नई दिल्लीः दिल्ली की कड़कड़डूमा कोर्ट ने 2020 में उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुए दंगों के एक मामले में तीन आरोपियों को बरी कर दिया. बुधवार को मामले की सुनवाई करते हुए एडिशनल सेशंस जज पुलस्त्य प्रमाचल ने कहा कि दिल्ली पुलिस के दो गवाहों के बयान भरोसे के लायक नहीं हैं, जिन्होंने आरोपियों की पहचान की थी.
कोर्ट ने जिन आरोपियों को बरी किया उनका नाम अकरम, मोहम्मद फुरकान और मोहम्मद इरशाद है. इन आरोपियों पर आरोप था कि तीनों उत्तर-पूर्वी दिल्ली के शिव विहार तिराहा पर 24 फरवरी 2020 को एक किताब की दुकान में आग लगाने वाली भीड़ का हिस्सा थे. कोर्ट ने कहा कि अभियोजन पक्ष की ओर से कांस्टेबल पवन कुमार और कांस्टेबल अमित के बयान भरोसे के लायक नहीं हैं.
यह भी पढ़ेंः दिल्ली एनसीआर में ठंड और घने कोहरे से कब मिलेगी राहत, मौसम वैज्ञानिक ने बता दिया
कोर्ट ने कहा कि घटना के तुरंत बाद इन दोनों पुलिसकर्मियों ने न तो बयान दिया और न ही किसी दैनिक डायरी में दर्ज है. दोनों पुलिसकर्मियों ने 6 मार्च को वीडियो क्लिप देखने के बाद ही गवाहों की पहचान की. शिकायतकर्ता और किताब की दुकान के मालिक ने अपने बयान में कहा कि उसने दो बजे दिन तक किताब की दुकान बंद की, लेकिन दोनों पुलिसकर्मी जो सुबह से मौके पर थे उन्होंने दुकान के खुलने से इनकार किया. ऐसे में पुलिसकर्मियों के बयान पर यकीन करना मुश्किल है.
कोर्ट ने कहा कि आरोपियों के खिलाफ अभियोजन पक्ष आरोप साबित करने में नाकाम रहा. साक्ष्यों पर भरोसा करें तो इस बात के पर्याप्त सबूत हैं कि दंगाईयों की एक भीड़ ने किताब की दुकान में तोड़फोड़ की और आग लगाई. बता दें, फरवरी 2020 में हुई हिंसा में कम से कम 53 लोगों की मौत हो गई थी और दो सौ के करीब लोग घायल हुए थे.