नई दिल्ली/गाजियाबाद : गाजियाबाद क्राइम ब्रांच पुलिस ने धोखे से एटीएम कार्ड बदलकर एटीएम फ्रॉड करने वाले गिरोह का पर्दाफाश किया है. मामले में 3 शातिर आरोपी गिरफ्तार किए गए हैं, जिनके कब्जे से विभिन्न बैंकों के 92 फर्जी एटीएम कार्ड, नगदी, और घटना में प्रयुक्त ऑल्टो कार बरामद की गई है. इनकी करतूत जानकर आप भी हैरान रह जाएंगे.
एनसीआर क्षेत्र में धोखे से एटीएम कार्ड बदलकर एटीएम मशीन से रुपए निकालने वाले अन्तरराज्यीय गिरोह का पर्दाफाश हुआ है. मामले में 3 शातिर आरोपियों की गिरफ्तारी थाना शालीमार गार्डन क्षेत्र से की गई है. इनके कब्जे से विभिन्न बैंकों के 92 फर्जी एटीएम कार्ड, 52, हजार रुपए नगद, एटीएम मशीन में एटीएम कार्ड चिपकाने के लिए फेविक्विक ट्यूब, स्वाइप मशीन, घटना में प्रयुक्त कार बरामद हुए हैं.
पूछताछ में आरोपी गगन ने बताया कि वह 12वीं में फेल हो गया था. उसके बाद पढ़ाई छोड़ दी. बाद में प्रॉपर्टी की दलाली का काम शुरू किया था, लेकिन उसमे फायदा नहीं हो रहा था. इसके बाद आरोपी ने फरीदाबाद में कैफे भी चलाया, पर वो भी नहीं चला. आरोपी ने इसके बाद यूट्यूब से एटीएम फ्रॉड करना सीखा. पता लगाया कि एटीएम फ्रॉड कैसे किया जाता है और अपने दोस्त सोनू को अपने साथ काम सिखा दिया. आरोपी सोनू ने बताया कि उसने 12वीं तक पढ़ाई की थी. उसके बाद रेडिमेड कपड़ों का काम करने लगा, लेकिन घाटा और उधारी होने के कारण काम छोड़ दिया और गगन के साथ एटीएम फ्रॉर्ड करने लगा.
आरोपी देवेन्द्र गुर्जर ने बताया कि उसने 10वीं तक पढ़ाई की, लेकिन गलत संगत में आकर वह अपराध करने लगा. गगन पहले कई बार नोएडा और गाजियाबाद से वाहन चोरी, लूट, आर्म्स एक्ट आदि में जेल जा चुका है. गगन की दोस्ती सोनू से है. सोनू से ही एटीएम फ्रॉड का काम सीख. अभियुक्त गगन ने बताया कि उसके साथ सोनू, देवेन्द्र और सूरज काम करते हैं. ये लोग गाजियाबाद, नोएडा, दिल्ली एनसीआर और अन्य क्षेत्रों में घटनाएं करते हैं.
आरोपियों के निशाने पर बुजुर्ग, महिलाएं और मजदूर अनपढ़ तबके के लोग होते हैं. आरोपी आम तौर पर पहले बैंक के एटीएम के आसपास खड़े होकर इंतजार करते हैं. इनका एक साथी एटीएम के अंदर रहता है. एटीएम मशीन में जहां पर एटीएम कार्ड लगाया जाता है. उस जगह पर आरोपी फेविक्विक मशीन में डाल देते हैं. इससे कार्ड के चिप की रीडिंग नहीं हो पाती. जब कोई व्यक्ति एटीएम से पैसे निकालने के लिए आता है और वह अपना एटीएम कार्ड एटीएम मशीन में डालता है तो उसका एटीएम कार्ड रीड नहीं हो पाता. ऐसे में आरोपी का साथी उस व्यक्ति का पिन नंबर देख लेता है, और निकल जाता है.
दूसरा साथी उसकी मदद करने के बहाने उसका एटीएम कार्ड लेकर एक दो बार मशीन मे डालते हुए बदल देता है. फिर उस एटीएम कार्ड से उसके खाते से रुपये निकाल लेते हैं. और स्वाइप मशीन से बचे हुए पैसे खाते में ट्रांसफर कर लेते हैं. इसमें जो भी फायदा होता है वह सभी लोग आपस में बराबर बांट लेते थे. आरोपी यह काम 4-5 सालों से कर रहे हैं. आरोपियों ने बताया कि जब घटना करने आते हैं तो उस समय पहचान छुपाने के लिए अपनी गाड़ी की नम्बर प्लेट बदलकर-फर्जी नम्बर प्लेट लगाकर घटनास्थल पर आते हैं.
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आरोपियों द्वारा आसपास के राज्यों में एटीएम द्वारा फर्जीवाड़ा कर एटीएम मशीन से रुपए निकालने की कई वारदातों को अंजाम दिया गया है. पूर्व में भी कई बार जेल जा चुके हैं. अभियुक्तों से मिली जानकारी के आधार पर उनकी गिरफ्तारी और अन्य सामान की बरामदगी के लिए टीम बनाकर कार्यवाही की जा रही है.
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