. तीसरा आरोपी सुनील कुमार ग्रेजुएट है और बैंकिंग क्षेत्र में कार्यरत है. वह पहले से धोखाधड़ी के एक मामले में शामिल रहा है. कुलदीप स‍िंह और सुनील कुमार के ख‍िलाफ कौशांबी थाने (यूपी) में मामले दर्ज हैं.

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