देहरादूनः देश के तमाम राज्यों के साथ ही उत्तराखंड में चल रही एप बेस्ड टैक्सी सर्विस की तर्ज पर उत्तराखंड में तीन और कंपनियों को ऑनलाइन टैक्सी बुकिंग सर्विस शुरू करने की अनुमति मिल गई है. इसके साथ ही देहरादून से पांवटा साहिब तक निजी बसों के संचालन पर राज्य परिवहन प्राधिकरण ने मुहर लगा दी है. परिवहन आयुक्त ब्रजेश कुमार संत की अध्यक्षता में हुई बैठक में तमाम महत्वपूर्ण बिंदुओं पर सहमति बनी है.
परिवहन आयुक्त कार्यालय में मंगलवार को उत्तराखंड राज्य परिवहन प्राधिकरण की बैठक हुई. बैठक में देहरादून से पांवटा साहिब निजी बसों के संचालन संबंधित प्रस्ताव पर एसटीए की बैठक में चर्चा की गई. बैठक में 110 निजी वाहनों के मालिकों को हिमाचल प्रदेश के पांवटा साहिब तक जाने की अनुमति दी गई.
110 परमिट को मंजूरी: दरअसल इस मामले में हाईकोर्ट के निर्णय के अनुसार स्टेट ट्रांसपोर्ट अथॉरिटी (एसटीए) ने उत्तराखंड और हिमाचल की सीमा तक का परमिट जारी किया था. जिसके चलते परिवहन कारोबारी ने इसकी कानूनी लड़ाई लड़ी. ऐसे में अब यह तय हुआ है कि 110 परमिट, देहरादून से विकासनगर, कुल्हड़ होते हुए पांवटा साहिब तक के लिए जारी किए जाएंगे. इसके लिए हिमाचल प्रदेश सरकार से परमिट काउंटर साइन के लिए जल्द ही परिवहन आयुक्त कार्यालय की ओर से पत्र भी भेजा जाएगा.
इन तीन कंपनियों को लाइसेंस की मंजूरी: यही नहीं, एसटीए बैठक के दौरान प्रदेश में एप बेस्ड टैक्सी सर्विस शुरू किए जाने को लेकर तमाम लोगों ने अपने प्रस्ताव रखे. लिहाजा, हल्द्वानी की हीटोहिट सॉल्यूशन को थ्री व्हीलर सेवा और एंबुलेंस सेवा के लिए, चमोली की रूपकुंड पर्यटन विकास समिति और देहरादून की रोपन ट्रांसपोर्टेशन सर्विस को एप बेस्ड टैक्सी सर्विस के लाइसेंस के आवेदन को मंजूरी मिल गई है. हालांकि, ऑनलाइन वाहन सुविधा उपलब्ध करने वाली कंपनियों के लाइसेंस प्रस्ताव को मंजूरी मिलने पर काफी विरोध भी हुआ. बस, टैक्सी-मैक्सी यूनियन ने एसटीए के इस फैसले का बैठक के दौरान कड़ा विरोध जताया. साथ ही आंदोलन करने की चेतावनी भी दी.
बस अड्डे के रूप में अधिकृत दून ISBT: इसके अलावा एसटीए ने देहरादून आईएसबीटी को बस अड्डे के रूप में अधिकृत किए जाने संबंधित प्रस्ताव को भी मंजूरी दे दी है. ऐसे में बस अड्डे के संचालन में होने वाले खर्च और बसों के एंट्री समेत अन्य शुल्क को नए सिरे से तय किया जाएगा. इसके लिए एसटीए ने आवास सचिव को जिम्मेदारी दी है. जिस संबंध में जल्द ही आवास सचिव को प्रस्ताव भी भेजा जाएगा.
हाईकोर्ट तक गया मामला: दरअसल, पहले आईएसबीटी से संचालित होने वाली बसों से 20 रुपए प्रति चक्कर शुल्क लिया जाता था. लेकिन साल 2023 में एमडीडीए की ओर से आईएसबीटी का अधिग्रहण करने के बाद इस राशि को बढ़ाकर 120 रुपए कर दिया गया. जिसके चलते बस मालिकों ने हाईकोर्ट की शरण ली. ऐसे में हाईकोर्ट ने इसका निर्णय लेने के लिए परिवहन सचिव को निर्देश दिए. साथ ही परिवहन सचिव ने बढ़े हुए शुल्क पर रोक लगाते हुए इसका निर्णय लेने के लिए एसटीए को निर्देश दिए थे. एसटीए की बैठक के दौरान इस पूरे मामले में सुनवाई हुई और निर्णय लिया गया कि यह विषय शहरी विकास सचिव को सौंपा जाएगा.
एसटीए की बैठक में राज्य के मैदानी और पर्वतीय मार्गों पर चल रहे स्टेज कैरिज, ठेका बस, मैक्सी-टैक्सी, तिपहिया वाहन और निजी वाहनों के परमिट पर संचालित वाहनों की मॉडल सीमा निर्धारित करने संबंधी रिपोर्ट प्रस्तुत की गई.
अटका मॉडल सीमा का मामला: रिपोर्ट के अनुसार, स्टेज कैरिज मैदानी मार्गों में वाहनों की मॉडल सीमा 18 साल और पर्वतीय मार्गों पर 15 साल, कांट्रैक्ट कैरिज वाहनों के लिए मॉडल सीमा 10 साल और ग्रामीण क्षेत्र में 12 साल, निजी व्यावसायिक वाहनों की मॉडल सीमा मैदानी मार्ग के लिए 18 साल और पर्वतीय मार्ग के लिए 15 साल करने की सिफारिश की गई है. इस पर परिवहन कारोबारी ने अपनी आपत्ति जताई. ऐसे में परिवहन आयुक्त ने समिति की रिपोर्ट के कुछ बिंदुओं की स्थिति स्पष्ट करने के निर्देश दिए. लिहाजा, मॉडल सीमा का मामला अटक गया है.
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